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रूट कैनाल vs फिलिंग: डैमेज दांतों के इलाज के ल‍िए कौन सा ट्रीटमेंट कब क‍िया जाता है? एक्‍सपर्ट से जानें 

Root Canal vs Filling: रूट कैनाल गहरी कैविटी में होता है, जबकि फिलिंग हल्की सड़न में। रूट कैनाल जड़ साफ कर सील करता है, फिलिंग केवल भराव करता है।
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रूट कैनाल vs फिलिंग: डैमेज दांतों के इलाज के ल‍िए कौन सा ट्रीटमेंट कब क‍िया जाता है? एक्‍सपर्ट से जानें 


हमारी मुस्कान ही हमारे चेहरे की खूबसूरती बढ़ाती है, लेकिन जब दांतों में दर्द या सड़न शुरू होती है, तो यह न सिर्फ तकलीफदेह होता है बल्कि सही समय पर इलाज न करने से समस्या और बढ़ सकती है। अक्सर लोग समझ नहीं पाते कि दांतों की किस समस्या के लिए रूट कैनाल कराना बेहतर होगा या सिर्फ फिलिंग से काम चल जाएगा। दोनों ही डेंटल ट्रीटमेंट्स हैं, लेकिन इनका इस्‍तेमाल अलग-अलग स्थितियों में किया जाता है। कई बार लोग बिना सही जानकारी के छोटे-मोटे दर्द को नजरअंदाज कर देते हैं, जिससे आगे चलकर रूट कैनाल जैसी जटिल प्रक्रिया की जरूरत पड़ सकती है। वहीं, कुछ लोग हल्की कैविटी में भी डरकर रूट कैनाल कराने की सोचने लगते हैं, जबकि केवल फिलिंग ही काफी होती है। अगर आप भी अपने दांतों की सेहत को लेकर सचेत हैं और यह समझना चाहते हैं कि कब रूट कैनाल की जरूरत होती है और कब केवल फिलिंग से समस्या हल हो सकती है, तो यह लेख आपके लिए है। आइए, विस्तार से जानते हैं कि इन दोनों डेंटल ट्रीटमेंट्स में क्या अंतर है, इनकी प्रक्रिया कैसी होती है और किन स्थितियों में कौन सा ट्रीटमेंट सही रहता है। इस व‍िषय पर बेहतर जानकारी के ल‍िए हमने लखनऊ के इन्‍द‍िरा नगर में स्‍थ‍ित शेखर डेंटल क्‍लीन‍िक के डॉ अनुभव श्रीवास्‍तव से बात की।

डेंटल फिलिंग क्या होती है?- What is Dental Filling

फिलिंग एक सामान्‍य डेंटल ट्रीटमेंट है, जिसका इस्‍तेमाल तब किया जाता है जब दांत में हल्की या उससे ज्‍यादा कैविटी हो या दांतों में छोटे-छोटे छेद हुए हों। इसमें डेंटिस्ट प्रभावित हिस्से को साफ करके उसे किसी डेंटल फिलिंग मटेरियल जैसे सिल्वर या अन्‍य सामग्र‍ियों से भर देता है। इससे कैविटी आगे नहीं बढ़ती और दांत मजबूत बना रहता है।

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फिलिंग की जरूरत कब पड़ती है?- When Dental Filling is Required

  • जब दांत में हल्की सड़न हो
  • छोटे-छोटे क्रैक्स या छेद हों
  • सेंसिटिविटी महसूस हो लेकिन गहराई तक न पहुंची हो
  • दांत की जड़ को नुकसान न पहुंचा हो

रूट कैनाल क्या होता है?- What is Root Canal

जब दांत की कैविटी या इन्फेक्शन जड़ (पल्प) तक पहुंच जाता है, तो केवल फिलिंग से काम नहीं चलता। इस स्थिति में रूट कैनाल ट्रीटमेंट (RCT) किया जाता है। इसमें डेंटिस्ट प्रभावित दांत की जड़ से संक्रमित टिशू को निकालकर, उसकी सफाई कर, उसे एक विशेष मटेरियल से भरता है और फिर सील कर देता है। इससे दांत को बचाया जा सकता है और एक्सट्रैक्शन की जरूरत नहीं पड़ती।

रूट कैनाल की जरूरत कब पड़ती है?- When Root Canal is Required

रूट कैनाल vs फिलिंग- Difference Between Root Canal and Filling

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  • जरूरत: फ‍िल‍िंग की जरूरत हल्‍की कैव‍िटी में होती है जबक‍ि रूट कैनाल की जरूरत गहरी कैव‍िटी या इंफेक्‍शन के दौरान होती है।
  • प्रक्र‍िया: फ‍िल‍िंग में दांत को साफ करके गैप में मटेर‍ियल भर द‍िया जाता है, वहीं रूट कैनाल में संक्रम‍ित नसें हटाकर दांत को सील कर द‍िया जाता है।
  • समय: आमतौर पर फ‍िलि‍ंग में 30 से 60 म‍िनट लगते हैं और रूट कैनाल में 1 से 2 सेशन लग सकते हैं। हालांक‍ि अगर ज्‍यादा दांत खराब हैं, तो ज्‍यादा समय लगेगा।
  • पैसे: फ‍िल‍िंग कम खर्चीला प्रोसेस है जबक‍ि रूट कैनाल में 50 हजार से 1 लाख तक लग सगते हैं।
  • र‍िकवरी और दर्द: फ‍िल‍िंग में हल्‍का दर्द होता है और मरीज जल्‍दी ठीक हो जाता है वहीं रूट कैनाल में थोड़ा ज्‍यादा दर्द होता है और र‍िकवरी में 1 से 2 हफ्ते या महीने भर का समय लग सकता है।

अगर दांत में हल्की कैविटी है, तो फिलिंग ही सही विकल्प है, लेकिन अगर दर्द लगातार बना हुआ है और जड़ तक इंफेक्‍शन फैल गया है, तो रूट कैनाल जरूरी हो जाता है। सही समय पर इलाज लेने से दांतों को ज्यादा नुकसान से बचाया जा सकता है।

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image credit: putneydentalcare.com

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