डायबिटीज अर्थात मधुमेह एक तैजी से बढ़ता रोग है। इसके तीन मुख्य प्रकार क्रमशः टाइप 1 डायबिटीज़, टाइप 2 डायबिटीज़ तथा गर्भावधि मधुमेह होते हैं। चलिये विस्तार से जानें डायबिटीज के प्रकार और इनसी जुड़ी महत्वपूर्ण जानकारियां।
टाइप 1 डायबिटीज़
यह एक असंक्रामक या स्वप्रतिरक्षित रोग है। स्वप्रतिरक्षित रोग का प्रभाव जब शरीर के लिए लड़ने वाले संक्रमण, प्रतिरक्षा प्रणाली के खिलाफ होता है तो यह स्थिति टाइप1 डायबिटीज़ की होती है। टाइप 1 डायबिटीज़ में प्रतिरक्षा प्रणाली पाचनग्रंथियां में इन्सुलिन पैदा कर बीटा कोशिकाओं पर हमला कर उन्हें नष्ट कर देती है। इस स्थिति में पाचन ग्रंथिया कम मात्रा में या ना के बराबर इन्सुलिन पैदा करती हैं। टाइप 1 डायबिटीज़ के मरीज़ को जीवन के निर्वाह के लिए प्रतिदिन इन्सुलिन की आवश्यकता होती है।
वैज्ञानिक अब तक ठीक प्रकार से यह पता नही कर पाए हैं कि शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली पर बीटा कोशिकाओं के हमले का क्या कारण है। लेकिन वे यह मानते है कि इसके आनुवांशिक और पर्यावरण कारक भी हो सकते हैं। टाइप 1 डायबिटीज़ का लगभग 5 से 10 प्रतिशत इलाज अमेरिका में है। यह मुख्य रूप से बच्चों और वयस्कों में मिलता है। लेकिन यह किसी भी उम्र में हो सकता है ।
टाइप 1 डायबिटीज़ के लक्षण आमतौर पर कम समय मे ही विकसित हो जाते है, हालांकि बीटा कोशिकाएं बीमारी की शुरूवात मे ही विनाश का कारण हो सकती है।
टॉप स्टोरीज़
टाइप 1 डायबिटीज़ के लक्षण
प्यास और पेशाब का बढ़ना
निरन्तर भूख लगना
वजन कम होना
दृष्टि में धुंधलापन आना
ज्यादा मोटापा
अगर इन्सुलिन के साथ इसका इलाज न किया जाए, तो डायबिटिक की जिंदगी डायबिटिक कोमा में जा सकता है जिसे कीटोएसीडोसिस कहते है।
टाइप 2 डायबिटीज़
टाइप 2 डायबिटीज़ सामान्य मधुमेह का एक प्रकार है। लगभग 90 से 95 प्रतिशत लोगो में टाइप 2 डायबिटीज़ पाया जाता है। मधुमेह का यह लक्षण वृद्धावस्था में पाया जाता है। परिवार में पहले से किसी को मधुमेह हो, पहले किसी को गर्भावधि मधुमेह हुआ हो, शारीरिक असक्रियता और किसी भी रूप में मधुमेह के लक्षण हो सकते है। लगभग 50 प्रतिशत लोगों को अधिक मोटापे के कारण टाइप 2 डायबिटीज़ होता है। टाइप 2 डायबिटीज़ का इलाज बच्चों और किशोरो में तेजी से मुख्यत: अफ्रीकी अमेरिकी, मैक्सिकन अमेरिकी और प्रशांत द्वीप के बच्चो मे किया जा रहा है।
टाइप 2 डायबिटीज़ का इलाज सम्भव है। यह पाचन ग्रन्थियो में अधिक मात्रा में इन्सुलिन उत्पन्न करती है, लेकिन बिना किसी कारण के शरीर इन्सुलिन के प्रयोग करने मे सफल नहीं होता। उस स्थिति को इन्सुलिन प्रतिरोध शक्ति कहा जाता है। इसका परिणाम टाइप 1 डायबिटीज़ की तरह रक्त में ग्लूकोज़ का बनना और शरीर का उसको सही रूप में प्रयोग ना कर पाना है।
टाइप 2 डायबिटीज़ मे यह लक्षण धीरे–धीरे विकसित होते है ।टाइप 1 डायबिटीज़ की तरह इसका प्रभाव अचानक नहीं होता ।
इसके लक्षण हैं
मोटापा
जल्दी पेशाब आना
प्यास और भूख का बढ़ना
वजन कम होना
दृष्टि में धुंधलापन आना
- घाव ठीक होने में समय लगना या चिड़चिडापन
गर्भावधि मधुमेह
कुछ महिलाओ में गर्भावधि मधुमेह गर्भावस्था में देर से विकसित होता है। हालांकि इस अवस्था का प्रभाव शिशु के जन्म के बाद खत्म हो जाता है। गर्भावस्था के दौरान महिलाओं को 5 से 10 वर्ष के अन्दर 40 से 60 प्रतिशत प्रकार 2 मधुमेह होने के आसार होते है। उचित शारीरिक वजन और शारीरिक सक्रियता लाकर गर्भावधी मधुमेह को विकसित होने से रोकने मे मदद मिलती है।
संयुक्त राज्य अमेरिका में लगभग 3 से 8 प्रतिशत गर्भवती महिलाओ में गर्भावधि मधुमेह पाया गया है। टाइप 2 डायबिटीज़ प्राय: कुछ जाति समुदायों और उन महिलाओं मे होता है जिनके परिवार मे पहले भी यह किसी को हुआ हो। गर्भावधि मधुमेह का कारण गर्भावस्था में हार्मोन्स का असंतुलन या इन्सुलिन की कमी के होता है।
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