याद्दाश्‍त के लिए अच्‍छी होती है जिज्ञासा

न्यूरॉन जर्नल में प्रकाशित एक नए अध्ययन के अनुसार जब हम अपनी जिज्ञासा के स्तर को एक चरण आगे बढ़ाते हैं, तो हम चीजों को बेहतर ढ़ंग से याद रख पाते हैं।
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याद्दाश्‍त के लिए अच्‍छी होती है जिज्ञासा


जिज्ञासु होना अच्छी बात है। यही जिज्ञासा तो है जो इनसान के लिए ज्ञान का दरवाजा खोलती है। जिज्ञासु व्‍यक्ति ही जीवन में नया सीखता और नया हासिल करता है। लेकिन, क्‍या आप इस बात से वाकिफ हैं कि जो लोग जिज्ञासु होते हैं उनकी याद्दाश्‍त बेहतर होती है। जी हां, "न्यूरॉन", जर्नल में प्रकाशित एक नए अध्ययन के अनुसार जब हम अपनी जिज्ञासा के स्तर को एक चरण आगे बढ़ाते हैं, तो हम चीजों को बेहतर ढ़ंग से याद रख पाते हैं। इस प्रक्रिया के दौरान अन्य ज्ञान भी बरकरार रहता है। तो चलिये जानते हैं, कि जिज्ञासा से क्या वाकई याद्दाश्त बेहतर होती है? और ऐसा भला क्यूं और कैसे होता है।


डेविड गफ्फेन स्कूल ऑफ़ मेडिसिन में साइकाइट्री एंड बीहेवियरल साइंसेज के प्रोफेसर, रोबर्ट बिल्डर, जोकि इस शोध से जुड़े हुए नहीं थे इस संदर्भ में बताते हैं कि जिज्ञासा सीखने की क्षमता को बढ़ाती है। लेकिन ये सवाल अभी भी बना है कि भला गैर स्पष्ट परिणामों में से एक जिज्ञासा चीजों को सीखने व याद रखने की प्रक्रिया को कैसे प्रभावित करती है?

 

Curiosity Is Good in Hindi

 

दरअसल इस शोध को करने का विचार चरण रंगनाथ और मथायस ग्रूबर के दिमाग में तब आया जब वे यह सोच रहे थे कि भला कैसे लोगों को कुछ चीजों काफी साफ याद रहती हैं, जबकि कुछ बिल्कुल याद नहीं रहती हैं।

कैलिफोर्निया विश्वविद्यालय में मनोविज्ञान के प्रोफेसर और डायनेमिक मेमोरी लैब के निदेशक, रंगनाथ बताते हैं कि “स्मृति के बड़े रहस्यों में से एक यह है कि यह चयनात्मक होती है। एक दिन के भीतर ही आप कितनी ही जानकारियों से दो-चार होते हैं।” इसे समझने के लिए उन्होंने स्नातक के छात्रों को 112 सामान्य बातों से जुड़े सवालों दिये और उन्हें रैंक देने को कहा। प्रश्न कुछ निम्न प्रकार से थे -


जब अंकल सैम ने पहली बार दाढ़ी रखी थी, उस वक्त अमरीका का रास्ट्रपति कौंन थे?
"शब्द 'डायनासोर' का वास्तव में क्या मतलब है?"
(उत्तर: अब्राहम लिंकन, भयानक छिपकली)

 

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इस दौरान जब उनके मस्तिष्क की गतिविधि को fMRI मशीन में मापा गया तो, छात्रों ने एक सवाल का जवाब सीखा, लेकिन पूर्वानुमानित समय के बाद। इंतज़ार करते समय प्रतिभागियों ने एक तटस्थ चेहरे की एक छवि देखी थी। और फिर तकरीबन 20 मिनट के बाद छात्रों को सामान्य ज्ञान के सवालों के जवाब को याद किया और अनुमान लगाया कि प्रतीक्षा के दौरान बेतरतीब ढंग से दिखाया गया प्रस्तुत चेहरा समान था।
 
इस प्रयोग के दौरान देखा गया कि छात्रों ने जिन चहरों को इंतजार के दौरान जिज्ञासा से देखा था उनको उन्होंने आसानी से पहचान लिया और सवाल का जवाब भी सही दिया, जबकि चेहरे का उनकी पसंद से कोई लेना-देना नहीं था।  

रंगनाथ के अनुसार लोग चेहरे याद करने के लिए तब अधिक सक्षम होते हैं, जब उनकी जिज्ञासा का स्तर उच्च होता है। अर्थात जब आप जिज्ञासू होते हैं, तो आप उन चीजों को याद रखते हैं, जिनके बारे में आप उत्सुक हैं, लेकिन इसके साथ आप कई सारी यादें वैसे ही याद रख पाते हैं। हालांकि इस विषय की और पुख्ता और विस्त्रित जानकारी के लिए अभी और भी अध्ययन किये जा रहे हैं।

 

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