
वात (Vata), पित्त (Pitta) और कफ (Kapha) हमारी शरीर में मौजूद अंदरूनी उर्जा हैं, जो हमारी शरीर में होने वाली क्रियाओं का संचालन करते हैं। आयुर्वेद (Ayurved) में इसे बहुत महत्तवपूर्ण माना जाता है। इसे त्रिदोष भी कहा जाता है। इन्हें शरीर का मूल आधार माना जाता है। यह तो आप जानते ही होंगे कि हमारे शरीर की बनावट पांच तत्वों से मिलकर हुई है हवा, पानी, पृथ्वी, आकाश और अग्नि से। हवा और आकाश मिलकर आपकी शरीर में वात बनाते हैं। अग्नि और पानी से मिलकर हमारी शरीर में पित्त बनता है और ऐसा माना जाता है कि जल और पृथ्वी मिलकर शरीर में कफ की मात्रा बनाते हैं। शरीर में होने वाली बहुत सी क्रियाएं हैं, जिनके बारे में हमें सही जानकारी नहीं होती है। कफ की समस्या अधिकांश छोटे बच्चों में देखी जाती है। वात, पित्त और कफ का शरीर में संतुलित (Balance) रहना बहुत आवश्यक होता है। इन तीनों का संतुलन बिगड़ने से आपकी शरीर में कई प्रकार की क्रॉनिक बीमारियां (Chronic Diseases) उत्पन्न हो सकती हैं। शरीर में वायु और कफ का संतुलन हमारे पाचन तंत्र (Digestive System) को दुररस्त रखने में मदद करते हैं। शरीर में इनकी मात्रा संतुलित न रहने से आप पीलिया से लेकर अर्थराइटिस (Arithritis) जैसी बीमारियों की चपेट में भी आ सकते हैं। वात, पित्त और दोष एक नहीं बल्कि कई प्रकार के होते हैं। हालांकि इन दोषों को संतुलित आहार, दिनचर्या में सुधार करकर और कुछ योगासन कर आसानी से कंट्रोल किया जा सकता है। आइये जानते हैं इन दोषों को घरेलू नुस्खे अपनाकर कैसे निजात पाएं।
इन चीजों का करें सेवन
पारिजात (Parijat)
पारिजात (Parijat) एक प्रसिद्ध पौधा है, जो बंगाल, असम, मध्य प्रदेश आदि जगहों पर पाया जाता है। आयर्वेद में इसे वात, पित्त और कफ को संतुलित रखने के लिए बेहद लाभदायक औषधि माना जाता है। पारिजात को हरसिंगार (Harsingar) के नाम से भी जाना जाता है। त्रिदोश के असंतुलित होने पर आयर्वेदाचार्यों द्वारा भी इसका सेवन करने की स लाह दी जाती है। इसमें मौजूद खास गुण आपके त्रिदोष को संतुलित करते हैं। आप चाहें तो इसका काढ़ा या इसका रस बनाकर भी पी सकते हैं। इससे इसमें मौजूद गुण आपकी शरीर में आसानी से अवशोषित हो जाते हैं। यह त्रिदोष को संतुलित करने के साथ-साथ आपके बुखार, मल, मूत्र आदि की समस्याओं में भी काफी असरदार है।
लहसुन (Garlic)
सुबह खाली पेट लहसुन (Consume Garlic Anti Stomach) का सेवन करने के फायदे तो आप जानते ही होंगे। आयुर्वेद में लहसुन को वात नाशक कहा जाता है। वात रोगों से पीड़ित मरीजों को सुबह खाली पेट लहसुन की 2 से 3 कली का सेवन करना चाहिए। इससे उनके वात के संतुलन में सुधार होगा। कच्चे लहसुन का इस्तेमाल आपको सर्दी जुकाम से लेकर कैंसर जैसी समस्याओं से लड़ने में भी मदद करता है। यह आपका ब्लड सर्कुलेशन बेहतर करने के साथ ही आपको दिल की तमाम बीमारियों से भी बचाता है। लहसुन में आयरन, कैल्शियम,फॉसफोरस और पोटेशियम (Pottassium) भरपूर मात्रा में उपलब्ध होते हैं। इसके नियमित उपयोग से आपको वात रोग नहीं होंगे।
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गिलोय (Giloy)
गिलोय को त्रिदोष नाशक माना जाता है। यह वात, पित्त और कफ तीनों दोषों के रोगों में ही फायदेमंद है। त्रिदोश में शामिल रोग जैसे शरीर में गुबार, जोड़ों में दर्द आदि होने पर आपको सुबह के समय कम से कम 4 से 6 चम्मच गिलोय के रस का सेवन करना चाहिए। आयुर्वेद की मानें तो वात रोगों से पीड़ित लोगों को गाय के घी के साथ गिलोय का प्रयोग करना चाहिए। वहीं पित्त रोगों की समस्याओं में गुण या शक्कर के साथ गिलोय का रस पीने से आपकी समस्या दूर हो सकती है। साथ ही कफ रोगों की बात करें तो कफ के मरीजों को गिलोय का सेवन थोड़ी शहद मिलाकर करना चाहिए। गिलोय यह आपकी रोग प्रतिरोधक क्षमता को मजबूत करने के साथ ही आपको अर्थराइटिस समेत हड्डियों के तमाम विकारों को दूर करने में आपकी मदद करता है।
एलोवेरा जूस (Aloevera Juice)
एलोवेरा त्वचा के लिए कितना फायदेमंद है यह तो आप सभी जानते होंगे, ठीक उसी प्रकार खाली पेट इसका सेवन आपके वात, पित्त और कफ के लिए भी फायदेमंद है। खाली पेट एलोवेरा का ताजा रस पीने से आपके त्रिदोश का नाश हो जाता है। इसमें मौजूद एंटी इंफ्लेमेटरी गुण और एंटी बेक्टीरियल गुण आपकी शरीर में मौजूद तीनों दोषों को संतुलित करते हैं। समुचित मात्रा में एलोवेरा के रस का सेवन करना आपको पित्त और कफ के रोगों से राहत दिलाता है।
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दिनचर्या में इन्हें करें शामिल (Include them in daily Routine)
आयुर्वेद की मानें तो रोगों का सीधा संबंध हमारी दिनचर्या से भी होता है। कई बार दिनचर्या और खान पान में सुधार लाने से भी वात, पित्त और कफ के दोषों में राहत मिलती है। सुबह उठकर खाली पेट लहसुन (Garlic) की कली का सेवन करें, कुछ देर बाद गर्म पानी या अदरक पानी का सेवन करें। अदरक खाने में गर्म होती है। साथ ही इसमें मौजूद ऐंटीऑक्सीडेंट, जिंजरोल और फाइबर आदि आपको त्रिदोश से लड़ने में सहायता देंगे। साथ ही भोजन भी संतुलित मात्रा में ग्रहण करें। इन दोषों को जड़ से खत्म करने के लिए अपनी शारीरिक गतिविधियों पर नजर रखें।
वात पित्त और कफ का संतुलन शरीर की गतिविधियों को बढ़ाने के लिए अति आवश्यक है। इन तीनों को संतुलित करने के लिए आप इस लेख में दिए गए घरेलू और आयुर्वेदिक नुस्खों का प्रयोग कर सकते हैं।
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