
खराब खान-पान और लाइफस्टाइल की वजह से अधिकतर लोगों को पाचन से जुड़ी समस्याओं का सामना करना पड़ता है। इसमें एसिडिटी भी शामिल है। जब की गैस्ट्रिक ग्लैंड, एसिड का अधिक उत्पादन करने लगती है, तो इसी स्थिति को एसिडिटी कहते हैं। एसिडिटी बनने पर पेट और सीने में जलन होने लगती है। साथ ही अपच, हार्टबर्न, गैस्ट्रिक सूजन जैसे लक्षणों का भी सामना करना पड़ता है। वैसे तो एसिडिटी की समस्या किसी भी व्यक्ति को हो सकती है। लेकिन इन 4 बीमारियों वाले लोगों को एसिडिटी की समस्या का सामना ज्यादा करना पड़ता है। तो चलिए, जानते हैं इन बीमारियों के बारे में-
इन 4 बीमारियों वाले लोगों को होती है एसिडिटी
1. पेप्टिक अल्सर
पेप्टिक अल्सर एक दर्दनाक बीमारी है। इसमें खुले घाव होते हैं, जो पेट की अंदरूनी परत और छोटी आंत के ऊपरी हिस्से में बनते हैं। पेप्टिक अल्सर वाले लोगों को कई दिक्कतों का सामना करना पड़ सकता है। पेट दर्द पेल्टिक अल्सर का सबसे आम लक्षण है। लेकिन जिन लोगों को पेप्टिक अल्सर होता है, उन्हें पेट में जलन यानी एसिडिटी की समस्या भी हो सकती है। इसके अलावा पेट का फूलना, उल्टी, मतली और वजन कम होना भी पेप्टिक अल्सर के लक्षण हो सकते हैं।
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2. हर्निया
हर्निया एक गंभीर स्थिति होती है। इसमें शरीर का कोई आंतरिक अंग दूसरे हिस्से में पहुंच जाता है। हर्निया की समस्या बेहद पीड़ादायक हो सकती है। इस स्थिति में व्यक्ति को पेट में असहनीय दर्द हो सकता है। इसके अलावा हर्निया से पीड़ित लोगों को एसिडिटी या पेट में जलन का भी सामना करना पड़ता है। यानी हर्निया की बीमारी वाले लोगों को एसिडिटी की समस्या ज्यादा हो सकती है। उल्टी, मुंह का खराब स्वाद और खट्टी डकारें भी हर्निया के लक्षण होते हैं।
3. अस्थमा
अस्थमा की बीमारी से पीड़ित लोगों को भी एसिडिटी से परेशान होना पड़ सकता है। इसे दमा और सांस फूलने की बीमारी भी कहा जाता है। अस्थमा वाले लोगों को सांस फूलने, सांस लेने में दिक्कत, अत्यधिक खांसी जैसे लक्षणों का सामना करना पड़ सकता है। इसके अलावा इन लोगों को थकान भी अधिक बनी रहती है। एसिडिटी की समस्या भी अस्थमा वाले रोगियों में देखने को मिल सकती है। लेकिन ऐसा सभी मामलों में नहीं होता है।
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4. पित्त वाले लोगों में
आयुर्वेद के अनुसार जिन लोगों को पित्त बढ़ने की दिक्कत होती है, उन्हें भी एसिडिटी की समस्या से ज्यादा परेशान होना पड़ता है। दरअसल, जब शरीर में पित्त बढ़ता है, तो गर्मी बढ़ने लगती है। इसकी वजह से व्यक्ति को पेट और सीने में जलन महसूस हो सकती है। साथ ही पाचन से जुड़ी समस्याएं भी परेशान कर सकती हैं। अगर आप भी पित्त प्रकृति के हैं, तो इसे कंट्रोल में रखना बहुत जरूरी है। अन्यथा आपकी दिक्कत बढ़ सकती है।