दुनियाभर में बढ़ता प्रदूषण एक बड़ा खतरा है। प्रदूषण की वजह से लोग कई गंभीर बीमारियों का शिकार हो रहे हैं। बढ़ते वायु प्रदूषण की वजह से फेफड़ों से जुड़ी बीमारियां, अस्थमा, सांस लेने में तकलीफ, आंखों में जलन, गले में इन्फेक्शन और टीबी जैसी गंभीर बीमारियां हो रही हैं। बढ़ते प्रदूषण के खतरे को देखते हुए वैश्विक स्तर पर इससे निपटने के लिए कई संस्थाएं काम कर रही है। लेकिन सिर्फ इतना ही नहीं है, प्रदूषण न सिर्फ आपको शरीर से जुड़ी गंभीर बीमारियों का शिकार बना रहा है बल्कि इसकी वजह से आपके मानसिक स्वास्थ्य पर बुरा असर पड़ रहा है। ब्रिटिश मेडिकल जर्नल में प्रकाशित एक रिपोर्ट के मुताबिक दुनियाभर में 18 साल से लेकर 25 साल की उम्र के युवाओं को प्रदूषण की वजह से कई मानसिक समस्याएं हो रही हैं। क्लाइमेट चेंज,ग्लोबल वार्मिंग और कई गंभीर बीमारियों के अलावा प्रदूषण लोगों के मानसिक स्वास्थ्य को बुरी तरह से प्रभावित कर रहा है। बढ़ते प्रदूषण के कारण युवाओं को ईको एंग्जायटी (Eco-Anxiety in Hindi) की समस्या हो रही है। आइये विस्तार से जानते हैं ईको एंग्जायटी के कारण, लक्षण और बचाव के उपाय के बारे में।
क्या है ईको एंग्जायटी? (What is Eco-Anxiety?)
बढ़ता प्रदूषण शरीर को गंभीर बीमारियों का शिकार तो बना ही रहा है लेकिन इसके साथ ही यह मानसिक समस्याओं का कारण भी है। जलवायु परिवर्तन, ग्लोबल वार्मिंग और वायु प्रदूषण के बढ़ते स्तर की वजह से लोगों के मानसिक स्वास्थ्य पर बुरा असर पड़ रहा है। अमेरिकन साइकियाट्रिक एसोसिएशन (एपीए) के मुताबिक ईको एंग्जायटी एक ऐसी स्थिति है जो बढ़ते प्रदूषण और जलवायु परिवर्तन की वजह से लोगों में चिंता का कारण बनता है। इसकी वजह से लोगों में एक अनिश्चित डर का माहौल पैदा होता है जिसकी वजह से मानसिक स्वास्थ्य पर असर पड़ता है। एंग्जायटी का शिकार होने पर लोगों का कामकाज भी प्रभावित हो रहा है और इसकी वजह से शारीरिक स्वास्थ्य पर भी असर पड़ रहा है। ईको एंग्जायटी कुछ समय पहले मनोवैज्ञानिकों ने दिया है और इसको लेकर दुनियाभर में काफी चर्चा हो रही है। ईको एंग्जायटी की वजह से आपको ट्रॉमा, तनाव, चिंता, डिप्रेशन और डर की भावना ज्यादातर 18 साल से 25 साल की उम्र के लोगों में देखने को मिल रहा है।
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ईको एंग्जायटी के कारण (Eco-Anxiety Causes in Hindi)
पर्यावरण से जुड़े मुद्दों पर चिंता, बढ़ते प्रदूषण की वजह से शरीर और सेहत पर पड़ रहे प्रभाव के कारण लोग ईको एंग्जायटी का शिकार हो रहे हैं। इनमें से सबसे ज्यादा प्रभावित लोगों में 18 साल से 25 साल की उम्र के युवा प्रभावित हो रहे हैं। इसके अलावा ब्रिटिश मेडिकल जर्नल में प्रकाशित शोध के मुताबिक पर्यावरण में हो रहे बदलाव, ग्लोबल वार्मिंग और पर्यावरण से जुड़े संकट की वजह से लोगों में भविष्य, नौकरी और आने वाले समय में पैदा होने अन्य संकटों की वजह से ईको एंग्जायटी लोगों में तेजी से फैल रही है। इसकी वजह से लोगों में चिंता पैदा होने के एक कारण यह भी है कि लोग मानते हैं कि वे इसे रोकने के लिए कुछ कर भी नहीं हैं।
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ईको एंग्जायटी के लक्षण (Eco Anxiety Symptoms in Hindi)
बढ़ते प्रदूषण और पर्यावरण से जुड़े बदलाव की वजह से इंसानों पर कई तरह के प्रभाव पड़ रहे हैं। इनमें से एक प्रमुख प्रभाव ये भी है कि इसकी वजह से लोगों में ईको एंग्जायटी की समस्या उभर रही है। ईको एंग्जायटी की वजह लोगों में दिखने वाले लक्षण इस प्रकार से हैं।
- अत्यधिक चिंता
- भय और अनिश्चित डर की भावना
- बराहट की भावनाएं
- नींद की समस्या
- भूख में परिवर्तन
- ध्यान केंद्रित नहीं कर पाना
ईको एंग्जायटी से बचने के उपाय (Eco Anxiety Prevention Tips in Hindi)
ईको एंग्जायटी से बचने के लिए आपको सबसे पहले अपने खानपान और स्वास्थ्य पर ध्यान देना चाहिए। इसके अलावा अगर आप अपने डेली रूटीन से कुछ समय निकाल सकते हैं तो खुद को पर्यावरण से जुड़े किसी न किसी काम में लगाना चाहिए। इसके अलावा स्ट्रेस या एंग्जायटी जैसी मानसिक समस्या से बचाव के लिए इन बातों का ध्यान जरूर रखें।
- शराब और स्मोकिंग से दूरी बना लेनी चाहिए।
- कॉफी और कैफीन युक्त चीजों का सेवन कम करें।
- कल या भविष्य की अधिक चिंता न करें।
- नकारात्मक परिस्थिति और नकारात्मक विचारों से दूरी बनाएं।
- स्वस्थ और संतुलित आहार का सेवन करें।
- नियमित रूप से व्यायाम जरूर करें।
ईको एंग्जायटी की वजह से सबसे ज्यादा 18 से 25 साल के युवाओं पर असर देखने को मिल रहा है। ऐसे में अगर आपको इसकी वजह से गंभीर समस्या हो रही है तो मनोवैज्ञानिक चिकित्सक से संपर्क जरूर करना चाहिए।
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