कैंसर के मरीज विश्वभर में तेजी से बढ़ रहे हैं। कैंसर लाइफ स्टाइल से जुड़ी बीमारी है यानि ये बीमारी इंसानों में उनके अनियमित रहन-सहन और गलत खान-पान की वजह से बढ़ रही है। मगर धीरे-धीरे ये बीमारी अनुवांशिक हो गई है यानि अब छोटे-छोटे बच्चे भी इस खतरनाक और जानलेवा बीमारी का तेजी से शिकार हो रहे हैं। भारत में कैंसर के जितने मरीज आते हैं उनमें से लगभग 5% मामले 15 साल से कम उम्र के बच्चों के होते हैं।
आजकल कैंसर ऐसी बीमारी बन गई है जो शरीर के किसी भी अंग को प्रभावित कर सकती है। इसी के आधार पर अलग-अलग सौ से ज्यादा तरह के कैंसर अब तक पहचाने गए हैं। मगर आपको बता दें कि बच्चों में होने वाले ज्यादातर कैंसर रोगी एक ही तरह की बीमारी का शिकार होते हैं और वो है ब्लड कैंसर। यानि दुनियाभर में और भारत में बच्चों में होने वाला ब्लड कैंसर या ल्यूकीमिया तेजी से बढ़ रहा है। बच्चों में इस बीमारी के लक्षण पहचानना थोड़ा मुश्किल है। आमतौर पर कैंसर जब किसी अंग में आधे से ज्यादा फैल चुका होता है, तब व्यक्ति को इसका पता चलता है।
क्या है ल्यूकीमिया या ब्लड कैंसर
ल्यूकीमिया एक तरह के ब्लड कैंसर की शुरुआती स्टेज है। इसका इलाज आसानी से किया जा सकता है मगर तभी जब इस रोग के शुरुआत में ही इसका पता चल जाए। अगर ठीक समय से इलाज न किया जाए तो ये एक खतरनाक और जानलेवा रोग है। ल्यूकीमिया की सही समय पर जांच और चिकित्सा आपको कैंसर से बचा सकती है।
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ल्यूकीमिया या ब्लड कैंसर के लक्षण
बच्चों में ल्यूकीमिया यानि ब्लड कैंसर के लक्षणों को पहचानना थोड़ा मुश्किल है। लेकिन इन लक्षणों पर ध्यान देकर अगर आप तुरंत चिकित्सक से संपर्क करेंगे, तो शायद इस खतरनाक रोग से आप अपने बच्चों को बचा पाएंगे।
- बार-बार एक ही तरह का संक्रमण होना।
- बहुत तेज बुखार होना।
- रोगी का इम्यून सिस्टम कमजोर होना।
- हर समय थकान और कमजोरी महसूस करना।
- एनीमिया होना।
- नाक-मसूड़ों इत्यादि से खून बहने की शिकायत होना।
- प्लेटलेट्स का गिरना।
- शरीर के जोड़ों में दर्द होना।
- हड्डियों में दर्द की शिकायत होना।
- शरीर के विभिन्न हिस्सों में सूजन आना।
- शरीर में जगह-जगह गांठों के होने का महसूस होना।
- लीवर संबंधी समस्याएं होना।
- अकसर सिरदर्द की शिकायत होना। या फिर माइग्रेन की शिकायत होना।
- पक्षाघात यानी स्ट्रोक होना।
- दौरा पड़ना या किसी चीज के होने का बार-बार भ्रम होना। यानी कई बार रोगी मानसिक रूप से परेशान रहने लगता है।
- उल्टियां आने का अहसास होना या असमय उल्टियां होना।
- त्वचा में जगह-जगह रैशेज की शिकायत होना।
- ग्रंथियों/ग्लैंड्स का सूज जाना।
- अचानक से बिना कारणों के असामान्य रूप से वजन का कम होना।
- जबड़ों में सूजन आना या फिर रक्त का बहना।
- भूख ना लगने की समस्या होना।
- यदि चोट लगी है तो चोट का निशान पड़ जाना।
- किसी घाव या जख्म के भरने में अधिक समय लगना।
तेजी से फैलता है ल्यूकिमिया यानि ब्लड कैंसर
हालांकि ल्यूकीमिया के आरंभिक लक्षणों में फ्लू और दूसरी कई गंभीर बीमारियां होती हैं लेकिन जब ल्यूकीमिया अधिक बढ़ने लगता है तो उपरलिखित तमाम समस्याएं होने लगती हैं। कई बार इन समस्याओं को नजरअंदाज कर दिया जाता है तो ल्यूकीमिया कैंसर कोशिकाएं यानी ये ट्यूमर कोशिकाएं शरीर के अन्य भागों में भी फैल जाती हैं। जिससे शरीर में असामान्य रूप से सूजन आने लगती हैं और शरीर बहुत भद्दा दिखाई पड़ने लगता हैं। यदि आप सही समय पर ल्यूकीमिया के लक्षणों की पहचान कर पाते हैं और उसका उपचार करवा लेते हैं तो आप ल्यूकीमिया के जोखिम से बाहर निकल सकते हैं।
खतरनाक रोग है ल्यूकीमिया
ल्यूकीमिया सेल्स सीधे तौर पर रक्त को बहुत प्रभावित करते हैं। हालांकि ल्यूकीमिया के लक्षणों को आसानी से पहचाना जा सकता है, लेकिन जो लोग ल्यूकीमिया के लक्षणों को नजरअंदाज कर देते हैं और ल्यूकीमिया का समय पर इलाज नहीं करवाते उनका जीवन अधिकतम चार साल ही होता है। हालांकि यह भी मरीज की उम्र ,प्रतिरोधक क्षमता और ल्यूकीमिया के प्रकार पर निर्भर करता हैं। क्या आप जानते हैं ल्यूकीमिया यानी रक्त कैंसर का इलाज ल्यूकीमिया के प्रकारों के आधार पर ही होता है।
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