फटा हुआ दूध भी सेहत के लिए है फायदेमंद, इम्यूनिटी बढ़ाने के साथ कम करता है शरीर का कॉलेस्‍ट्रोल

फटे हुए दूध को फेंकने से पहले आपको इसके इन लाभों के बारे में जानना चाहिए। साथ ही आप इन्हें कई तरह के व्यजनों में भी शामिल कर सकते हैं।
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फटा हुआ दूध भी सेहत के लिए है फायदेमंद, इम्यूनिटी बढ़ाने के साथ कम करता है शरीर का कॉलेस्‍ट्रोल

गर्मी के दिनों में अक्सर दूध फट जाता है। ऐसे में हम में से कई लोग इसके कड़वे या खट्टे स्वाद के कारण खाना पसंद नहीं करते हैं। हम इसका पनीर निकाल कर बाकी बचे दूध और पानी को फेंक देते और इस पनीर का सब्जी बना कर खा लेते हैं। वहीं कुछ लोगों को इससे बने पनीर का स्वाद खट्टा सा लगता है, तो वो इसे भी फेंक देते हैं। जबकि इसका खट्टापान इसे और हेल्दी प्रोबायोटिक फूड के रूप में तैयार करता है, जो पेट के लिए बेहद फायदेमंद होता है। वहीं फटे हुए दूध के फायदे अनेक हैं, जो हम और आप जानते भी नहीं हैं। तो आइए आज हम आपको विस्तार से फेट हुए दूध के फायदे (benefits of sour milk) बताते हैं।

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फेट हुए दूध के फायदे (benefits of sour milk)

इम्यूनिटी बढ़ाने के लिए है फायदेमंद

फटा हुआ दूध विटामिन बी-समूह (विशेष रूप से विटामिन बी 2, बी 5 और बी 12) के विभिन्न विटामिनों से भरपूर है। उनमें से कुछ मूल दूध से आते हैं और कुछ जीवित लैक्टिक एसिड बैक्टीरिया द्वारा उत्पन्न होते हैं। वहीं फर्मेंटेट हो जाने के कारण दूध उत्पादों की संरचना में लैक्टिक एसिड विभिन्न पाचन ग्रंथियों के कार्यों को उत्तेजित करता है, इसलिए यह पाचन प्रक्रिया को बढ़ावा देता है। इससे गट बैक्टीरिया को फायदा पहुंचता है और इम्यूनिटी बेहतर (sour milk to boost immune system) होती है। वहीं इसमें अच्छी मात्रा में प्रोबायोटिक बैक्टीरिया भी होते हैं, जो इम्यूनिटी बढ़ाने के लिए भी जाने जाते हैं। वहीं इसके एंटीबायोटिक प्रभाव से हम कई तरह के संक्रमणों से बचे रह सकते हैं।

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पेट के लिए है फायदेमंद

फटा हुआ दूध पचाने में आसान होता है और हमारा पाचन तंत्र इसे आसानी से आत्मसात कर सकता है। इसके अलावा, वे भूख में सुधार करते हैं, पेनक्रियाज और लीवर के कार्यों और पित्त के स्राव को उत्तेजित करते हैं। दरअसल फटे हुए दूध में थोड़ी अम्लीयता भी होती है, जो दही की आंशिक खूबियों से भी भरा होता है, इस तरह इनकी संरचना अमीनो एसिड के समान हो जाती है और ये हमारे रक्तप्रवाह में अच्छी तरह से अवशोषित हो जाते हैं। 

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मौसमी एलर्जी से बचाता है फटा हुआ दूध

फटे हुए दूध में 2.9% प्रोटीन होता है। जीवित कैक्टिक बैक्टीरिया की गतिविधि के कारण ये दूध कैसिइन की कुछ हद तक परिवर्तित अवस्था होती है, जो एलर्जी की संभावनाओं को कम करती है। ताजा दूध में प्रोटीन की तुलना में फटा हुआ दूध प्रोटीन के कम एलर्जी का कारण बनता है।

कम रहता है कॉलेस्‍ट्रोल 

अगर आप फटे हुए दूध का सेवन करते हैं, तो कॉलेस्‍ट्रोल लेवल कंट्रोल (sour milk to reduce cholesterol levels) में रहता है। कॉलेस्‍ट्रोल नियंत्रण रहेगा, तो आप हार्ट से संबंधित समस्याओं जैसे हार्ट अटैक और स्‍ट्रोक आदि से बचे रहेंगे। फटे हुए दूध के पानी में ढेर सारा प्रोटीन होता है। रोजाना इसका सेवन करने से आपकी मांसपेशियों की ताकत भी बढ़ती है।

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कम कैलोरी वाला होता है फटा हुआ दूध

2.5% फैट से भरपूर फटा हुआ दूध बहुत अधिक खाने पर भी कम कैलोरी ही मिलती है। ऐसे में वजन बढ़ने से परेशान लोगों के लिए भी ये बहुत फायदेमंद है। जिन्हें दूध चीनी पचाने में समस्या है उन्हें अन्य किण्वित दूध उत्पादों के मामले में, खट्टा दूध की उपयुक्तता पर जोर देना चाहिए। खट्टा दूध में लैक्टोज की मात्रा कम होती है, पर खनिजों की बात करें तो, खट्टा दूध में काफी मात्रा में कैल्शियम, पोटेशियम, मैग्नीशियम, फास्फोरस, सल्फर और सोडियम यौगिक होते हैं। इससे से सेलेनियम, आयरन, मोलिब्डेनम, कोबाल्ट और आयोडीन जैसे सूक्ष्मजीवों की एक छोटी मात्रा मिलती है।

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