
हाल में किये गए अध्ययन में शोधकर्ताओं की टीम ने पाया साइबरबुलिंग युवा-किशोरों में पोस्ट-ट्रामैटिक स्ट्रेस डिसऑर्डर और डिप्रेशन का कारण बन सकता है। जर्नल ऑफ क्लिनिकल साइकियाट्री में प्रकाशित अध्ययन के अनुसार, साइबरबुलिंग का उन लोगों में पोस्ट-ट्रामैटिक स्ट्रेस डिसऑर्डर और डिप्रेशन के लक्षणों का असर पड़ता है, जो कि पहले मनोरोग को लेकर हॉस्पिटल में रह चुके थे।
मियामी मिलर स्कुल ऑफ मेडिसन यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर और अध्ययन के सह लेखक डा. फिलिप डी. हार्वे ने कहा, '' बच्चों में हमने भावनात्मक चुनौतियों की पृष्ठभूमि के खिलाफ भी अध्ययन किया। जिसमें हमने पाया हक साइबरबुलिंग का इस पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ा है। यह वास्तविक है और इसका आंकलन किया जाना चाहिए।''
उन्होंने कहा, साइबरबुलिंग वास्तव में अन्य बुलिंग की तुलना में बेहद खतरनाक है। अध्ययन ने पाया गया कि जिन बच्चों के साथ दुर्व्यवहार का इतिहास है, उनमें साइबर हमले की संभावना अधिक होती है। साइबर ट्रबलिंग का आंकलन करते समय बचपन के ट्रॉमा के आंकलन को भी शामिल किया गया।

इसे भी पढें: महिलाओं में समय से पहले मेनोपॉज बन सकता है 60 की उम्र के बाद कई बीमरियों की वजह : शोध
डा. हार्वे ने कहा, ''बुलिंग वायरल और लगातार हो सकती है। वास्तव में बुलिंग एक नकारात्मक टिप्पणी या कमेंट्स करना है, जो किसी व्यक्ति को बुरा महसूस कराने का प्रयास करती है।''
साइबरबुलिंग पर किए गए एक विस्तृत अध्ययन ने साइबरबुलिंग के कुछ प्रमुख तथ्यों की पुष्टि की, जिसमें सोशल मीडिया पर नियमित रूप से ऑनलाइन होना साइबरबुलिंग के कारक नहीं थे। स्ट्रेस का प्रमुख तथ्य यह था कि जिन युवा किशोरों को अतीत में उकसाया या फिर वे बुलिंग का शिकार रहे हों, उनमें इसका अधिक खतरा था।

इसे भी पढें: बूढ़े लोगों के लिए चाय पीना हो सकता है फायदेमंद, डिप्रेशन से रहता है बचाव: रिसर्च
यह अध्ययन न्यूयॉर्क के वेस्टचेस्टर काउंटी के एक मनोरोग अस्पताल में किए गया। जिसमें अध्ययन में प्रतिभागियों को दो बचपन की मानसिक प्रश्नावली को पूरा करने के लिए कहा गया था। जिसमें एक साइबर बुलिंग प्रश्नावली थी। अध्ध्यन के परिणाम से पता चला कि 20 प्रतिशत प्रतिभागियों को उनके प्रवेश से पहले पिछले दो महीनो के भीतर साइबर अटैक किया गया था। बाकी आधे प्रतिभागियों को फेसबुक के माध्यम से धमकाया गया था, जिसमें फोटो, वीडियो, इंस्टाग्राम, इंस्टेंट मैसेज और चैट रूम साइबरबुलिंग का जरिया थे।
Read More Article On Health News In Hindi
How we keep this article up to date:
We work with experts and keep a close eye on the latest in health and wellness. Whenever there is a new research or helpful information, we update our articles with accurate and useful advice.
Current Version