मानसिक रूप से स्वस्थ रहना आज के समय पर बहुत जरूरी है, ऐसा इसलिए क्योंकि ज्यादातर लोग भागदौड़ भरी जिंदगी के कारण तनाव की स्थिति का सामना कर रहे हैं। ये सच है कि बदलते जीवनशैली के कारण बहुत से लोगों को तनाव या अवसाद की स्थिति का शिकार होना पड़ रहा है। इस दौरान सिर्फ मानसिक बीमारियां ही नहीं बल्कि शारीरिक बीमारियां भी उन्हें अपना शिकार तेजी से बना रही है। कई ऐसी बीमारियां है जो न केवल शारीरिक रूप से आपको नुकसान पहुंचाती है बल्कि वो आपके मानसिक स्थिति को भी बिगाड़ने का काम करती है। जी हां, कई ऐसी बीमारियां है जो आपको मानसिक रूप से प्रभावित कर सकती है, जिसके लिए जरूरी है कि आप समय पर अपना बचाव करें। इस विषय पर हमने बात की इंस्टीट्यूट ऑफ साइकोमेट्रिक असेसमेंट एंड काउंसलिंग की अध्यक्ष और माइंड डिजायनर डॉक्टर कोमलप्रीत कौर से। जिन्होंने बताया कि कौन सी ऐसी बीमारियां है जिनके कारण मरीजों को मानसिक रूप से भी प्रभावित होना पड़ रहा है।
अवसाद (Depression)
अवसाद एक ऐसी स्थिति है जिसमें मरीज को कई तरह की गंभीर स्थितियों का सामना करना पड़ता है। अगर डिप्रेशन के दौरान मरीज को सही समय पर इलाज नहीं दिया गया तो इससे उसकी जान को भी खतरा होता है। एक्सपर्ट के मुताबिक, अवसाद की प्रक्रिया बहुत छोटे तरीके से होती है इसमें कोई भी हो सकता है। लोगों जब तनाव में होते हैं तो उन्हें इस स्थिति का अंदाजा नहीं होता और जब वो एक लंबे समय तक तनाव में रहते हैं तो ये धीरे-धीरे अवसाद में बदल जाता है। जिसके कारण मरीज का मानसिक और शारीरिक बर्ताव बदलने लगता है। इसमें मरीज को याददाश्त की कमी, नींद की कमी, कुछ समझने की कमी, ध्यान लगाने में असफल होना जैसी कई समस्याओं का सामना करना पड़ता है।
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डायबिटीज (Diabetes)
अगर आप डायबिटीज का शिकार हैं और अगर अपने डायबिटीज को नियंत्रित नहीं रखते तो इससे आपके ब्रेन को सीधा नुकसान होता है। जी हां, एक्सपर्ट कोमलप्रीत के मुताबिक, जब मरीज के रक्त शर्करा का स्तर का काफी कम होने लगता है तो इससे मरीज के मस्तिष्क पर सीधा प्रभाव होता है। इतना ही नहीं जब आपका ब्लड शुगर लेवल कम होने लगता है तो इससे आपको कई तरह के लक्षण भी दिखाई दे सकते हैं। जैसे: मूड में बदलाव, सिरदर्द, चक्कर आना। अगर किसी मरीज का ब्लड शुगर बहुत ज्यादा कम या अचानक से ज्यादा होता है तो इससे मरीज के कोमा जाने की संभावना भी बढ़ जाता है।
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हृदय रोग (Heart Disease)
हृदय स्वास्थ्य का ख्याल रखना बच्चे और बड़े दोनों के लिए ही बहुत जरूरी होता है, आपको बता दें कि तेजी से लोग हृदय रोग का शिकार हो रहे हैं। ऐसे में हृदय रोग का इलाज शुरुआती दौर में इसके लक्षण को पहचानने के साथ किया जाना चाहिए। कुछ हृदय रोग भी मरीज को दिमागी रूप से कमजोर बनाने के साथ उन्हें मानसिक रूप से बीमार बनाते हैं। कई अध्ययन में ये बात सामने आई है कि जो लोग हृदय की गंभीर स्थिति का सामना कर रहे होते हैं उन लोगों के सोचने और याददाश्त की स्थिति खराब होने लगती है।
ब्रेन ट्यूमर (Brain Tumor)
ब्रेन ट्यूमर भी एक खतरनाक बीमारी है जिसका सही समय पर इलाज जरूरी है, एक्सपर्ट का कहना है कि ब्रेन ट्यूमर कोई ऐसी स्थिति नहीं कि जिसका इलाज न हो। बल्कि समय पर डॉक्टर से संपर्क करने पर मरीज को बचाया जा सकता है और स्वस्थ किया जा सकता है। लेकिन ब्रेन ट्यूमर आपके मस्तिष्क को प्रभावित कर सकता है, जिसके कारण आपको याददाश्त की कमी और कुछ भी बोलने या समझने में परेशानी हो सकती है। एक्सपर्ट बताते हैं कि जिन लोगों को ब्रेन ट्यूमर होता है उनमें से कई लोगों के साथ ये समस्या देखी जाती है कि उन्हें याददाश्त की कमी रहती है और किसी से भी बात करने के दौरान बोलने और समझने में परेशानी हो सकती है। कई बार मरीज इस दौरान अजीब सी बात करते हुए भी दिखाई देते हैं।
