
गिलोय एक आयुर्वेदिक औषधि है। यह एक लता या बेल होती है जो की पेड़ों, दीवारों तथा गमले आदि में लगाने के बाद रस्सी के सहारे आसानी से ऊपर चढ़ जाती है यह पेड़ों पर चढ़ी हुई अक्सर पार्कों में दिखाई देती है। गिलोय जिस पेड़ को आधार बनाती है उसके गुण भी इसमें समाहित हो जाते हैं। जैसे कि नीम के पेड़ पर चढ़ी हुई गिलोय में नीम के गुण आ जाते हैं।
भारत के अलग अलग राज्यों में गिलोय को अलग अलग नामों से जाना जाता है जैसे अमृता, गुडूची, चक्रांगी, गुलांचा, गुरूच, गारो, गुर्जो, गुलुची आदि| लेकिन उत्तर भारत में ज्यादातर लोग इसे गिलोय के नाम से ही जानते हैं| इसलिए इस लेख में हम गिलोय या गुडूची नाम का ही प्रयोग करेंगे|
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इन बीमारियों में भी है गिलोय मददगार
गिलोय सभी प्रकार के बुखार में फायदेमंद होती है। विशेष रूप से डेंगू, चिकनगुनिया, स्वाइन फ्लू से बचाव, चिकित्सा तथा रोग होने के बाद साइड इफेक्ट्स को दूर करने में अति उपयोगी है तथा सर्दी, खांसी,जुकाम में भी फायदेमंद है। ज्वर निवारण के अतिरिक्त किसी भी लंबी व्याधि के बाद हुई दुर्बलता को मिटाने के लिए भी रसायन के तौर पर गिलोय प्रयुक्त होती है। सभी प्रकार के जीर्ण ज्वरों को दूर करने में गिलोय बहुत फायदेमंद है।
गिलोय एक रसायन के रूप में काम करती है। यह शरीर में जाकर खून को साफ़ करती है।
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गिलोय से करें स्किन एलर्जी का इलाज
गिलोय का सेवन त्वचा के लिए भी बहुत फायदेमंद है। गिलोय के नित्य प्रयोग से शरीर में कान्ति आती है। इम्यून सिस्टम मजबूत करती है। डेंगू व स्वाइन फ्लू जैसे मौसमी रोगों, डायबिटीज, घुटनों में दर्द, मोटापा और खुजली की समस्या में आराम पहुंचाती है। इसके तने का 4-5 इंच का टुकड़ा लेकर कूट लें और एक गिलास पानी में उबालें। पानी की मात्रा आधी रहने पर छानकर पीने से लाभ होगा।
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