गंभीर बीमारियों का कारण बन सकता है कच्चा दूध पीना, शोध में हुआ खुलासा

कच्चा दूध पीना शरीर में एंटीमाइक्रोबियल रेजिस्टेंस जीन को पैदा कर सकता है, इसलिए कच्चा दूध पीना हो तो उसे फ्रिज में रख कर बाद में पिएं।
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गंभीर बीमारियों का कारण बन सकता है कच्चा दूध पीना, शोध में हुआ खुलासा


दूध एक पौष्टिक भोजन है, जिसमें एक अच्छी मात्रा में प्रोटीन, विटामिन, खनिज और फैटी एसिड पाए जाते हैं। लेकिन हाल ही में आया शोध कच्चे दूध के सेवन को लेकर असहमति जताता है। दरअसल कच्चा दूध वह होता है, जिसे पास्चुरीकृत या होमोजेनाइज्ड नहीं किया गया है। जबकि कच्चे दूध को लेकर इसका पक्ष लेने वालों का दावा है कि पास्चुरीकरण करना दूध में पोषण संबंधी लाभों को समाप्त कर देता है लेकिन हाल ही में आए शोध ने इसे गलत बताया है। उनका तर्क है कि कच्चे दूध में हानिकारक बैक्टीरिया हो सकते हैं जो गंभीर बीमारियों का कारण बन सकते हैं। उनके अनुसार, पाश्चराइजेशन दूध पोषण मूल्य को कम किए बिना, इन जीवाणुओं को मारता है। इसलिए बिना रेफ्रिजरेट किए बिना कभी भी कच्चा दूध कभी न पिएं।

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क्या कहता है शोध

कैलिफोर्निया विश्वविद्यालय, डेविस (University of California, Davis) के शोधकर्ताओं द्वारा किया गया अध्ययन, माइक्रोबायोम पत्रिका में प्रकाशित हुआ है। शोध बताता है कि अगर आपको कच्चा दूध पीना पसंद है, तो शोधकर्ता एंटीबायोटिक-प्रतिरोधी जीवाणुओं वाले बैक्टीरिया के जोखिम को कम करने के लिए इसे आपके रेफ्रिजरेटर में रखें औ तब पिएं। शोध में बताया गया है कि कैसे गायों के दूध को कमरे के तापमान पर छोड़ दिया जाए, तो यह रोगाणुरोधी प्रतिरोध जीन के साथ बैक्टीरिया को बढ़ा सकता है। बैक्टीरिया जो रोगाणुरोधी-प्रतिरोधी जीन (antimicrobial-resistant genes) को परेशान करते हैं, उन्हें अन्य बैक्टीरिया में स्थानांतरित कर सकते हैं और संभावित बीमारी फैला सकते हैं।

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क्या कच्चे दूध में अधिक प्रोबायोटिक्स होते हैं?

कच्चे दूध के अधिवक्ताओं का दावा है कि इसमें प्रोबायोटिक्स या स्वस्थ बैक्टीरिया की प्रचुर मात्रा है, लेकिन यूसी डेविस शोधकर्ताओं ने ऐसा नहीं पाया। इसके विपरीत, शोधकर्ताओं ने पाया कि यदि कमरे के तापमान पर छोड़ दिया जाता है, तो कच्चा दूध पेस्टिसाइज्ड दूध की तुलना में अधिक रोगाणुरोधी-प्रतिरोधी जीन (antimicrobial-resistant genes) बनाता है। शोधकर्ताओं ने उल्लेख किया कि रोगाणुरोधी-प्रतिरोधी जीन (antimicrobial-resistant genes) के साथ बैक्टीरिया के रोग संक्रमण को फैलाता है, इस तरह इसमें सुपरबग्स बनने की क्षमता होती है। अनुमान बताते हैं कि प्रत्येक वर्ष लगभग 3 मिलियन लोगों को एंटीबायोटिक-प्रतिरोधी संक्रमण मिलता है, और 35,000 से अधिक लोग इसके शिकार होते हैं।

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लंबे समय तक दूध को बाहर रखने से बैक्टीरिया बढ़ने लगते हैं

यूसी डेविस के शोधकर्ताओं ने कहा कि दूध को फ्रिज के बाहर रखने से न केवल यह खराब हो सकता है बल्कि एंटीबायोटिक प्रतिरोधी रोगाणुओं की वृद्धि भी हो सकती है। अध्ययन के लिए, उन्होंने 2,000 से अधिक खुदरा दूध के नमूनों का विश्लेषण किया, जिसमें कच्चे और पाश्चुरीकृत दूध दोनों शामिल थे। वे यह जानकर आश्चर्यचकित थे कि कमरे के तापमान पर छोड़ दिए जाने पर कच्चे दूध में एंटीबायोटिक-प्रतिरोधी रोगाणुओं की अधिकता थी।

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कुछ लोग जानबूझकर कच्चे दूध को कमरे के तापमान पर किण्वन होने के लिए घंटों तक रखते हैं और इसे क्लैबर के रूप में जाना जाता है। लेकिन यूसी डेविस के शोधकर्ताओं ने चेतावनी दी कि कच्चे दूध के थक्के खाने से आंत में रोगाणुरोधी-प्रतिरोधी जीन की बाढ़ आ सकती है। इसलिए, शोधकर्ता उपभोक्ताओं को सुझाव देते हैं कि यदि वे कच्चे दूध को किण्वित करना चाहते हैं तो वे स्टार्टर कल्चर का उपयोग करें। इससे दूध को संक्रमित करने के लिए बैक्टीरिया के हेल्दी इस्तेमाल होता है। हालांकि, अध्ययन में यह नहीं कहा गया है कि कच्चे दूध में एंटीबायोटिक-प्रतिरोधी जीन मनुष्यों के लिए स्वास्थ्य जोखिम में बदल सकते हैं या नहीं। शोधकर्ताओं ने कहा कि एंटीबायोटिक प्रतिरोधी जीन और स्वास्थ्य जोखिम के बीच संबंध को पूरी तरह से समझने के लिए अधिक काम करने की जरूरत है।

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