सर्दियां आते ही अस्थमा रोगियों की दिक्कत बढ़ जाती है। इस मौसम में धुंध, कोहरा, धंआ और अन्य कारकों से सांस संबंधी समस्या होने लगती है। सर्दियों में अलाव भी अस्थमा रोगियों के लिए बहुत खतरनाक होता है। अलाव जलाने पर उसमें से कॉर्बन मोनो ऑक्साइड नाम की खतरनाक और जहरीली गैस निकलती है जो हमारी सेहत के लिए बेहद हानिकारक होती है। ऐसे में बंद कमरे में तो इनका इस्तेमाल नहीं ही करना चाहिए, साथ ही खुले माहौल में भी इस गैस से बचने की हरसंभव कोशिश करनी चाहिए। अस्थमा के रोगियों के लिए यहां हम कुछ ऐसी जरूरी बातें बता रहे हैं जिनका सर्दियों में विशेषकर ध्यान रखने की जरूरत है।
अलाव से बचें
विशेषज्ञों के मुताबिक, अगर आप कहीं पर भी कोयला और लकड़ी को जला रहे हैं। वहां वेंटिलेशन का इंतजाम जरूर करें। मतलब हवा के बाहर निकलने का ठीक तरह से इंतजाम न हो तो हमारी जान जाने का खतरा बढ़ जाता है। ऐसे माहौल में हम ऑक्सीजन के साथ कॉर्बन मोनो ऑक्साइड भी ग्रहण करने लगते हैं। आग के सामने बैठने से गला सूखने लगता है। जो अस्थमा रोगियों के लिए बहुत ही खतरनाक है।
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नाक से सांस लें
हमेशा नाक से सांस लें। मुंह खोलकर कभी भी सांस न लें, क्योंकि आप जब मुंह खोलकर सांस लेते हैं तो बहुत सारे बैक्टीरिया मुंह से अंदर चले जाते हैं। जो आपके फेफड़ों के लिए हानिकारक हैं। इससे बचने के लिए जरूरी है कि आप नाक से सांस लें और छोड़ें। घर से बाहर निकलें तो मास्क का प्रयोग करें।
टीके लगवाएं
सर्दियों में अस्थमा को नियंत्रित रखने के लिए सर्दियों का मौसम शुरू होने के पर फ्लू और निमोनिया के टीके लगवाएं। द सेंटर फॉर डिजीज कंट्रोल एंड प्रिवेंशन (सीडीसी) के अनुसार सर्दियों में होने वाले मौसमी बुखार और सर्दी-जुकाम से बचने के लिए बच्चों और बड़ों को हर साल फ्लू के टीके लगवाने चाहिए।
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साफ सफाई विशेष ध्यान रखें
अस्थमा रोगियों के लिए जरूरी है कि वह अपने आसपास साफ सफाई का विशेष ध्यान रखें। घर को डस्ट फ्री बनाएं। समय-समय पर घर के पर्दे, चादर और तकिए का कवर की धुलाई जरूर करें। घर में अगर कुत्ते या बिल्ली है तो उससे दूरी बनाकर रखें। एयर कंडीशन से बचें।
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अस्थमा के लक्षण
अस्थमा ज्यादातर धीरे-धीरे उभरता है, लेकिन कई मामलों में ये अचानक भी भड़कता है। इसके एकाएक भड़कने से पहले खांसी का दौरा होता है। आइये जानते हैं अस्थमा होने पर आपके शरीर में उसके क्या क्या प्रभाव पड़ते हैं।
- अस्थमा से पीड़ित व्यक्ति को सबसे पहली दिक्कत खांसी की होती है। ये खांसी दिन भर हो सकती है लेकिन रात में इसका दौरा तेज हो जाता है।
- अस्थमा मुख्य रूप से श्वास से जुड़ा रोग है। जिस व्यक्ति को अस्थमा हो जाए उसे हमेशा के लिए सांस संबंधी परेशानियां घर लेती है। रोगी को सांस लेने में कठिनाई होती है। वह घरघराहट या आवाज के साथ सांस लेता है। इस दौरान उसे शरीर के अंदर खिंचाव हो सकता है।
- अस्थमा के प्रभाव से सीने में जकड़न या फिर कसावट महसूस हो सकती है। साथ ही, रोगी बेचैनी और थकावट महसूस करता है।
- अस्थमा से गला बहुत प्रभावित होता है। वो हमेशा के लिए संवेदनशील हो जाता है। थोड़ी सी एलर्जी इस समस्या को और बढ़ा सकती है। इसके रोगी के गले में अक्सर खुजली व दर्द का होता है।
- अस्थमा के रोगी को उल्टी भी हो सकती है। कई बार सिर भारी लग सकता है।