
Glaucoma Risk Factors: हर साल विश्व ग्लूकोमा सप्ताह मनाया जाता है। इस बार विश्व ग्लूकोमा सप्ताह 6-12 मार्च (World Glaucoma Week 2022) तक मनाया जा रहा है। इस सप्ताह का मुख्य उद्देश्य ऑप्टिक नर्व की जांच, नियमित आंखों की जांच को प्रोत्साहन देकर ग्लूकोमा से होने वाले अंधेपन को समाप्त करना है। ग्लूकोमा से दुनियाभर में करोड़ों लोग पीड़ित हैं, यह सभी उम्र के लोगों को प्रभावित कर सकता है। लेकिन कुछ ऐसे संवेदनशील लोग है, जिन्हें ग्लूकोमा होने का जोखिम अधिक बना रहता है। चलिए मणिपाल अस्पताल हेब्बल के कंसल्टेंट ऑप्थेल्मोलॉजी डॉक्टर मृदुला पी (Dr Mridula P Consultant-Opthalmology, Manipal Hospital Hebbal) से विस्तार से जानते हैं इस बारे में-
ग्लूकोमा क्या है? (What is Glaucoma)
ग्लूकोमा को काला मोतिया (Kala Motia ) भी कहा जाता है। इसके अधिकांश प्रकारों में कोई लक्षण नजर नहीं आता है। इसमें आंखों की ऑप्टिक नर्व क्षतिग्रस्त हो जाती है, इस स्थिति में आंखों की रोशनी जाने का खतरा रहता है। दरअसल, जब ऑप्टिक नर्व क्षतिग्रस्त हो जाती है, तो हमारे मस्तिष्क को संकेत मिलना बंद हो जाता है। ऑप्टिक नर्व, नर्व फायबर्स का एक बंडल है जो रेटिना को मस्तिष्क से जोड़ता है।
ग्लूकोमा का जोखिम (Glaucoma Risk Factors)
ग्लूकोमा आंखों से संबंधित एक स्थिति है। इस स्थिति के पैदा होने पर कोई लक्षण दिखाई दे, यह जरूरी नहीं होता है। लक्षण नजर आने से पहले ही कई बार आंखों की रोशनी चली जाती है। इन लोगों को ग्लूकोमा होने का जोखिम अधिक रहता है-
1. बढ़ती उम्र
ग्लूकोमा एक आम बीमारी है। यह बीमारी किसी भी उम्र के लोगों को हो सकती है। लेकिन 60 वर्ष से अधिक उम्र के लोगों में ग्लूकोमा होने की संभावना अधिक होती है। इस स्थिति में बुजुर्गों के आंखों की रोशनी भी जा सकती है।
2. पारिवारिक इतिहास
ग्लूकोमा अनुवांशिक भी हो सकता है। अगर घर में किसी सदस्य को ग्लूकोमा है, तो आपको यह समस्या होने का जोखिम बढ़ जाता है। परिवार में कभी किसी को ग्लूकोमा रहा हो, तभी भी इसका जोखिम अधिक रहता है।
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3. डायबिटीज (Diabetes)
डायबिटीज रोग भी ग्लूकोमा का कारण बन सकता है। जिन लोगों को डायबिटीज या मधुमेह है, उन्हें ग्लूकोमा होने का जोखिम अधिक रहता है। आपको अपना ब्लड शुगर लेवल कंट्रोल में रखना चाहिए।
4. हाइपरटेंशन (Hypertension)
जिन लोगों को हाइपरटेंशन की समस्या है, उनमें भी ग्लूकोमा होने का जोखिम अधिक रहता है। हृदय रोग होने पर भी ग्लूकोमा हो सकता है। इसलिए अपने हृदय को स्वस्थ रखने की कोशिश करें।
5. मायोपिया (Myopia)
मायोपिया आंखों का एक दोष है। इसमें निकट की चीजें साफ-साफ दिखाई देती हैं, लेकिन दूर की चीजें नहीं दिखाई देती हैं। यह स्थिति भी ग्लूकोमा के जोखिम को बढ़ाती है।
6. दवाइयां (Medication)
कई ऐसी दवाइयां भी हैं, जो ग्लूकोमा का कारण बनते हैं। इसमें कॉर्टिकोस्टेरॉइड आई ड्राप शामिल है। इसलिए आपको किसी भी दवाई का सेवन डॉक्टर की सलाह पर ही करना चाहिए।
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ग्लूकोमा से बचाव (Glaucoma Prevention)
डॉक्टर मृदुला पी बताती हैं कि ग्लूकोमा से बचाव के लिए आपको नियमित रूप से अपने आंखों की जांच करवाना जरूरी होता है। ग्लूकोमा होने पर लक्षण नजर नहीं आते हैं, ऐसे में समस्या धीरे-धीरे बढ़ती जाती है और आंखों की रोशनी तक चली जाती है। इससे बचने के लिए आप अपने आंखों की नियमित जांच करवाते रहें। आंखों को स्वस्थ रखने के लिए हेल्दी खाना खाएं।
ग्लूकोमा की स्थिति में लक्षण बहुत धीरे-धीरे नजर आते हैं। ऐसे में इस बीमारी का पता लगाना थोड़ा मुश्किल हो जाता है। नियमित आंखों की जांच से ही इस समस्या का पता लगाया जा सकता है। समय पर ग्लूकोमा का इलाज न कराने से आंखों की रोशनी भी जा सकती है। जितनी जल्दी ग्लूकोमा का पता चलता है, उतनी जल्दी इसका इलाज संभव हो पाता है।