
टाइप 1 डायबिटीज (type 1 diabetes) से दुनियाभर में बहुत से लोग पीड़ित हैं। ये डायबिटीज का सबसे गंभीर प्रकार है जिसमें कि हमारा इम्यून सिस्टम, शरीर में इंसुलिन बनाने वाले अंग पैनक्रियाज पर हमला कर देता है और उसके सारे सेल्स को नष्ट कर देता है। इस स्थिति में आपका शरीर शुगर पचा नहीं पाता और आप टाइप 1 डायबिटीज के शिकार हो जाते हैं। टाइप 1 डायबिटीज में लोगों को बाहर इंसुलिन लेने की जरूरत पड़ती है और ज्यादातर लोग इसमें इंसुलिन इंजेक्शन (insulin injection) और इंसुलिन पंप (insulin pump) की मदद लेते हैं। इसमें आपको हर बार खाने से पहले इंसुलिन लेता पड़ता है। साथ ही आपको इस बात का भी ध्यान रखना पड़ता है कहीं आपका शुगर लेवल बहुत कम ना हो जाए और आप हाइपोग्लाइसीमिया (hypoglycemia) के शिकार ना हो जाए। इन तमाम स्थितियों से हर टाइप 1 डायबिटीज के मरीज को गुजरना पड़ता है। उनका जीवन इंसुलिन इंजेक्शन और इंसुलिन पंप के इर्द-गिर्द घूमता रहता है। इन्हीं चीजों को बखूबी मैनेज करते हुए, टाइप 1 डायबिटीज के साथ जिंदादिली से जीवन जी रही हैं, मसज 23 साल की लड़की अनुरति (Anurati), जो कि चाइल्ड साइकोलॉजी से एम.ए कर रही हैं और इंसुलिन विन (INSULIWIN) नाम की संस्था चलाती हैं।
अनुरति (Anurati) को महज 15 की उम्र में टाइप-1 डायबिटीज हो गया था। वो तब 10वीं में पढ़ रही थीं और उनके लिए ये बात काफी हिला देने वाली थी। अनुरति बताती हैं कि उनकी नानी को भी डायबिटीज टाइप 2 था, तो उन्हें इसका हल्का-हल्का अंदाजा था। पर मुश्किल तब आई जब डॉक्टर ने उम्हें अंडरवेट होने (उम्र के हिसाब से वजन कम होना) के कारण 3 दिन हॉस्पिटल में रखा और डाइट चार्ट देने के साथ खुद से इंसुलिन इंजेक्शन लगाने का तरीका बताया। अनुरति कहती हैं उन्हें तब हर दिन 6 इंजेक्शन लेने पड़ते थे। हर बार खाने से पहले वो दो इंजेक्शन लेती थीं। इस बीमारी ने उस समय ना सिर्फ उनकी सेहत को प्रभावित किया, बल्कि ये उनकी स्कूली पढ़ाई और आम जिंदगी में भी बड़ी अड़चन पैदा कर रहा था। अनुरति बताती हैं कि एक बार टेस्ट देते समय उनका ग्लूकोज लेवल इतना कम हो गया था कि वो हाइपोग्लाइसीमिया की शिकार हो गईं और उनके दिमाग के काम करना बंद कर दिया था। वहीं, स्कूल के बाद उन्हें कॉलेज में इस बीमारी के साथ एंग्जायटी और डिप्रेशन का भी सामना करना पड़ा। यही वजह है कि आज वो चाइल्ड साइकोलॉजी से एम.ए कर रही हैं।
जीवन का अभिन्न हिस्सा बन गया इंसुलिन पंप (Insulin pump): अनुरति
अनुरति बताती हैं कि कुछ दिनों तक इंसुलिन इंजेक्शन पर रहने के बाद वो इंसुलिन पंप पर आ गईं। इसने उनकी जिंदगी को थोड़ा आसान बनाया और जब चाहे कुछ भी खाने का हौसला दिया। बता दें कि इंसुलिन पंप एक डिसवाइस है जो कि हमारे शरीर में जरूरत पड़ने पर अपने आप इंसुलिन इंजेक्ट करता है। ये पंप बेल्ट या पॉकेट पर लगाया जाता है। इस डिवाइस से एक प्लास्टिक की नली अटैच होती है। यह नली एंटी-एब्डॉमिनल नीडल से अटैच होती है, जिसे कैनुअला कहते हैं। फिर आपको इसमें अपने हर डाइट के अनुसार या दिन भर खाए जानी वाली चीजो के अनुसार, इसुंलिन लोड करना होता है। तो इससे पेशेंट की बॉडी में एक फिकस्ड क्वॉन्टिटी में इंसुलिन जाती रहती है।
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अनुरति अपने शरीर के तीन अंगों, जैसे कि थाइस, बाहों पर और पेट पर कैनुअला लगाई रहती हैं और बेल्ट की तरह पंप कमर पर रहता है। वो कहती हैं कि पहले तो ये मेरे लिए एक बोझ जैसा था। हर समय महसूस होता रहता था कि शरीर पर कुछ लगा हुआ है। पर अब मैं इसके साथ कंफर्टेबल हूं। अब मुझ में हर कपड़े में इसे पहनने का कॉन्फिडेंस है, चाहे वो साड़ी हो या कोई बिकनी। अब मुझे मेरी बॉडी से प्यार है और मैं उन लोगों को अपनी जिंदगी में बिलकुल नहीं रखती जिन्हें, मेरी बॉडी पर लगे इसे पंप से प्रॉब्लम हो। इंसुलिन पंप कैसे काम करता है (how insulin pump works) और टाइप 1 डायबिटीज का पेशंट इसे कैसे इस्तेमाल कर सकता है, अनुरति इन सबको लेकर अपने ब्लॉग और इंस्टा पोस्ट से लोगों को जागरूक करती रहती है।
