Dengue Cases in UP: डेंगू की बीमारी हमारे देश में एक बड़ी स्वास्थ्य समस्या बनी हुई है। बरसात के मौसम के बाद डेंगू बुखार का कहर देश के हर राज्य में देखने को मिलता है। हर साल डेंगू बुखार की वजह से हजारों लोगों की जान जाती है। डेंगू बुखार दरअसल एक वेक्टर बोर्न डिजीज है, जो एडीज इजिप्टी मच्छरों के काटने से होती है। डेंगू को कंट्रोल करने के लिए और लोगों को डेंगू का सही इलाज मुहैया कराने के लिए राज्य सरकारें अपने स्तर पर अलग-अलग प्रोग्राम चलाती हैं। लेकिन दशकों से चल रहे अभियान अभी तक इस गंभीर बीमारी को कंट्रोल करने में सफल नहीं हुए हैं। एक आंकड़ों के मुताबिक साल 2010 में उत्तर प्रदेश में डेंगू के मामले तेजी से बढ़े थे। इस दौरान डेंगू के मामलों में बढ़ोत्तरी का कारण मौसम या बारिश बिलकुल भी नहीं था। इस लेख में आज हम आपको आंकड़ों की मदद से उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ में डेंगू बुखार की मौजूदा स्थिति के बारे में बताने जा रहे हैं, आइए विस्तार से जानते हैं यूपी और लखनऊ में डेंगू का हाल।
उत्तर प्रदेश में डेंगू संक्रमण के आंकड़े- Dengue Fever Cases in UP
भारत में सबसे पहले डेंगू संक्रमण की महामारी साल 1963-1964 के दौरान कोलकाता में पुष्ट हुई थी। उस दौरान की रिपोर्ट्स के मुताबिक कोलकाता में डेंगू संक्रमण की वजह से हजारों लोगों की मौत हुई थी और लाखों लोग इस बीमारी की चपेट में आए थे। इसके बाद साल 1996 में दिल्ली और उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ के आसपास के इलाकों में डेंगू का कहर देखने को मिला था। 1996 के बाद से ही उत्तर भारत के कई राज्यों में डेंगू संक्रमण का प्रकोप बढ़ा है। कई शोध और अध्ययनों में यह बात कही गयी है कि भारत में इस समय डेंगू वायरस के चार सीरोटाइप का संक्रमण देखने को मिलता है। पहले डेंगू को शहरी समस्या माना जाता था लेकिन अब यह संक्रमण घनी आबादी और ग्रामीण इलाकों में भी देखा जाता है। मानसून के दौरान और मानसून सीजन खत्म होने के बाद इस बीमारी के मामले तेजी से बढ़ने लगते हैं।
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आंकड़ों को देखने के बाद यह कहा जा सकता है कि उत्तर प्रदेश में डेंगू के मामले हर साल जून के आखिरी सप्ताह से लेकर जुलाई के पहले सप्ताह में तेजी से बढ़ने शुरू होते हैं। इस महीने से लेकर अगस्त से अक्टूबर के बीच डेंगू के मामले सबसे ज्यादा यानी पीक पर होते हैं। बारिश शुरू होने के 4 से 5 सप्ताह के भीतर डेंगू के मामले अपने पीक पर पहुंचने लगते हैं। नेशनल सेंटर फॉर वेक्टर बोर्न डिजीज कंट्रोल (NCVBDC) के द्वारा जारी आंकड़ों के मुताबिक उत्तर प्रदेश में साल 2015 से लेकर अब तक डेंगू के दर्ज किये गए मामले और इसकी वजह से होने वाली मौतों का आंकडा इस तरह से है-
2015 में डेंगू के मामले: उत्तर प्रदेश में साल 2015 के दौरान डेंगू के 2892 मामले दर्ज किये गए थे और डेंगू संक्रमण की वजह से 9 मरीजों की मौत का रिकॉर्ड सामने आया था।
