छात्रों में आत्महत्या के मामले पिछले कुछ समय में तेजी से बढ़े हैं। इस साल कोटा में पढ़ने वाले कुल 23 छात्रों ने पढ़ाई के बोझ के चलते आत्महत्या कर ली। कोटा में एक छात्र ने कल भी आत्महत्या करने की कोशिश की, जिसके बाद इलाज के दौरान उसकी जान चली गई। आंकड़ों की मानें तो भारत में 13 हजार बच्चों ने आत्महत्या की थी। इन सभी पर चिंता जाहिर करते हुए केंद्र सरकार ने सुसाइड के मामले रोकने के लिए नई गाइडलाइन्स जारी की हैं।
गाइडलाइन को नाम दिया गया "उम्मीद"
दरअसल, शिक्षा मंत्रालय ने सुसाइड के मामलों को रोकने के लिए उम्मीद (UMMEED) नाम के तहत गाइडलाइन्स बनाई हैं। जिसमें छात्रों को समझाना, उन्हें प्रोत्साहित करना, उनकी समस्याओं को मैनेज करना, उन्हें सहानुभूति देना, उनकी स्किल्स को बढ़ाने के साथ ही उनके विकास के बारे में सोचना आदि शामिल है। इस गाइडलाइन के पीछे का मकसद बच्चों की मेंटल हेल्थ को करीब से समझना है। वहीं, गाइडलाइन के तहत परिजनों और अध्यापकों को भी इस विषय पर जागरूक करना है।
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क्या है गाइडलाइन्स?
- गाइडलाइन के तहत परिजन और अध्यापकों द्वारा बच्चों को इमोशनल सपोर्ट दिए जाए।
- सभी स्कूलों में प्रिंसिपल एक वेलनेस टीम गठित करने का सुझाव दिया गया है।
- अध्यापकों और और माता-पिता को ट्रेनिंग देने की भी बात कही गई।
- किशोरावस्था के दौरान छात्रों में हो रहे शारीरिक बदलाव को समझ विकसित की जाने की बात कही गई।
- स्कूलों को सुसाइड प्रिवेंशन के लिए प्लान ऑफ एक्शन बनाने के भी निर्देश दिए गए।
- छात्रों को वेलनेस टीम द्वारा काउंसलिंग भी दी जाएगी।

पिछले कुछ समय में बढ़े आत्महत्या के मामले
नेशनल क्राइम रिकॉर्ड ब्यूरो (National Crime Records Bureau) द्वारा जारी की गई एक रिपोर्ट की मानें तो साल 2020 में भारत में 11 हजार 396 बच्चों ने आत्महत्या कर जान दी। वहीं साल 2021 यानि कोरोना काल के बाद यह मामले बढ़कर 13 हजार तक पहुंच गए थे। हालांकि, इसमें छात्रों समेत युवा भी शामिल थे। इसे देखते हुए सरकार ने पहले भी सुसाइड से बचने के लिए हेल्पलाइन नंबर और कई कैंपेन चलाए हैं।