कोरोना की दूसरी लहर ने दुनिया को भीतर तक डराकर रख दिया। भारत में मेडिकल सुविधाओं की कमी की वजह से लोग ज्यादा परेशान हुए। ऐसे में मौतों का आंकड़ा भी बढ़ा। जो लोग हल्के लक्षण वाले थे वे होम आइसोलेशन में ही ठीक हो गए। तो वहीं, गंभीर लक्षणों वाले मरीज अस्पताल में भर्ती हुए। कोरोना उन लोगों के लिए ज्यादा खतरनाक बन गया जिनकी उम्र ज्यादा थी और जिन्हें किसी तरह की गंभीर बीमारी थी। लेकिन ऐसी भयावह स्थिति में भी 85 साल के शिव दत्त पालीवाल कोरोना से ठीक हुए। कोरोना होने पर अस्पताल में भी भर्ती हुए और रिकवर होकर घर भी पहुंचें। शिव दत्त पालीवाल ने ओन्ली माई हेल्थ को बताई अपनी रिकवरी की कहानी। जानें शिव दत्त पालीवाल की जुबानी कि वे कैसे कोरोना से ठीक हुए। उन्होंने क्या तरीके अपनाए।
कोरोना की चपेट में कब आए और क्या थे शुरुआती लक्षण?
इस सवाल के जवाब में शिवपाल बताते हैं कि उन्हें 2 मई, 2021 को कोरोना हुआ था। वे बताते हैं कि शुरूआत में उन्हें शरीर में बहुत दर्द, खांसी, बुखार जैसे लक्षण दिखाई दिए थे।
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बेड मिलने में हुई दिक्कत
वे बताते हैं कि जब लक्षण दिखाई दे रहे थे तब शुरूआती इलाज फैमिली डॉक्टर की मदद से घर पर किया, लेकिन जब उनका ऑक्सीजन लेवल 84 से नीचे आने लगा तो उनके बेटे ने चाणक्यपुरी के माता चानन देवी हॉस्पीटल में बेड की व्यवस्था करवाई। इससे पहले भी उन्होंने बेड की व्यवस्था करने की कोशिश की थी,लेकिन वे नहीं कर पाए थे। शिव दत्त के बेटे बताते हैं कि बेड के लिए ऐसी मारामारी थी, कि पिताजी के लिए बेड की व्यवस्था करना मुश्किल हो गया था। बहुत मुश्किल से बेड मिल पाया था।
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कोरोना के दौरान और बाद में क्या थी डाइट
शिव दत्त बताते हैं कि कोरोना के दौरान उन्होंने दाल, रोटी, सब्जियां, दही और खूब सारा सलाद खाया। इसके अलावा जब वे कोविड से रिकवर हो गए तब उन्होंने प्रोटीन रिच डाइट ली।
खुद को कैसे रखा फिट
शिव के परिवार का कहना है कि उनके पिता कोरोना से लड़ पाए तो सिर्फ इसलिए क्योंकि उन्होंने खुद को मेंटली और फिजिकल स्ट्रांग रखा। खुद को फिट रखने के लिए उन्होनें हमेशा योग किया। योग से करने से वे कोरोना के शारीरिक प्रकोप ही नहीं बच पाए बल्कि मानसिक दबाव से भी बचे। इसलिए वे जल्दी रिकवर हो पाए। परिवार का कहना है कि उनके पिता पिछले 60 सालों से योग कर रहे हैं जिस वजह से उनका दिल और दिमाग मजबूत है। वे परिवार को भी हमेशा योग करने के लिए प्रेरित करते रहते हैं।
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प्रार्थनाओं से बची जान
शिव बताते हैं कि वे हमेशा सर्वशक्तिमान में विश्वास करते हैं। वे मानते हैं कि जब ईश्वर ने इस दुनिया पर भेजा है तो बचाने वाला भी वही है। जब तक वो नहीं चाहेगा तब तक मुझे कुछ नहीं होगा। ईश्वर की कृपा और परिवार की प्रार्थनाओं की वजह से मैं कोरोना से बच पाया। 20 मई को शिव अस्पताल से डिस्चार्ज हुए। और अब पूरी तरह से स्वस्थ हैं।
परिवार ने कैसे दिया साथ
शिव बताते हैं कि परिवार की वजह से ही मैं बच पाया हूं। जब मैं बीमार पड़ा तो पूरा परिवार परेशान था। मेरी उम्र ज्यादा थी इसलिए सभी ज्यादा दिक्कत में थे। लेकिन सभी ने हिम्मत बांधकर मुझे बचा लिया। सभी ने मेरा बहुत ख्याल रखा। मुझे सही समय पर अस्पताल पहुंचाया। शिव दत्त का कहना है कि जब परिवार का एक भी सदस्य बीमार होता है तो पूरे परिवार की जिम्मेदारी बनती है कि वे उनका ख्याल रखें और ईश्वर में विश्वास रखें।
कोरोना से जंग बहुत आसान नहीं हैं। जिन लोगों की उम्र ज्यादा उनके लिए तो और भी गंभीर स्थिति है। ऐसे में शिव रिकवर कर पाए, यह उनके लिए वाकई गर्व की बात है।
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