2016 में डेंगू के मामले: साल 2016 में यूपी में डेंगू के डेंगू के मामलों ने रिकॉर्ड बनाया था, इस साल 15033 डेंगू के मामले प्रदेश में दर्ज किये गए थे और 42 मरीजों की मौत हुई थी।
2017 में डेंगू के मामले: यूपी में 2017 के दौरान डेंगू के मामले 3092 थे और 28 मरीजों की संक्रमण के चलते मौत हुई थी।
2018 में डेंगू के मामले: साल 2018 के दौरान प्रदेश में डेंगू के मामले 3829 थे और 4 मरीजों की मौत दर्ज की गयी थी।
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2019 में डेंगू के मामले: इस साल यूपी में डेंगू के मामलों में थोड़ा उछाल देखने को मिला था, आंकड़ों के मुताबिक 2019 में डेंगू के 10557 मामले सामने आए थे और 26 मरीजों की मौत हुई थी।
2020 में डेंगू के मामले: इस साल यूपी में 3715 डेंगू के मामले दर्ज किये गए थे और 6 मरीजों की मौत हुई थी।
2021 में डेंगू के मामले: इस साल उत्तर प्रदेश में कोरोना महामारी के प्रकोप के बीच डेंगू के मामलों ने भी कई सालों का रिकॉर्ड तोड़ दिया था। आंकड़ों के मुताबिक साल 2021 में यूपी में डेंगू के 29750 मामले सामने आए थे और 29 मरीजों की मौत हुई थी।
2022 में डेंगू के मामले: साल 2022 में अब तक (31 मई तक दर्ज किये गए) के आंकड़ों के मुताबिक यूपी में डेंगू के 97 मरीज सामने आए हैं और 1 मरीज की मौत डेंगू संक्रमण के चलते हुई है।
लखनऊ में डेंगू संक्रमण की स्थिति- Dengue Cases in Lucknow in Hindi
उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ में डेंगू संक्रमण का कहर हर साल देखने को मिलता है। अगर हम लखनऊ के भौगोलिक स्थिति की बात करें तो यह शहर घनी आबादी वाला है और आमतौर मानसून के सीजन की शुरुआत लखनऊ में जून के आखिरी सप्ताह से लेकर जुलाई के पहले सप्ताह के बीच होती है। यूपी की राजधानी लखनऊ में भी डेंगू बुखार का कहर इसी दौरान बढ़ना शुरू होता है। साल 2021 के आंकड़ों पर नजर डालें तो राजधानी लखनऊ में 2,000 के आसपास डेंगू के मामले दर्ज किये गए थे। सरकार द्वारा किये गए दावों के मुताबिक इस साल लखनऊ में डेंगू संक्रमण के चलते किसी भी मरीज की मौत नहीं हुई थी। इससे पहले साल 2019 में 885 और 2020 में 635 डेंगू के मरीज लखनऊ में दर्ज किये गए थे। साल 2021 में डेंगू के मामलों ने बीते 8 सालों का रिकॉर्ड तोड़ दिया था।
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बीते साल पैदा हुई स्थिति को मद्देनजर रखते हुए इस साल लखनऊ में प्रशासन डेंगू संक्रमण से निपटने के लिए कमर कस चुका है। लखनऊ के मुख्य चिकित्सा अधिकारी डा. मनोज कुमार अग्रवाल (CMO Dr. Manoj Kumar Agarwal) के मुताबिक लखनऊ में डेंगू बुखार को फैलने से रोकने के लिए प्रशासन द्वारा जरूरी कदम उठाए जा रहे हैं। उन्होंने लोगों से यह भी अपील की है कि डेंगू संक्रमण के लक्षण दिखने या बुखार आने पर खुद से इलाज लेने के बजाय डॉक्टर से संपर्क जरूर करें। मच्छर जनित बीमारियों के प्रकोप से बचने के लिए मच्छरों को पनपने से रोकना बहुत जरूरी है। आसपास गंदगी और पानी इकठ्ठा न होने दें और डेंगू के लक्षण दिखने पर तुरंत जांच और इलाज कराएं।
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