
भारतीय खानपान की चर्चा पूरे विश्व में होती है। हमारा देश मसालों के लिए विश्व विख्यात है। यहां के मसाले न सिर्फ खाने का स्वाद बढ़ाते हैं बल्कि सेहत के लिए भी बहुत फायदेमंद होते हैं। भारतीय लोग अपने खाने में ताजे फल और सब्जियों का सेवन करते हैं। जिसकी वजह से हमारी इम्यूनिटी और सेहत अच्छी रहती है लेकिन दुनियाभर में भारतीय खानपान और मसालों के बारे में कई भ्रांतियां फैली हुई है। कई लोगों का मानना है कि भारतीय व्यंजनों को पकाने में बहुत अधिक समय लगता है। इसके अलावा भारतीय खानों में बहुत अधिक तेल और मसालों का इस्तेमाल होता है, जो एक अनहेल्दी तरीका हो सकता है लेकिन ऐसा बिल्कुल नहीं है और आज हम इन मिथ्स के बारे में ही विस्तार से चर्चा करेंगे। इसके बारे में विस्तार से बता रही है डाइट क्लीनिक और डॉक्टर हब क्लीनिक की डायटीशियन अर्चना बत्रा।
भारतीय खाने से जुड़े मिथ और सच्चाई
1. भारतीय व्यंजन वसायुक्त और अनहेल्दी होते हैं
यह धारणा पश्चिम के लोगों में अधिक है कि भारतीय खानपान बहुत ज्यादा वसायुक्त और स्वास्थ्य के लिए अनहेल्दी होते हैं। जबकि यह बात पूरी तरह से मिथ है। हमारे घरों में बनने वाले खाने में बेहद संतुलित मात्रा में तेल या घी का इस्तेमाल किया जाता है। खासकर भारतीय व्यंजनों में घी और मक्खन का इस्तेमाल होता है, जो एक सेहतमंद फैट का काम करता है। यह शरीर के लिए फायदेमंद होता है । हमारे भोजन में अधिक हरी सब्जियां, दाल और रोटी अधिक होते हैं, जो बिल्कुल वसायुक्त नहीं होते हैं। हालांकि रेस्तरां में परोसे जाने वाले खाने के बारे में कुछ विशेष नहीं कहा जा सकता है लेकिन भारतीय घरों में बनने वाला खाना स्वास्थ्यकर होता है।
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2. भारतीय भोजन मसालेदार होते हैं
भारत मसालों का राजा है। लेकिन कई बार लोग स्पाइसी शब्द को तीखापन से जोड़कर देखते हैं जबकि भारत में ऐसा नहीं है। हमारे यहां कई तरह के स्पाइस या मसालों का उपयोग खाना बनाने में किया जाता है। ये मसाले हैं, हल्दी, गरम मसाला (मसालों का मिश्रण), लौंग, जीरा, मेथी और धनिया। ये मसाले हमारे खानों में मिलकर न केवल स्वाद बढ़ाते हैं बल्कि स्वस्थ बनाने में मदद करते हैं। कोविड के दौरान भी भारतीय मसालों ने कई लोगों के लिए राहत का काम किया। आर्युवेद में भारतीय मसालों को औषधी की श्रेणी में रखा गया है, जो कई बीमारियों को ठीक कर सकते हैं।
3. भारतीय खाना पकाना मुश्किल है
तमाम लोग मानते हैं कि भारतीय पारंपरिक खाना बनाने में काफी समय लगता है लेकिन ऐसा नहीं है। इन व्यंजनों को बनाने में मात्र 20-30 मिनट का समय लगता है और सबसे बड़ी खासियत ये है कि हमारे यहां भोजन को बहुत अच्छे से पकाया जाता है, जिसेक कारण खाने का स्वाद भी बढ़ जाता है। लेकिन आप अच्छी से अच्छी डिश 1 घंटे में पका सकते हैं और अगर आपको खाना बनाने का शौक है, तो ये और भी जल्दी हो सकता है । बल्कि औप तंदूरी रोटी, पनीर बटर और बटर चिकन भी काफी कम समय में बना सकते हैं।
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4. करी पाउडर का उपयोग
हमारे यहां खाने में करी पाउडर का उपयोग खाने का स्वाद बढ़ाने के साथ-साथ सेहत के लिए भी दिया जाता है। ज्यादातर लोग करी पत्ता खाने में डालते हैं। खासकर दक्षिण भारतीय व्यंजनों का स्वाद बढ़ाने के लिए करी पत्ता एक बेहद महत्वपूर्ण डिश है। इससे खाने में सुगंध भी आती है। करी पत्ता पाचन तंत्र से लेकर अन्य समस्याओं को कम करने में मददगार साबित हो सकता है।
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5. भारतीय मिठाई बहुत मीठी होती है
यह बिल्कुल गलत बात है। भारतीय मिठाईयों का स्वाद बिल्कुल नापा-तौला रहता है। कई लोगों को तो ये तक पता होता है कि किस मिठाई में कितनी चीनी जाएगी और कितना गुड़। ऐसे में घर पर प्रसाद के लिए बनने वाली मिठाईयां हो या ईद-त्योहार में बनने वाले मीठे पकवान, सभी का स्वाद मिठास में बिल्कुल संतुलित होता है बल्कि इसमें घी, गुड़ और ड्राई फ्रूट्स का इस्तेमाल किया जाता है, जो बहुत फायदेमंद होता है।
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