बॉलीवुड अभिनेत्री दिया मिर्जा ने दिया बेटे को जन्म, इंफेक्शन के कारण प्रीमेच्योर बच्चे की करानी पड़ी डिलीवरी

बॉलीवुड अभिनेत्री दिया मिर्जा ने शादी के 3 महीने बाद एक खूबसूरत बच्चे को जन्म दिया, जिसका नाम अव्यान रखा गया। डिलीवरी के दौरान उन्हें कई मुश्किलें आईं
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बॉलीवुड अभिनेत्री दिया मिर्जा ने दिया बेटे को जन्म, इंफेक्शन के कारण प्रीमेच्योर बच्चे की करानी पड़ी डिलीवरी

बॉलीवुड की अभिनेत्री दिया मिर्जा के फैंस के लिए बहुत ही बडी खुशखबरी सामने आई है। हाल ही में दिया मिर्जा ने बेटे को जन्म दिया है। यह खुशखबरी एक्ट्रेस दिया मिर्जा और उनके पति वैभव रेखी ने इंस्टाग्राम पर शेयर किया है। दिया ने अपने बेटे का नाम अव्यान आजाद रेखी (Avyaan Azaad Rekhi) रखा है। 

सोशल मीडिया पर दिया मिर्जा ने बताया कि उनके बेटे का जन्म 14 मई को ही प्रीमैच्योर यानि समय से पहले हो गया था, जिसके बाद बच्चे की देखरेख आईसीयू में हो रही थी। बेटे के जन्म के करीब 2 महीने बाद दिया ने अपने फैंस के साथ खुशखबरी शेयर की है। दिया ने सोशल मीडिया पर अपनी प्रेग्नेंसी से जुड़ी कुछ जरूरी बातें शेयर की हैं। चलिए जानते हैं इस बारे में-

प्रेग्नेंसी के दौरान हो गया था बैक्टीरियल इंफेक्शन

इंस्टाग्राम पर एक्ट्रेस दिया मिर्जा (dia mirza) ने बताया है कि उन्हें प्रेग्नेंसी के दौरान बैक्टीरियल इंफेक्शन हो गया था, जिसकी वजह से सेप्सिस इंफेक्शन (sepsis Infection) का खतरा हो सकता था।। इसके बाद वे काफी ज्यादा परेशान हो गई थीं। इस वजह से इरजेंसी सी-सेक्शन के द्वारा बेटे का समय से पहले जन्म हुआ है। जिसके बाद बेटे की हालत में सुधार के लिए उसे आईसीयू में रखा गया है। दिया बताती हैं कि वह और उनके पति (vaibhav rekhi) अपने बेटे का स्वागत करने के लिए बहुत ही बेसब्री से इंतजार कर रहे हैं। उसके दादा-दादी और उनकी बहन समायरा उसे अपने खोद में खिलाने क लिए बेताब हो रहे हैं।

 
 
 
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क्या है प्रेग्नेंसी में सेप्सिस का खतरा?

सेप्सिस एक जटिल मेडिकल कंडीशन होता है। कई गर्भवती महिलाओं को इस समस्या का सामना करना पड़ता है। इस समस्या के कई कारण हो सकते हैं। जिसमें बैक्टीरियल इंफेक्शन प्रमुख कारण हो सकता है। इसके अलावा निमोनिया, पेट, किडनी और मूत्रमार्ग में संक्रमण, घाव या चोट लगने की वजह से भी सेप्सिस का खतरा रहता है। 

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सेप्सिस होने के लक्षण और संकेत?

  • पेल्किव में दबाव पड़ना।
  • योनि से गुलाबी रंग का डिस्चार्ज होना।
  • पेट के निचले हिस्से में दर्द होना।
  • दिल की धड़कन तेल होना।
  • सांस का फूलना
  • सिरदर्द होना।
  • मतली होना।
  • योनि में रक्त स्त्राव इत्यादि इसके लक्षण हैं। 

कैसे किया जाता है सेप्सिस इंफेक्शन का परीक्षण

  • प्रेग्नेंसी के दौरान सेप्सिस का खतरा होने पर डॉक्टर निम्न प्रक्रिया द्वारा सेप्सिस की जांच कर सकते हैं। 
  • प्रेग्नेंसी के दौरान महिला की मेडिकल हिस्ट्री जानने की कोशिश कर सकता है।
  • इसके बाद आपसे कुछ लक्षण पूछ सकते हैं। 
  • इसके अलावा आपके शरीर की जांच की जा सकती है, जिसमें शरीर का तामपान और फिजिकल एग्जामिनेशन शामिल हैं।
  • बाद में ऑग्रन फेल्योर का पता लगाने के लिए कुछ लैब टेस्ट जैसे- ब्लड टेस्ट, यूरिन टेस्ट, मल टेस्ट इत्यादि की सलाह दे सकते हैं। 
  • इसके अलावा शरीर में संक्रमण फैलने की स्थिति का पता लगाने के लिए अल्ट्रासाउंड, सीटी स्कैन और एक्स-रे जैसे जांच करवा सकते हैं।
इसके बाद जब डॉक्टर को सेप्सिस इंफेक्शन का पता चलता है, तो इसका कई तरीकों से इलाज किया जाता है। जैसे- एंटी-बैक्टीरियल दवाई, ब्लड फ्लो सही करना, वेंटीलेशन या फिर सर्जरी का सहारा लेते हैं। 

किन मेडिकल कंडीशन के कारण हो सकती है प्रीमैच्योर डिलीवरी?

बैक्टीरियल संक्रमण के अलावा कई अन्य कारणों से भी डिलीवरी प्रीमैच्योर हो सकती है। जैसे-

  • महिला की उम्र 18 से कम और 35 से ज्यादा होने के कारण समय से पहले डिलीवरी हो सकती है।
  • डायबिटीज से ग्रसित महिलाओं की डिलीवरी भी समय से पहले हो सकती है।
  • ब्लड प्रेशर से ग्रसित महिलाओं की डिलीवरी भी समय से पहले हो सकती है।
  • शरीर में पोषक तत्वों की कमी के कारण भी प्रीमैच्योर डिलीवरी हो सकती है।
  • किसी तरह का संक्रमण जैसे- योनि संक्रमण, यूरिनरी ट्रैक्स इंफक्शेन इत्यादि के कारण भी समय से पहले डिलीवरी हो सकती है।
  • इसके अलावा शिशुओं को किसी तरह की समस्या होने पर भी आपकी डिलीवरी प्रीमैच्योर हो सकती है।
प्रीमैच्योर डिलीवरी से बचने के लिए समय-समय पर डॉक्टरी सलाह जरूर लें। ताकि बच्चे और मां को किसी तरह का खतरा होने पर डॉक्टर आपको जरूरी सलाह दे सकें।

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