
डायबिटीज के मामले जैसे-जैसे तेजी से बढ़ रहे हैं लोगों में गैस्ट्रोपैरीसिस (Gastroparesis)की भी समस्या तेजी से आम हो गई है। यह समस्या आपके पेट के जल्दी न खाली होने की क्षमता से जुड़ी हुई है, जिसके कारण लोगों को मतली, उल्टी, भूख न लगना, पेट का फूलना और पेट में दर्द जैसे परेशानियों का सामना करना पड़ता है। अगर आपको डायबिटीज है तो गैस्ट्रोपैरीसिस के कारण आपको इसे कंट्रोल करना मुश्किल हो जाएगा। दरअसल गैस्ट्रोपैरीसिस की समस्या गंभीर होने जाने से आपके लिए अपना ब्लड शुगर कंट्रोल करना बेहद मुश्किल हो जाएगा। दरअसल होता यूं है कि समय के साथ डायबिटीज आपके शरीर के अंगों को प्रभावित करने लगता है। आपका पेट कितनी तेजी से खाली होता है यह वैगस (vagus) तंत्रिका पर निर्भर करता है लेकिन जब यह क्षतिग्रस्त हो जाती है, तो आपका पाचन तंत्र की प्रक्रिया धीमी हो जाती है और भोजन आपके शरीर में ज्यादा समय तक बना रहता है, जिसके कारण जी मिचलाना और मतली जैसे महसूस होने लगता है और यह आपके ब्लड शुगर के स्तर पर काफी बुरा प्रभाव पड़ता है।
गैस्ट्रोपैरीसिस की समस्या टाइप-1 डायबिटीज के मरीजों में सामान्य पाई जाती है। हालांकि टाइप 2 डायबिटीज के मरीजों में भी ये समस्या हो सकती है। इस बात पर भी ध्यान देने की जरूरत है कि वे व्यक्ति जो करीब 10 वर्षों तक डायबिटीज से परेशान रहा हो उसमें गैस्ट्रोपैरिसिस की जटिलताओं की संभावनाएं अधिक होती हैं। अगर आप सोच रहे हैं कि गैस्ट्रोपैरीसिस की समस्या के संकेत क्या हैं, इसके कारण क्या हैं और इससे बचाव का तरीका क्या है तो हम आपको इस समस्या से जुड़ी महत्वपूर्ण जानकारी देने जा रहे हैं।
गैस्ट्रोपैरीसिस के संकेत (Gastroparesis Signs)
- पेट का फूलना।
- हाइपोग्लाइसीमिया।
- खाना खाते वक्त पहले ही पेट भर जाना।
- जी मिचलाना।
- वजन घटना।
- उल्टी।
- पेट में दर्द।
गैस्ट्रोपैरीसिस के कारण (Gastroparesis Causes)
- पार्किंसंस रोग।
- पेट सर्जरी।
- ज्यादा धूम्रपान करना।
- आंत्रशोथ।
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डायबिटिक गैस्ट्रोपैरीसिस एक पाचन तंत्र विकार है, जिसकी वजह से लोगों को अपच की समस्या होने लगती है। अगर आप इस बीमारी से बचे रहना चाहते है, तो अपनी जीवनशैली में कुछ बदलाव कर इसे बचा जा सकता है। इसके अलावा अगर आपको इस समस्या से जुड़े संकेत दिखाई देते हैं आप तुरंत डॉक्टर से सलाह लें और डॉक्टर इस समस्या के लक्षणों के आधार पर कुछ जांच की सलाह दे सकता है।
- शारीरिक परीक्षा।
- बेरियम एक्स-रे।
- रेडियोआइसोटोप गैस्ट्रिक।
- गैस्ट्रिक मैनोमेट्री।
- इलेक्ट्रोगैस्ट्रोग्राफी।
- अल्ट्रासाउंड।
- एंडोस्कोपी।
- पेट या छोटी आंत की बायोप्सी।
गैस्ट्रोपैरीसिस का इलाज (Gastroparesis Treatment)
गैस्ट्रोपैरीसिस का हालांकि कोई इलाज नहीं है, लेकिन इसके लक्षणों की पहचान कर इलाज किया जा सकता है। इसके अलावा आप कुछ बातों का ध्यान रख इस बीमारी से बच सकते हैं।
- कच्चे खाद्य पदार्थ
- डॉक्टर से नियमित रूप से ब्लड शुगर की जांच कराते रहे।
- उन दवाओं के सेवन को रोकना चाहिए या बदलना चाहिए जिससे गैस्ट्रोपैरीसिस हो सकती है।
- उच्च फाइबर, उच्च वसा वाले खाद्य पदार्थ खाएं क्योंकि इन्हें पचाने में अधिक समय लगता है।
- ब्रोकोली, डेयरी उत्पाद, जैसे कि दूध और आइसक्रीम का प्रयोग करें।
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गैस्ट्रोपैरीसिस से बचाव (Gastroparesis Prevention)
- धीरे-धीरे खाएं और पीएं।
- कार्बोनेटेड पेय और बीयर से बचें।
- गम और हार्ड कैंडी को छोड़ दें।
- धूम्रपान न करें।
- दांतों की जांच करें।
- दिल की धड़कन पर ध्यान दें।
- कम वसायुक्त खाद्य पदार्थ खाएं।
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