शिशु और छोटे बच्चों के सोने का कोई समय नहीं होता है। उन्हें जब नींद आती है वो सो जाते हैं। ऐसे में परिजनों की जिम्मेदारी है कि उनके बच्चों के लिए क्या सही है उन्हें वही करने दें। दोपहर में सोना शिशु के लिए हानिकारक साबित हो सकता है। मां अपने बच्चे को हर उस आदत से बचाएं रखती है, जिससे उसके शिशु को हानि हो। ऐसे में मां की जिम्मेदारी होती है कि वह अपने बच्चे को सही समय में दिलाए। वहीं, डॉक्टर्स भी शिशु को सही नींद लेने की सलाह देते है। क्योंकि सही समय पर नींद लेने से ही बच्चों का सही विकास होता है।
आजकल के तनाव भरे समय में लोगों में नींद की समस्या आम हो गई है। बहुत कम लोग होते हैं जो समय पर सोेते हैं और 7 से 8 घंटे की भरपूर नींद लेते हैं। दैनिक जीवन के काम का बोझ और आॅफिस व घर का तालमेल इंसान को मानसिक तौर पर इतना प्रभावित कर रहा है कि उसका सीधा असर नींद पर पड़ रहा है।
अक्सर देखा जाता है कि शिशु दोपहर के समय ज्यादा सोते है। मां भी अपने शिशु को दोपहर के समय सुला देती हैं। उन्हें लगता है कि अगर उनका बच्चा आराम करेगा तो स्वस्थ रहेगा। जबकि ऐसा नहीं है। दोपहर की नींद बच्चों की रात की नींद को काफी प्रभावित करती है। एक शोध के मुताबिक, दो साल की उम्र के बच्चों पर दोपहर की नींद का असर रात को दिखाई देता है। जो बच्चे दोपहर को अच्छी तरह सोते हैं, उनको रात के समय काफी दिक्कत आती है और अनिद्रा की समस्या से गुजरना पड़ता है। शोध ने यह भी कहा गया है कि बच्चे की दोपहर की नींद का उसके व्यवहार, विकास और संपूर्ण स्वास्थ्य पर काफी असर पड़ता है।
ऐसे अन्य स्टोरीज के लिए डाउनलोड करें: ओनलीमायहेल्थ ऐप
Read More Articles On Parenting In Hindi
How we keep this article up to date:
We work with experts and keep a close eye on the latest in health and wellness. Whenever there is a new research or helpful information, we update our articles with accurate and useful advice.
Current Version