बच्चों को घर में अक्सर कभी पढ़ाई न करने के कारण, कभी खिलौने तोड़ने पर तो कभी शैतानी करने पर मार पड़ती है। जब बच्चे अपने बड़ों का कहना नही मानते हैं तो उनकी जमकर पिटाई होती है। इस तरह की सजा बच्चों उनके पापा, मम्मी या फिर घर के अन्य लोग देते हैं। ज्यादातर लोग यही सोचते हैं कि पिटाई से बच्चे सुधर जाएंगे, जबकि ऐसा बिल्कुल भी नही है। जो लोग बच्चों को पीटते हैं वो कहीं न कहीं उनके साथ ज्यादती ही करते हैं। इससे बच्चे या तो आक्रामक होते हैं या फिर उनमें दब्बूपना आ जाती है। जबकि ये दोनों चीजें उनके लिए हानिकारक होती है, इसका बच्चों पर क्या असर पड़ता है आइए इस लेख से जानते हैं।
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बच्चों को पीटने का क्या है कारण
आमतौर पर माता-पिता को लगता है कि बच्चों को मारने से वह सुधर जाएंगे। डर के कारण बच्चे दोबारा कोई गलती नही करेंगे। लेकिन ऐसा बिल्कुल भी नहीं है। जानकारों की मानें तो बच्चों पर हाथ उठाना उन्हें मानसिक रूप से कमजोर बनाता है। कभी-कभी जोर की मार से उन्हें शारीरिक रूप से क्षति भी पहुंचती है। जबकि बच्चों पर हाथ ना उठाकर यदि प्यार से समझाया जाए तो उन पर सकारात्मक प्रभाव पड़ता है और वह समझते भी हैं। उनके साथ होने वाली हिंसा से वह गलत रास्ते पर जा सकते हैं। मार खाने से बच्चों का आत्मविश्वास भी कम होता है।
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शोध के मुताबिक
अमेरिका में हुए एक अध्ययन के मुताबिक, मार-पीट से बच्चे में सुधार की गुंजाइश ज्यादा नहीं होती और मार खाने के 10 मिनट के अंदर ही बच्चा दोबारा शैतानी करना शुरु कर देता है। सर्दन मेथाडिस्ट यूनीवर्सिटी के शोधर्कतओं के अगुवा डॉ जार्ज होल्डेन कहते हैं कि ज्यादा मारने से बच्चों में व्यवहार संबंधी समस्याएं पैदा हो जाती है जैसे कुछ बच्चे ज्यादा आक्रामक हो जाते हैं। शोध के मुताबिक, बच्चों की पिटाई उन्हें डरपोक बना सकती है। उनके अंदर निर्णय लेने की क्षमता में कमी आ सकती है।
इसलिए अगर आप अपने बच्चों को मारते-पीटते हैं तो अपनी इस आदत को बदल दीजिए, उन्हें प्यार से समझाइए, वो आपकी बातों को जरूर मानेंगे।
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