आंखों की रोशनी कम होना हो सकता है ग्लूकोमा का संकेत, जानें इसके लक्षण और बचाव

ग्लूकोमा को आम भाषा में काला मोतिया भी कहा जाता है। हमारी आंख एक गुब्बारे की तरह होती है जिसके भीतर एक तरल पदार्थ भरा होता है। 
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आंखों की रोशनी कम होना हो सकता है ग्लूकोमा का संकेत, जानें इसके लक्षण और बचाव


ग्लूकोमा आंखों से जुड़ी एक बीमारी है, इसे आम भाषा में काला मोतिया भी कहा जाता है। आंखों में मौजूद तरल पदार्थ लगातार आंखों  के अंदर बनता रहता है और बाहर निकलता रहता है। आंखों के इस तरल पदार्थ के पैदा होने और बाहर निकलने की इस प्रक्रिया में जब कभी दिक्‍कत आती है तो आंखों में दबाव बढ़ जाता है। आमतौर पर ये आंखों पर ज्यादा भार पड़ने से होता है। ऐसा इसलिए क्योंकि हमारी आंखओं की नर्व काफी सेंसिटिव होती है। जिसकी वजह से ज्यादा भार पढ़ने से ये नर्व ब्लॉक हो जाती है। ये समस्या बढ़ने पर आंखों की रोशनी भी जा सकती है। 

आंखों पर दबाव पड़ने से ऑप्टिक नर्व डैमेज होने लगती है और ये वजह धीरे-धीरे आंखों की रोशिनी को भी खत्म करने का काम करती है। इसलिए जरूरी होता है कि समय रहते इसके लक्षणों को पहचान कर इसका इलाज करवाया जा सके। वैसे तो ग्लूकोमा दो तरह के होते हैं। एक ओपेन एंगल ग्लूकोमा दूसरा एंगल क्लोजर ग्लूकोमा। दोनों ही ग्लूकोमा के लक्षण और इलाज अलग-अलग तरह के होते हैं। आइए हम आपको इस लेख के जरिए बताने की कोशिश करते हैं कि दोनों प्रकार के ग्लूकोमा के लक्षण क्या होते हैं और इसका इलाज क्या है। 

ओपेन एंगल ग्लूकोमा क्या है?

ओपेन एंगल ग्लूकोमा आंखों में धीरे-धीरे फैलती रहती है जिसका किसी को भी नहीं पता चलता। जब आंखों पर भारीपन होता है तो उससे ऑप्टिक नर्व खराब हो जाती है जिसे ओपेन एंगल ग्लूकोमा कहा जाता है। ये बीमारी काफी आम हो गई है। इसके लक्षण आसानी से पता नहीं चलते। 

लक्षण 

  • हल्का सिर में दर्द। 
  • आंखों में भारीपन महसूस होना। 
  • बल्ब बुझने के कुछ देर बाद तक अंधापन रहना। 

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एंगल क्लोजर ग्लूकोमा क्या है? 

एंगल क्लोजर ग्लूकोमा ज्यादा खतरनाक नहीं है और इसका इलाज भी आसानी से उपलब्ध हो जाता है। लेकिन इसमें मरीज को ध्यान रखना बहुत जरूरी है। इसमें मरीज को अचानक अटैक भी पड़ता है और नजर कमजोर हो जाती है। इसके साथ ही सिर में दर्द भी तेज होता है। 

लक्षण

  • सिर में तेज दर्द होना।
  • आंखों का नंबर अचानक कम होना। 
  • अंधेरे में देर से नजर आना
  • रोशनी में अलग-अलग रंग दिखना। 

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ग्लूकोमा से बचाव 

  • ये एक प्रकार से जेनेटिक समस्या है, इसलिए अगर आपके घर में कोई बच्चा है तो उसकी नियमित रूप से आंखों की जांच कराएं। 
  • आंखों की एलर्जी, अस्थमा, चर्म रोग या किसी अन्य रोग के लिए स्टेरॉइड दवाओं का इस्तेमाल करने से आंखों में दिक्कत आ जाती है। ऐसी दवाईयों का इसतेमाल न करें।
  • आंखों में दर्द रहने या किसी तरह की एलर्जी होने पर अपने आप से किसी भी दवाई का इस्तेमाल न करें। आप ऐसे में तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें। 
  • आंखों में कभी किसी प्रकार की कोई सर्जरी हुई हो या कोई घाव हो गया हो तो उसकी जांच समय-समय पर करवाते रहें, क्योंकि सर्जरी से ग्लूकोमा होने का खतरा बढ़ जाता है।
  • हर दो साल में आंखों की नियमित जांच करवाएं। 
  • आंखों को पोषण देने वाले पोषक तत्वों  का सेवन करें। जैसे बादाम, दूध, संतरे का जूस, खरबूजे, अंडा, सोयाबीन का दूध, मूंगफली आदि का ज्यादा मात्रा में सेवन करना चाहिए। 

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