कई लोगों को अस्पताल जाना बिलकुल पसंद नहीं होता। इसके पीछे अलग-अलग लोगों की अपनी अलग वजह हो सकती है। कुछ लोग अस्पताल के नाम से ही दुखी हो जाते हैं, तो कुछ लोगों को लंबे-लंबे मेडिकल बिल की चिंता सताने लगती है। इसलिए कई लोग अस्पताल के इतर ही अपना इलाज करवाना बेहतर समझते हैं। ऐसे में लोग इलाज के वैकल्पिक तरीकों का रुख करते हैं। पुरातन से लेकर आधुनिक तकनीक तक वैकल्पिक उपचार के कई तरीके मौजूद हैं।
ज्यादातर वैकल्पिक चिकित्सा पद्धतियां सभी प्रकार के रोगों का इलाज करने का दावा करती हैं। हो सकता है कि आप उनकी ओर आकर्षित भी हो जाएं, लेकिन क्या वाकई उनमें किसी मर्ज को दूर करने की क्षमता होती है। विज्ञान भी अभी तक इस पर मौन है। आइए जानने की कोशिश करते हैं, इन्हीं वैकल्पिक चिकित्सा पद्धतियों और उनके तरीकों के बारे में-
शिअत्सु
इस जापानी पद्धति में नर्वस सिस्टम पर उंगलियों और हथेली के जरिये मरीज के शरीर पर दबाव डाला जाता है, लेकिन इसमें मुख्य भूमिका अंगूठे की भूमिका अहम होती है। माना जाता है कि यह तकनीक दबाव, चिंता, अवसाद और मांसपेशियों में दर्द से निजात दिला सकती है। अगर आपको खुले जख्म हों, त्वचा संबंधी कोई रोग हो अथवा ऑस्टियोपोरोसिस हो, तो आपको यह तकनीक इस्तेमाल नहीं करनी चाहिए। अगर आप गर्भवती हैं, आपको रक्त के थक्के जम सकते हैं आपको ट्यूमर अथवा फ्रेक्चर है, तो भी यह थेरेपी आपके लिए सही नहीं है। इसके अलावा कीमोथेरेपी और सर्जरी के बाद भी इससे बचाना चाहिए। इस थेरेपी से पहले आपको कुछ खाने की इजाजत नहीं होती।
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कोलोन थेरेपी (मिस्र)
कोलोन थेरेपी पाचन पथ को साफ करने में मदद करती है। यह कोलोनस्कोपी से पहले की जाने वाली सामान्य प्रक्रिया है, जिसमें मल और अन्य टॉक्सिन्स को तंत्र से बाहर किया जाता है। ट्यूब और पूरक आहारों का उपयोग कर कोलोन थेरेपी अब कोलोन हायड्रोथेरेपी का रूप ले चुकी है। डिहाइड्रेजन, आंत्र वेध, संक्रमण का खतरा और शरीर में इलेक्ट्रॉल्स की मात्रा बढ़ जाना इसके बड़े नुकसान हैं। इलाज के बाद व्यक्ति को प्रोबायोटिक आहार खाने की सलाह दी जाती है।
क्रिस्टल
इसके लिए आपको तीन बहुउद्देश्यीय क्रिस्टल की जरूरत होगी- रोज क्वार्टज, एमेथिस्ट और क्लियर क्वार्टज। बड़े शहरों में ये क्रिस्टल आसानी से मिल जाते हैं। इलाज के लिए क्रिस्टल का उपयोग काफी समय से किया जा रहा है। एरोजोनिएंस, हवाई, मिस्र, चीन और भारत आदि में यह पुरातन इलाज पद्धति का हिस्सा रहा है। हालांकि इस चिकित्सा पद्धति के इतिहास का पता लगाना जरा मुश्किल है क्योंकि यह पद्धति पीढ़ी दर पीढ़ी चलती चली आयी है। क्रिस्टल थेरेपी पर तमाम किताबें मौजूद हैं, जो आपको यह थेरेपी सिखाने का दावा करती हैं।
रिफ्लेक्सोलॉजी
यह तेल के बिना की जाने वाली एक मसाज है, जिसमें उंगलियों, अंगूठे और हाथों से पैरों, हाथों और कानों के खास हिस्से पर दबाव डाला जाता है। आपके हाथ और पैर आपके शरीर के मदर बोर्ड की तरह होते हैं। रिफ्लेक्सोलॉजी के मुताबिक इन क्षेत्रों पर काम करके आप अनदेखी शक्ति से अपनी सेहत सुधार सकते हैं। हालांकि इस तकनीक के बारे में कोई दस्तावेजी सबूत मौजूद नहीं हैं, लेकिन फिर भी इसके तार प्राचीन मिस्र से जोड़े जा सकते हैं। ऐसा भी माना जाता है कि यह पद्धति 5000 साल पहले चीन में मौजूद थी। यह पद्धति दिल के रोगों से राहत दिलाने का काम करती है।
संज्ञानात्मक व्यवहार थेरेपी
यह एक मनो-चिकित्सा संबंधी इलाज पद्धति है जो व्यक्ति को अपने से डर, लत, अवसाद और चिंता को जानने और समझने में मदद करती है। इतना ही नहीं, यह इलाज पद्धति विनाशकारी और परेशान करने वाले विचारों को सकारात्मक विचारों में बदलने का काम करती है।
साइकोलॉजी (मनोविज्ञान)
हालांकि विज्ञान मनोविज्ञान को लेकर अधिक उत्साहित नहीं हैं, लेकिन फिर भी कई मानसिक रोगों, जैसे एंजाइटी डिस्ऑर्डर, सिजोफ्रेनिया, बॉयोपोलर डिस्ऑर्डर आदि जैसी कई मानसिक बीमारियों को ठीक करने के लिए इस पद्धति का इस्तेमाल किया जाता है। इसके साथ ही व्यवहारगत समस्यायें, वाजिब भावनात्मक व्यवहार थेरेपी, तर्कसंगत व्यवहार थेरेपी, वाजिब लिविंग थेरेपी, संज्ञानात्मक थेरेपी, और द्वंद्वात्मक व्यवहार थेरेपी आदि भी इसका हिस्सा हो सकती हैं।
आयुर्वेद
आयुर्वेद भारत की प्राचीन चिकित्सा पद्धति है। इसमें सभी असाध्य रोगों का इलाज करने का दावा किया जाता है। इस चिकित्सा पद्धति को दुनिया भर में पसंद किया जाता है। विज्ञान भी इस पद्धति को महत्ता देता है। आयुर्वेद में कैंसर जैसी खतरनाक बीमारी का इलाज भी करने का दावा किया जाता है।
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