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टाइप 1 डायबिटीज में कैसे होनी चाहिए आपकी डाइट-Diet tips for type 1 diabetes
अनुरति बताती हैं कि एक टाइप 1 डायबिटीज के मरीज जो कि इंसुलिन पर है उसका हर दिन एक जैसा नहीं होता है। क्योंकि वे नहीं जानते कि अगले ही पल कब उनका ग्लूकॉज लेवल कितना होगा और उनकी सेहत कैसी होगी। पर फिर भी अनुरति बताती हैं कि हर टाइप-1 डायबिटीज के मरीज को कुछ बातों का ध्यान रखना चाहिए जो कि उन्हें इसे मैनेज करने में मदद करता है (How to manage type 1 diabetes)
- -सुबह समय पर उठ जाएं। कम से कम 8 बजे तक तो पक्का उठ जाएं।
- -आपका फास्टिंग शुगर लेवल 90-120 के बीच होना चाहिए।
- -अब नाश्ते से 10 से 15 मिनट पहले इंसुलिन ले लें ताकि खाने के बाद अचानक से ब्लड शुगर स्पाइक ना कर जाए।
- -नाश्ते के बाद हल्का हाई शुगर हुआ तो थोड़ा और ज्यादा इंसुलिन ले लें। हर इंसुलिन का डोज खाने के कार्ब्स और कैलोरी के अनुसार तय होता है।
- -अब लंच से पहले भी इंसुलिन लें और खाने में प्रोटीन से भरपूर फूड्स ज्यादा शामिल करें। प्रोटीन शुगर लेवल मैनेज करने में मदद करता है।
- -डिनर से पहले एक्सरसाइज करें।
- -रात के खाने में लो कार्ब डाइट लें। रात में हाई कार्ब लेने से बचें क्योंकि ये शुगर स्पाइक को बढ़ाता है।
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टाइप 1 डायबिटीज में एक्सरसाइज- Exercise for type 1 diabetes
अनुरति बताती हैं कि टाइप 1 डायबिटीज में एक्सरसाइज शुगर को मैनेज करने में मदद करता है। आपको हर शाम, इंसुलिन पंप निकाल कर एक्सरसाइज करनी चाहिए। आपको कोशिश करनी चाहिए कि डिनर से पहले 30 से 40 मिनट तक एक्सरसाइज करें।
- -सूर्य नमस्कार करें
- -फुल बॉडी वर्कआउट करें
- -कॉर्डियो करें
- -वॉक करें
- -योगा करें।
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ट्रैवलिंग के दौरान किन बातों का रखें ध्यान- Travelling with type 1 diabetes
अनुरति बताती हैं कि ट्रैवलिंग के दौरान आपको थोड़ा ज्यादा सजग रहना चाहिए। साथ ही कुछ बातों क खास ख्याल रखें। जैसे कि
- -अपने साथ हमेथा एक एक्ट्रा इंसुलिन पंप किट रखें।
- -सर्दियों में पंप को गर्म रखने के लिए पंप को सॉक्स पहना दें।
- -हाइपोग्लाइसीमिया (hypoglycemia) से बचने के लिए अपने पास हमेशा जूस और शुगर कैंडी रखें।
- -खुद का थोड़ा ज्यादा ख्याल रखें।
- -पार्टी में जाने से पहले या कुछ खाने से पहले इंसुलिन सेट कर लें और ज्यादा खा लें तो इंसुलिन ज्यादा ले लें।
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इस तरह अनुरति बताती हैं कि वो कैसे इंसुलिन पंप के साथ हर दिन अपनी लाइफ को जिंदादिली के साथ जी रही हैं। साथ ही अनुरति कम उम्र में डायबिटीज से पीड़ित लोगों के लिए बताती है कि उन्हें इस बीमारी से हार नहीं माननी चाहिए। अगर ये स्कूल जाने वाली उम्र के बच्चों में हैं तो उन्हें बीमार महसूस ना करवाएं। फिजिकल और कलर्चल एक्टिविटी भाग लेने दें और तन और मन दोनों से खुश रहने दें। इसलिए अनुरति अपने जैसे दूसरे लोगों के लिए इंसुलिन विन (INSULIWIN) नाम की संस्था की को-फाउंडर भी हैं और अपनी पढ़ाई के साथ अपने ब्लॉग लिविंग लाइफ विद इंसुलिन (Living life with insulin) से डायबिटीज के मरीजों को प्रोत्साहित करती हैं। तो, डायबिटीज को अपनी जिंदगी की परेशानी ना समझें बल्कि, इससे लड़ें और आगे बढ़ें।
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