अंधापन (Blindness)
आंखें हमारे शारीरिक स्वास्थ्य के उन जरूरी और नाजुक अंगों में से एक है, इसलिए डॉक्टर और एक्सपर्ट की सलाह होती है कि हमेशा हमे अपनी आंख का ख्याल रखना चाहिए और नियमित रूप से इसकी जांच करानी चाहिए। आंखों के कुछ रोग ऐसे हैं जो मरीज के ब्रेन पर सीधा प्रभाव डालते हैं। इसमें अंधापन भी एक ऐसी स्थिति है जो मरीज के दिमाग की क्षमता पर बुरा असर डालने का काम करता है। अंधेपन और मानसिक स्थिति को लेकर अध्ययन भी सामने आए हैं जिसमें वैज्ञानिकों ने इस बात की पुष्टि की है कि अंधापन मस्तिष्क में कई तरह के संरचनात्मक परिवर्तन का कारण बन सकता है।
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आंखों से जुड़ी अन्य समस्याएं (Eye Problems)
भैंगापन और टोसिस जैसी आंखों की बीमारियां या स्थिति भी मरीज के दिमाग से जुड़ी हुई होती है। हालांकि, एक्सपर्ट का कहना है कि अभी भैंगेपन और टोसिस जैसी बीमारियां ब्रेन पर किस तरह से बुरा असर डालती है इसपर अभी शोध जारी है, लेकिन एक्सपर्ट मानते हैं कि भैंगेपन और टोसिस के कारण पीड़ित के मस्तिष्क को प्रभावित होना पड़ता है।
मोटापा (Obesity)
मोटापा सिर्फ आपके शारीरिक स्वास्थ्य पर बुरा असर नहीं डालता बल्कि ये आपके मानसिक स्वास्थ्य को भी नुकसान पहुंचाने का काम करता है। अध्ययन में ये साबित हुआ है कि मोटापे के कारण दिमाग सिकुड़ने लगता है जिसके कारण कई तरह की मानसिक समस्याएं होने लगती है। एक्सपर्ट के मुताबिक, दिमाग में मौजूद वाइट मैटर एक संवेदनशील टीशू होता है जो मोटापे के साथ सिकुड़ने लगता है जिसकी वजह से दिमाग पर असर पड़ता है।
खून के थक्के (Blood Clots)
खून के थक्के शरीर में किसी भी हिस्से पर हो सकते हैं, ये न केवल आपके शरीर में बल्कि ये आपके मस्तिष्क में भी हो सकते हैं। खून के थक्कों के कारण मरीज के शरीर में खून का संचार बाधित होता है जिसके कारण मस्तिष्क में भी खून के संचार की कमी के कारण ऑक्सीजन की कमी देखने को मिलती है। इस स्थिति में भूलने की समस्या, सिरदर्द और कुछ भी बोलने में परेशानी हो सकती है। समय पर डॉक्टर से संपर्क न करने पर इसके गंभीर परिणाम भी हो सकते हैं।
एचआईवी (HIV)
एक्सपर्ट के मुताबिक, एचआईवी वैसे तो तंत्रिका को सीधे तौर पर नुकसान नहीं पहुंचाता कुछ कोशिकाओं को संक्रमित कर उनके कार्य में बाधा पैदा करता है। ऐसे हो ये मस्तिष्ति और रीढ़ की हड्डी में सूजन को पैदा करने का काम करता है जिसके कारण कई लोगों को याददाश्त की कमी होने लगती है, कुछ को ध्यान केंद्रित करने में परेशानी होती है तो किसी को मूड खराब होने के लक्षण दिखाई देते हैं।
सेरेब्रोवास्कुलर रोग (Cerebrovascular Disease)
सेरेब्रोवास्कुलर रोग कई स्थितियों, रोगों और विकारों का एक समूह है जो मरीज के दिमाग में रक्त वाहिकाओं और रक्त के संचार को प्रभावित करता है। इस रोग के कारण कई तरह के शारीरिक और मानसिक स्थितियां सामने आ सकती है, दिमाग में इसके कारण खून के थक्के भी पैदा हो सकते हैं।
बचाव
- नियमित रूप से व्यायाम जरूरी करें, एकस्पर्ट के मुताबिक किसी भी रोग से खुद को स्वस्थ रखने और बचाने के लिए जरूरी है कि आप रोजाना व्यायाम करें। इससे आपके शरीर में रक्त का संचार भी बेहतर होता है और तनाव जैसी कई मानसिक स्थितियों से बाहर निकल सकते हैं।
- बीमारियों और गंभीर स्थितियों से बचाव के लिए सबसे अच्छा विकल्प है कि आप अपनी डाइट को हेल्दी बनाएं रखें। जिसमें आप बहुत सारे फल और सब्जियों को शामिल कर नियमित रूप से इनका सेवन करें।
- किसी भी तरह के लक्षण को नजरअंदाज करने से बेहतर है कि आप तुरंत किसी डॉक्टर से संपर्क कर अपनी स्थिति के बारे में जानकारी दें।