ब्लैक, व्हाटइ, यलो के बाद अब कोरोना मरीज में सामने आया 'ग्रीन फंगस' का पहला मामला, जानें इसके लक्षण और बचाव

कोरोना कहर के बीच एक और फंगस का अटैक हुआ है। आम भाषा में इसे ग्रीन फंगस का नाम दिया गया है। चलिए जानते हैं इसके बारे में विस्तार से  
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ब्लैक, व्हाटइ, यलो के बाद अब कोरोना मरीज में सामने आया 'ग्रीन फंगस' का पहला मामला, जानें इसके लक्षण और बचाव

कोरोना की दूसरी लहर थमने का नाम नहीं ले रही है। हालांकि, पहले के मुकाबले कोरोना के मामले धीरे-धीरे कम हो रहे हैं, लेकिन अभी भी इसका प्रकोप जारी है। हर दिन हजारों की संख्या में नए केस सामने आ रहे हैं। इसी बीच कोरोना से रिकवरी के बाद लोगों में अन्य बीमारियां देखी जा रही हैं। इन्हीं बीमारियों में से एक और नई बीमारी सामने आई है, इसका नाम है ग्रीन फंगस। मध्य प्रदेश के इंदौर जिले में ग्रीन फंगस (Green Fungus First Case) का पहला केस सामने आया है। बता दें कि रिकवरी के बाद अब तक लोगों में ब्लैक फंगस (Black Fungus), व्हाइट फंगस (White Fungus) के मामले सामने आए थे, लेकिन इंदौर में यह पहला ऐसा मामला सामने आया है। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, कोरोना से रिकवरी के 90 दिन बाद यह मरीज ग्रीन फंगस की चपेट में आया है।

मरीज के फेफड़ों में मिला

मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, कोरोना से ठीक होने के बाद मरीज को अचानक से नाक से खून निकलने की समस्या और तेज बुखार हो गया था। साथ ही उसका वजन तेजी से घट रहा था, ऐसी स्थिति में डॉक्टरों को ब्लैक फंगस का शक हुआ, तो उन्होंने उसकी जांच की। जांच में पता चला कि मरीज के फेफड़ों और ब्लड में ग्रीन फंगस का अटैक हुआ है। चलिए मेदांता हॉस्पिटल के चेस्ट स्पेशलिस्ट डॉक्टर अरविंद कुमार से जानते हैं इस बारे में-

ग्रीन फंगस क्या है? (What is Green Fungus)

डॉक्टर अरविंद कुमार बताते हैं कि इन दिनों फंगस इंफेक्शन को कलर के आधार पर नाम दिया जा रहा है। इस वजह से लोगों में काफी ज्यादा कंफ्यूजन पैदा हो रही है। यह फंगस हमारे वातावरण में पहले से ही मौजूद है, लेकिन फिलहाल कोरोना वायरस की वजह से लोगों के सामने ज्यादा आ रही हैं। ग्रीन फंगस को मेडिकल भाषा में  एसपरजिलोसिस (aspergillosis) कहा जाता है, जो एसपरजिलस फंगस (Aspergillus Fungus) से उत्पन्न हुआ है। डॉक्टर का कहना है कि एसपरजिलस फंगस कई रंग के होते हैं। यह शरीर पर काली, हरी, भूरे और पीले रंग की देखी जा सकती है। यह फंगस फेफड़ों को प्रभावित करता है, इसकी वजह से फेफड़ों में मवाद भरने लगता है, जिसकी वजह से इस बीमारी का जोखिम बढ़ जाता है। डॉक्टर का कहना  है कि यह फंगस मरीजों को काफी तेजी से संक्रमित कर सकता है।

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क्या कहता है CDC ?

अमेरिकी सेंटर्स फॉर डिजीज एंड प्रिवेंशन के अनुसार, एसपरजिलस फंगस, लंग और शरीर के दूसरे अंग को प्रभावित कर सकता है। लेकिन यह एक संक्रामक बीमारी नहीं है। इससे एक इंसान से दूसरे इंसान में नहीं फैलता है। इसलिए इसे लेकर घबराने की जरूरत नहीं है।

किन लोगों को है ग्रीन फंगस का ज्यादा खतरा? (Risk of Green Fungus)

डॉक्टर का कहना है कि जिन लोगों को एलर्जी की समस्या पहले से होती है, उन्हें ग्रीन फंगस होने का खतरा ज्यादा रहता है। वहीं, अगर संक्रमित मरीज को निमोनिया हो गाए, या फिर शरीर में फंगस के बॉल बनने लगे, तो यह मरीज के लिए जानलेवा भी हो सकती है। इसके अलावा किडनी, लिवर, कैंसर रोगियों को भी ग्रीन फंगस होने का खतरा ज्यादा है। इस फंगस से बचाव के लिए इम्यूनिटी का मजबूत होता बहुत ही जरूरी है। 

ग्रीन फंगस के लक्षण (Symptoms of Green Fungus)

  • थकान और कमजोरी
  • नाक से खून बहना
  • तेज बुखार
  • वजन घटना
  • सांस लेने में दिक्कत
  • खांसी होना
  • नाक जमना
  • खांसी से खून आना 

इत्यादि लक्षण ग्रीन फंगस के हो सकते हैं। अगर आपको इन में से किसी तरह के लक्षण दिखे, तो फौरन अपना टेस्ट कराएं।

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कैसे करें ग्रीन फंगस से बचाव (Prevention of Green Fungus)

  • साफ-सफाई का ख्लाय रखें।
  • ओरल हाइजीन मेंटेन करें।
  • धूल-मिट्टी से दूर रहें।
  • इम्यूनिटी मजबूत करने वाली चीजें खाएं।
  • नियमित रूप से व्यायाम करें।
  • मास्क जरूर पहनें।
  • अपना हाथ और चेहरा साबुन से धोएं।
  • बाहर से लाई हुई साग-सब्जियों को अच्छी तरह धोकर खाएं।
  • बाहर से आए हुए सामान को सैनिटाइज करना न भूलें।
  • किसी तरह के लक्षण महसूस होने पर डॉक्टर से जरूर संपर्क करें।

ध्यान रखें कि कोरोना महामारी का प्रकोप अभी खत्म नहीं हुआ है। दूसरी लहर में कई लोगों की जान जा चुकी है। इसलिए भले ही कोरोना के केस कम हुए हैं, लेकिन अभी यह पूरी तरह से खत्म नहीं हुआ है। इसलिए सावधानी और सतर्क रहें। साफ-सफाई का ध्यान रखें। मास्क पहनें और कोरोना को लेकर सरकार द्वारा दिए जरूरी नियमों को फॉलो करें। इससे आपके और आपके परिवार की कोरोना और अन्य बीमारियों से सुरक्षा हो सकेगी।

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