What Are The Problems With Kidney Donors in Hindi: भारत में अंग दान को सबसे बड़ा दान माना जाता है। ऐसे में किडनी डोनेट करना भी एक ऐसी प्रक्रिया है, जो व्यक्ति जीवित रहते हुए करता है। किडनी फेलियर का सामना कर रहे व्यक्ति को जीवित रहने के लिए और एक नॉर्मल लाइफ जीने के लिए एक सही किडनी की जरूरत होती है। किडनी फेलियर एक गंभीर स्थिति है, जिसमें आपकी किडनी ठीक तरह से ब्लड को फिल्टर नहीं कर पाती है और स्वास्थ्य से जुड़ी कई समस्याएं बढ़ जाती हैं। ऐसे में मरीजे के परिवार का कोई सदस्य, रिश्तेदार या दोस्त जिसकी किडनी मरीज के साथ मिलती है वे अपनी एक किडनी डोनेट कर सकते हैं। कुछ लोगों की किडनी मरने के बाद ट्रांसप्लांट की जाती है, जबकि कुछ लोग अपने करीबियों को बचाने के लिए जीवित रहते हुए अपनी एक किडनी डोनेट करते हैं। किडनी डोनेट करने की प्रक्रिया को नेफरेक्टॉमी (Nephrectomy) कहा जाता है। यह एक बड़ी सर्जरी होती है जिसके कई जोखिम भी हो सकते हैं। तो आइए फरीदाबाद के अमृता अस्पताल के सीनियर कंसल्टेंट नेफ्रोलॉजी डॉ. कुणाल राज गांधी से जानते हैं कि किडनी डोनेट करने के बाद व्यक्ति को क्या समस्याएं हो सकती हैंं? (health concerns associated with kidney donors)
किडनी डोनेट करने पर होने वाली स्वास्थ्य समस्याएं क्या हैं? - What Are The Problems With Kidney Donors in Hindi?
1. सर्जरी से जुड़ी समस्याएं
किडनी डोनेट करने की प्रक्रिया के दौरान निकाले जाने वाली किडनी के दौरान होने वाली सर्जरी के कारण स्वास्थ्य से जुड़ी कई समस्याएं हो सकती हैं। जिसमें इंफेक्शन, ब्लीडिंग, एनेस्थीसिया से जुड़ी समस्याएं, सर्जरी के बाद दर्द या असुविधा होना। हालांकि, आधुनिक तकनीक और मेडिकल सेवाओं ने किडनी डोनेट के जोखिमों को काफी हद तक कम कर दिया है। लेकिन, व्यक्ति के शरीर के अनुसार इसकी प्रतिक्रियाएं भी अलग-अलग हो सकती हैं।
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2. किडनी के काम करने की क्षमता पर प्रभाव
किडनी डोनेट करने के बाद, शरीर में केवल एक किडनी रह जाती है। यह किडनी आपके शरीर का सारा कार्यभार संभाल लेता है और समय के साथ ज्यादा एक्टिव हो जाता है। हालांकि, ज्यादातर डोनेट करने वाले व्यक्तियों में कोई समस्या नहीं आती है, लेकिन कुछ मामलों में व्यक्ति के शरीर में बची एक किडनी धीरे-धीरे काम करना बंद कर सकती है, हाई ब्लड प्रेशर या प्रोटीन यूरिया की संभावना बढ़ सकती है। इसलिए किडनी डोनेट करने के बाद किडनी की नियमित जांच कराना बहुत जरूरी होता है।
3. ब्लड प्रेशर और डायबिटीज का जोखिम
किडनी डोनेट करने के कुछ सालों बाद व्यक्ति को हाई ब्लड प्रेशर या टाइप 2 डायबिटीज का जोखिम बढ़ सकता है, जो किडनी के कार्यक्षमता को और ज्यादा प्रभावित कर सकती है। खासतौर पर अगर किडनी डोनेट करने वाला व्यक्ति के पारिवारिक इतिहास में इन बीमारियों के मामने हो।
4. प्रेग्नेंसी से जुड़ी समस्याएं
किडनी डोनेट करने वाली महिलाओं में भविष्य में प्रेग्नेंसी के दौरान कुछ समस्याओं का जोखिम बढ़ सकता है, जैसे- हाई ब्लड प्रेशर, हालांकि, कई महिलाएं सुरक्षित तरीके से एक हेल्दी प्रेग्नेंसी पूरी कर सकती हैं, लेकिन महिलाओं को डॉक्टर की देखरेख में रहना जरूरी है।
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5. मानसिक प्रभाव
किडनी डोनेट करने के बाद कुछ लोग मानसिक रूप से बेहतर महसूस करते हैं, लेकिन कुछ लोगों को सर्जरी के बाद थकावट, एंग्जाइटी और डिप्रेशन भी महसूस कर सकते हैं। अगर ट्रांसप्लांट असफल हो जाए या मरीज की मौत हो जाए तो डोनर को बहुत ठेस पहुंच सकती है, और वे कई बार खुद को ही इल्जाम देने लगते हैं, जो उनके मानसिक स्वास्थ्य पर बुरा प्रभाव डाल सकता है। है।
निष्कर्ष
किडनी डोनेट करना एक बड़ा काम होता है। किडनी डोनेट करने वाले न सिर्फ एक व्यक्ति को नया जीवन देते हैं, बल्कि कई लोगों के जीनव में आस का कारण बनते हैं। लेकिन, इसके कारण होने वाले कुछ साइड इफेक्ट्स को समझना भी जरूरी है। ताकि इसके कारण होने वाली स्वास्थ्य समस्याओं को कम किया जा सके।
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