प्रेगनेंसी में चिकनपॉक्स (चेचक) होने के कारण, लक्षण और बचाव

गर्भवती महिलाओं को अगर चिकन पॉक्स हो जाएं तो इसे हल्के में ना लें। ऐसे में डॉक्टर से संपर्क करना जरूरी है। जानें लक्षण, कारण और उपचार
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प्रेगनेंसी में चिकनपॉक्स (चेचक) होने के कारण, लक्षण और बचाव


आमतौर पर चिकन पॉक्स यानी चेचक बच्चों को होता है लेकिन कभी कभी बड़ों को भी ये समस्या परेशान कर सकती है। बता दें कि अगर ये समस्या बड़ों को हो जाए तो जल्दी ठीक नहीं होती है। जी हां कुछ मामले ऐसे भी सामने आएं जब प्रेगनेंसी के दौरान चेचक की समस्या हो सकती है। जी हां प्रेगनेंसी के दौरान चेचक की समस्या नजर आ सकती है, जिसके कारण बच्चे पर भी नकारात्मक प्रभाव पड़ सकता है। ध्यान दें कि यह एक प्रकार का वायरस संक्रमण होता है जो वेरिसेला जोस्टर वायरस के कारण फैलता है। आम घरों में इसे छोटी माता के नाम से भी जाना जाता है। जब यह समस्या होती है तो चेहरे पर छोटे छोटे दाने नजर आते हैं और वह दाने आगे चलकर गंभीर रूप ले सकते हैं और ये फफोले का रूप ले सकते हैं। आज का हमारा लेख इसी विषय पर है। आज हम आपको अपने इस लेख के माध्यम से बताएंगे कि प्रेगनेंसी के दौरान चिकन पॉक्स होने का क्या कारण है। साथ ही इसके लक्षण और उपचार भी जानेंगे। पढ़ते हैं आगे...

 

प्रेगनेंसी के दौरान चिकन पॉक्स होने के लक्षण

1 - चेहरे पर दाने नजर आना

2 - महिलाओं को बुखार आ जाना

3 - गर्भावस्था के दौरान चिकन पॉक्स होने पर सिर दर्द होना।

4 - समस्या के गंभीर होने पर फफोले पड़ जाना और उसमें से द्रव निकलना।

5 - महिला की त्वचा पर रैशेज होना।

6 - महिलाओं को थकान महसूस करना।

7 - भूख में कमी होना

8 - लाल दानों में खुजली होना।

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प्रेगनेंसी के दौरान चिकन पॉक्स होने के कारण

गर्भवती महिलाएं चिकेनपॉक्स की समस्या से ग्रस्त हो जाती हैं तो उसके पीछे का मुख्य कारण वेरिसेला जोस्टर वायरस होता है। वहीं इसके पीछे एक कारण यह भी है कि चिकन पॉक्स से ग्रसित लोग के संपर्क में आने से भी महिलाओं को समस्या हो सकती है। इससे संक्रमित व्यक्ति जब छींकता है तो हवा में उड़ने वाले कण स्वस्थ व्यक्ति को भी संक्रमित कर सकते हैं। इससे अलग चिकनपॉक्स से जो तरल पदार्थ निकलता है उन्हें छूने से भी ये समस्या हो सकती है।

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चिकन पॉक्स का इलाज

सबसे पहले डॉक्टर गर्भावस्था के दौरान चिकन पॉक्स होने पर शारीरिक परीक्षण करते हैं और लक्षणों का पता लगाते हैं। साथ ही वे मौखिक उपचार भी करते हैं और ये पता लगाते हैं बीते दो दिनों में आप किसी चेचक से संक्रमित व्यक्ति के संपर्क आए या नहीं। उसके बाद खून टेस्ट के माध्यम से खून की जांच करते हैं। साथ ही फफोलों के तरल पदार्थ के माध्यम से वायरस की भी जांच की जाती है। इसके अलावा जब गर्भावस्था के दौरान चिकन पॉक्स होते हैं तो महिलाओं को तुरंत डॉक्टर से संपर्क करना चाहिए, जिससे समय पर इलाज शुरू हो सके। डॉक्टर समस्या को दूर करने के लिए कुछ एंटीवायरल दवाओं का सेवन करने की सलाह दे सकते हैं। वहीं समस्या के गंभीर होने पर अस्पताल में भर्ती भी करवा सकते हैं।

नोट - ऊपर बताए गए बिंदुओं से पता चलता है कि प्रेगनेंसी के दौरान अगर किसी महिला को चिकन पॉक्स हो गए हैं तो वह कुछ घरेलू उपाय की मदद से समस्या को दूर नहीं कर सकती। महिलाओं को तुरंत डॉक्टर से संपर्क करना जरूरी है। नहीं तो बच्चे की सेहत पर इसका नकारात्मक प्रभाव पड़ सकता है। चिकन पॉक्स होने पर कुछ लक्षण नजर आते हैं। ऐसे में सभी लक्षण नजर आए तो तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें। गर्भावस्था के दौरान किसी भी चीज को अपनी डाइट में जोड़ने या निकालने से पहले एक बार एक्सपर्ट की राय जरूर लें। वही संक्रमित होने से पहले बचने के लिए उन लोगों के संपर्क में आने से बचें जो पहले से ही इस समस्या से ग्रस्त हैं।

इस लेख में इस्तेमाल की जानें वाली फोटोज़ Freepik से ली गई हैं।

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