हाइपोग्लाइसीमिया (Hypoglycemia) या निम्न ब्लड शुगर (Low Blood Sugar) को आमतौर पर लोग डायबिटीज से जोड़कर देखते हैं। वहीं मधुमेह, एंग्जायटी और हाइपोग्लाइसीमिया के बीच भी एक गहरा संबंध है। आप सोच रहे होंगे कि हाइपोग्लाइसीमिया का तो डायबिटीज से संबंध हो सकता है, पर एंग्जायटी का डायबिटीज (links between anxiety and diabetes) से क्या संबंध है? दरअसल अत्यधिक चिंता यानी कि एंग्जायटी ब्लड शुगर के स्तर को प्रभावित कर सकते हैं। वहीं ब्लड शुगर के स्तर (low blood sugar level causes) से डायबिटीज जुड़ा हुआ है, तो इस तरह डायबिटी, एंग्जायटी और हाइपोग्लाइसीमिया, तीनों एक दूसरे से जुड़े हुए हैं।
हाइपोग्लाइसीमिया का खतरा (Risk of hypoglycemia)
जब आप डायबिटीज की दवाएं लेते हैं, जैसे कि इंसुलिन या दवाएं जो आपके शरीर में इंसुलिन के स्तर को बढ़ाती हैं, तो आपका रक्त शर्करा का स्तर गिरता है। भोजन के बाद रक्त शर्करा के स्तर को कम करना मधुमेह के इलाज के लिए महत्वपूर्ण है। लेकिन कभी-कभी, आपका ब्लड शुगर ज्यादा कम हो जाता है। इसी लो ब्लड शुगर को हाइपोग्लाइसीमिया (hypoglycemia) भी कहा जाता है।आपकी ब्लड शुगर को कम तब माना जाता है जब यह 70 मिलीग्राम / डीएल से नीचे चला जाता है। अगर आपको मधुमेह है, तो आपको दिन भर में अक्सर अपने रक्त शर्करा के स्तर की जांच करने की आवश्यकता होती है, खासकर जब आप व्यायाम करते हैं या भोजन छोड़ते हैं। वहीं इसके लिए हाइपोग्लाइसीमिया के लक्षणों को जानना भी बेहद जरूरी है। जैसे कि
- -पसीना आना
- -तेज धड़कन
- -पीली त्वचा
- -धुंधली दृष्टि
- -सिर चकराना
- -सरदर्द
- -सोचने में परेशानी
- -बेहोशी
- -दौरा
इसे भी पढ़ें : प्री-डायबिटीज का पता चलने पर लाइफस्टाइल में कौन से बदलाव जरूरी हैं ताकि न रहे टाइप 2 डायबिटीज का खतरा?
डायबिटीज और एंग्जायटी (links between anxiety and diabetes)
अपने मधुमेह को नियंत्रण में रखने के लिए अपने भोजन के सेवन के साथ अपनी दवाओं को संतुलित करना आवश्यक है। ऐसा नहीं करने से हाइपोग्लाइसीमिया सहित कई समस्याएं हो सकती हैं। हाइपोग्लाइसीमिया कई और लक्षणों की एक श्रृंखला के साथ आता है। इसी में से एक है एंग्जायटी। यानी अगर कोई व्यक्ति बहुत अधिक तनाव लेता है, तो ब्लड शुगर के घटने और बढ़ने का डायबिटीज के स्तर पर असर होता है। वहीं व्यक्ति के दिमाग में लगातार बढ़ते घटते ब्लड शुगर का डर बैठ जाता है, जिसे हाइपोग्लाइसीमिया (FOH) के डर के रूप में जाना जाता है। यह किसी भी अन्य डर के समान है, जैसे ऊंचाइयों डर। FOH से पीड़ित व्यक्ति लगातार अपने ब्लड शुगर के स्तर की जांच के बारे में अत्यधिक सतर्क या अति सतर्क होता है। इस तरह ये एक एंग्जायटी पैदा करता है, जो डायबिटीज के मरीज को परेशान करता है।
डायबिटीक लोग कैसे मैनेज करें एंग्जायटी
ब्लड शुगर चेक करें
ब्लड ग्लूकोज अवेयरनेस ट्रेनिंग (बीजीएटी) मधुमेह से पीड़ित लोगों को यह समझने में मदद करने के लिए डिजाइन किया गया है कि इंसुलिन, आहार विकल्प और शारीरिक गतिविधि का स्तर उनके रक्त शर्करा को कैसे प्रभावित करता है। इस प्रकार के प्रशिक्षण से आप अपने स्वास्थ्य और अपने रक्त शर्करा के नियंत्रण में अधिक महसूस कर सकते हैं। बदले में, यह आपको एंग्जायटी दूर करने में मदद करेगा।
मनोवैज्ञानिक परामर्श
मनोवैज्ञानिक या मनोचिकित्सक के साथ बात करने से भी मदद मिल सकती है। एक स्वास्थ्य देखभाल पेशेवर एंग्जायटी उचित निदान कर सकते हैं और उपचार प्रदान कर सकते हैं। इसमें दवाएं और संज्ञानात्मक व्यवहार थेरेपी शामिल होते हैं।
इसे भी पढ़ें : Diabetes diet: 100 गुण से संपन्न फिर भी डायबिटीज रोगियों के लिए जहर के समान है अनानास (Pineapple), जानें कारण
शारीरिक गतिविधि
शारीरिक गतिविधि बहुत आराम दिला सकती है। यहां तक कि बस कम चलना या बाइक की सवारी आपके मानसिक स्वास्थ्य के लिए फायदेमंद हो सकती है। वहीं योग आपके दिमाग को शांत करने के साथ-साथ ब्लड शुगर लेवल को भी बैलेंस रखने में मदद कर सकता है।
Read more articles on Diabetes in Hindi