सुबह उठते ही गरमा-गरम काफी या चाय का एक कप हमें तरोताजा कर देता है। इसका एक और जबरदस्त लाभ भी है। हाल में हुए एक शोध के मुताबिक रोजाना तीन या इससे ज्यादा कप काफी या चाय पीकर 65 या इससे ज्यादा उम्र की महिलाएं अपनी याददाश्त घटने की रफ्तार पर लगाम लगा सकती है।
अमेरिकन एकेडमी आफ न्यूरोलाजी में छपे अध्ययन के मुताबिक काफी में पाया जाने वाला कैफिन इसके लिए जिम्मेदार होता है। तीन कप से ज्यादा काफी या चाय पीने वाली महिलाओं की याददाश्त एक कप चाय या काफी पीने वाली महिलाओं से बेहतर होती है। शोध के मुताबिक 80 या इससे अधिक उम्र की महिलाओं की याददाश्त बरकरार रखने में कैफिन की भूमिका और भी बेहतर हो जाती है। हालांकि कैफिन से मतिभ्रम या पागलपन पर काबू नहीं पाया जा सकता।
शोधार्थियों ने सात हजार से ज्यादा ऐसे लोगों का चार साल तक निरीक्षण किया जो मतिभ्रम के शिकार नहीं थे। इनमें 4,197 महिलाएं और 2,820 पुरुष थे। वहीं इटली में हुए एक शोध के मुताबिक काफी में पाए जाने वाले कैफिन से काफी हद तक पलकों के झपकने पर काबू पाया जा सकता है। यहां तक कि यह ब्लेफारोस्पास्म (पलकों के लगातार और तेजी से झपकने की बीमारी) में भी लाभदायक है। यूनिवर्सिटी आफ बारी, इटली के डाक्टर जियोवानी डेफाजियो ने बताया कि ब्लेफारोस्पास्म में काफी पीने से लाभ तो होता है लेकिन यह पूर्ण इलाज नहीं है। उन्होंने बताया कि डाइस्टोनाइस नामकी बीमारी में मरीज अपनी मांसपेशियों पर काबू नहीं रख पाता। यह कई प्रकार की होती है। ब्लेफारोस्पास्म इसका एक प्रकार है, जिसमें मरीज अपनी पलकों पर नियंत्रण नहीं रख पाता और वह इच्छा के विरुद्ध लगातार झपकती रहती है। डेफैजियो ने बताया कि कैफिन हमारी गतिविधियों पर नियंत्रण रखने वाले दिमाग के हिस्से बासाल गैंगिला को सक्रिय कर देता है।
यदि आप कॉफी के एक कप के बिना अपना दिन शुरू नहीं कर सकते। हो सकता है कि आपको अपनी यह आदत बुरी लगती हो, लेकिन हकीकत यह है कॉफी का कप आपकी सेहत के लिए काफी फायदेमंद होता है। एक शोध के मुताबिक जो लोग नियमित तौर पर काफी का सेवन करते हैं उनमें आत्महत्या करने की प्रवृत्ति उन लोगों की अपेक्षा 53 फीसदी तक कम होती है, जो लोग कॉफी का बिलकुल सेवन नहीं करते। यह शोध वर्ल्ड जर्नल ऑफ बायोलॉजिकल साइकेट्री में प्रकाशित हुआ है।
इस शोध में करीब 2 लाख लोगों की कॉफी पीने की आदत का अध्ययन किया गया और इसके बाद उनकी मौत की वजह को जांचा गया। जो परिणाम सामने आये वे चौंकाने वाले थे। जिन लोग रोजाना तीन या उससे अधिक कप कॉफी पीते हैं उनमें आत्महत्या करने की प्रवृत्ति 45 फीसदी तक कम पायी गयी, वहीं चार या उससे ज्यादा कप कॉफी पीने वालों में यह आंकड़ा 53 फीसदी था।
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