इंसान और चिम्पांजी के दिमाग में अंतर

मानव शास्त्र में हुए एक अध्‍ययन में पता चला है कि मानव और चिम्पांजी के दिमाग में बहुत अंतर है ।
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इंसान और चिम्पांजी के दिमाग में अंतर


Chimpanzeeमानव शास्त्र में किया हुआ एक नए अध्ययन ने हमारे बढते हुए दिमाग और हमारे सबसे करीबी जानवर रिश्तेदार चिम्पांजी में बहुत अंतर बताया है । शोध यह बताते हैं इंसान और चिम्पांजी का क्रमिक विकास एक दूसरे से बहुत समीप है पर फिर भी इन दोनों प्रजातियों के दिमाग एक समान बूढ़े नहीं होते हैं ।हालाँकि इंसान का जीवन चक्र लंबा होता है और क्रमिक विकास ने उनके लंबे जीवन में भी मदद की है लेकिन इसके बदले में इंसान के  दिमाग में उम्र बढ़ने से नुक्सान होने लगता है और इसमें पहचानने और याद रखने की काबिलियत खत्म हो जाती है ।इसी के विपरीत चिम्पांजी में बढती उम्र के साथ दिमाग में क्षति नहीं होती है।



इससे काम के पहले चिम्पांजी के दिमाग से सम्बन्धित हमे ज्यादा बाते पता नहीं थी। पर वैज्ञानिकों, शोधको, मानव शास्त्र विशेषज्ञ, जानवर विज्ञान विशेषज्ञ और जीव शास्त्र विशेषज्ञ के एक दल ने इस धारणा को बदल दिया है। वे अपने मकसद के लिए  यह मानकर चले थे की वे कुछ ऎसी शोध करेंगे जिनको देखकर वे इंसान और चिम्पांजी के बढते दिमाग में समानता और अंतर ढूंढ पाए ।इसलिए उन्होंने मेगनेटिक रीसोनेंस इमेजिंग का प्रयोग किया जिसमे की की उन्होंने चिम्पांजी के दिमाग के विभिन्न हिस्सों को देखा जिसमे था फ्रंटल लोब का वाईट मेटर , फ्रंटल लोब का ग्रे मेटर , टोटल नीओकोर्तिकल  वाईट मेटर और हिप्पोकेम्प्स को देखा ।इस शोध के दौरान हिपोकेम्प्स को विशेष महत्व दिया गया है  क्योंकि यह कम समय और ज्यदा समय तक रहने वाली याददास्त के लिए ज़िम्मेदार रहता है ।



बहुत जांच और अंतर करने के बाद यह साबित हो गया की इंसान अपने लंबे जीवन के लिए कीमत चुकाते हैं ।इंसानी दिमाग में बूढ़े होने की प्रक्रिया कुछ इस प्रकार है  की हालाँकि लोग लंबे समय के लिए जीते हैं लेकिन इस समय के साथ जो तंत्रिका कोशिकाए हैं वे फिर से नहीं बन पाती हैं ।इसकी वजह से कुछ मानसिक रोग जैसे की एल्जायमर्स और डिमेंशिया हो सकता है ।एक चिम्पांजी का जीवन चक्र उसके कुदरती आवास में ४५ साल का होता है।दुसरे हाथ में एक इंसान बिना किसी आधुनिक सुविधाओं और आधुनिक चिकित्सा सेवाओं के ८० साल तक जी सकता है ।लेकिन चिम्पांजी का दिमाग उम्र बढ़ने के साथ साथ अपक्षय और क्षतिग्रस्त नहीं होता है जैसा की इंसान में होअता है ।


शोधक ने इस नए अध्ययन को भविष्य के अध्ययन की आधार शिला बताई है क्योंकि इन अध्ययनों से एल्जायमर्स और अन्य मानसिक रोगों को जानने में मदद मिलेगी जो की बढती उम्र के साथ साथ आते हैं ।इसके अलावा इंसान के दिमाग में क्षति होने की संभावना अन्य जानवरों की अपेक्षा में ज्यादा होती है और इंसानों में उम्र बढ़ने की परक्रिया सबसे अलग होती है ।यह दिमाग की तंत्रिका कोशिकाओं  के धीरे  धीरे खत्म  होने से होता है जो की साल दर  साल होता रहता है और यह तब तक चलता है जितने सालो तक इंसान जीवित रहता है।इंसानों ने जो बढ़ा दिमाग पा कर पाया और बढती उम्र पा करपाया वो उनके जीवन के बाद के साल में दिमाग में क्षति और रोग ग्रहण करके चुकता हो जाता है ।ऐसा लगता है की यह लड़ाई चिम्पांजीयो ने जीत ली है ।

 

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