मधुमेह के रोगियों के लिए यह अच्छी खबर हो सकती है, हाल ही में हुए एक शोध की मानें तो टाइप 1 मधुमेह से ग्रस्त मरीज ग्लूकोज के स्तर को नियंत्रित करके अपनी उम्र बढ़ा सकते हैं। आमतौर पर मधुमेह हो जाने पर रोगी की उम्र कम होना तय होता है, लेकिन पिट्सबर्ग विश्वविद्यालय के शोधकर्ताओं की मानें तो यदि टाइप 1 मधुमेह का पता चलने के बाद शुरुआत में ही रक्त में ग्लूकोज की मात्रा को नियंत्रित कर लिया जाए, तो रोगी अपेक्षाकृत लंबी जिंदगी जी सकते हैं।
अमेरिका के नेशनल इंस्टीट्यूट्स ऑफ हेल्थ (एनआईएच) के लंबे परीक्षण और पर्यवेक्षणीय अध्ययन, जिसमें अमेरिका और कनाडा के 27 शैक्षिक चिकित्सा केंद्रों के प्रतिभागी शामिल थे, इन सब के परिणाम से पता चलता है कि पिछले कुछ दशकों से उन प्रतिभागियों में मृत्युदर 33 फीसदी तक कम हुई, जिन्होंने शुरुआत में ही अपने रक्त में मौजूद ग्लूकोज पर नियंत्रण कर लिया था।
एपिडेमियोलॉजी के प्रोफेसर ट्रेवर ऑर्कर्ड ने बताया, 'अब चिकित्सकों और रोगियों से विश्वास के साथ कह सकते हैं कि शुरुआत में ही रक्त में ग्लूकोज पर सही नियंत्रण पा लिया जाए तो आमतौर पर बच्चों और युवा वयस्कों को होने वाले टाइप1 मधुमेह से जल्द मौत होने का खतरा कम हो सकता है।'
टाइप 1 मधुमेह तब होता है, जब शरीर इंसुलिन नहीं बनाता। एनआईएच के नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ डायबिटीज एंड डायजेस्टिव किडनी डिजीज (एनआईडीडीके) के निदेशक ग्रिफिन पी. रोजर्स ने बताया, 'डायबिटीज कंट्रोल एंड कॉम्प्लीकेशंस ट्रायल (डीसीसीटी) और उत्तरवर्ती एपिडिमियोलॉजी ऑफ डायबिटीज कंट्रोल एंड कॉम्प्लीकेशंस (ईडीआईसी) पर्यवेक्षणीय अध्ययन ने टाइप1 मधुमेह का उपचार प्रोटोकॉल महत्वपूर्ण ढंग से बदला है और कई लोगों में टाइप 1 मधुमेह के रोगियों के प्रति कई दशकों से चले आ रहे दृष्टिकोण में सुधार भी हुआ है।'
डीसीसीटी/ईडीआईसी अध्ययन के परिणामों के कारण मधुमेह से पीड़ित लाखों लोग कमजोर होने और बीमारी की घातक जटिलताओं से बच सकेंगे, या उन्हें ज्यादा समय रोक सकेंगे। इसके विस्तृत परिणाम जर्नल ऑफ अमेरिकन मेडिकल एसोसिएशन (जेएएमए) में प्रकाशित हुए हैं।
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