दीपावली दीपों का त्यौहार है। बेशक दीप जलाएं। घर बाहर दीप जलना बहुत रमणीय लगता है। लेकिन दीपों के साथ-साथ लोग पटाखे भी जलाते हैं। पटाखों का कुछ पल का मजा वातावरण में जहर घोल देता है। इनमें मौजूद नाइट्रोजन डाइआक्साइड, सल्फर डाइआक्साइड जैसे हानिकारक प्रदूषक अस्थमा व ब्रान्काइटिस जैसी सांसों से संबंधी समस्याओं को जन्म देती हैं। लेकिन कुछ मापदंडों को अपनाकर, आप इन हानिकारक प्रदूषकों से बच सकते हैं।
दीपावली खुशियों एवं रोशनी का त्यौहार है लेकिन दीपावली के दौरान छोड़े जाने वाले तेज आवाज के पटाखे पर्यावरण के साथ जन स्वास्थ्य के लिये खतरा पैदा कर सकते हैं। दीपावली के दौरान पटाखों एवं आतिशबाजी के कारण दिल के दौरे, रक्त चाप, दमा, एलर्जी, ब्रोंकाइटिस और निमोनिया जैसी स्वास्थ्य समस्याओं का खतरा बढ़ जाता है और इसलिये दमा एवं दिल के मरीजों को खास तौर पर सावधानियां बरतनी चाहिये।
कैसे बरतें सावधानी:
- अगर आपको दमा या सांसों से संबंधी समस्या हैं, तो घर के अंदर ही रहें और धुंए से बचने का प्रयास करें। ऐसे में अगर आपको बाहर जाना ही है, तो अपनी दवाएं साथ रखें और मास्क लगाकर बाहर जायें।
- दीपावली का समय आते ही लोग घर की साफ-सफाई में जुट जाते हैं और घर के बेकार सामानों को बाहर फेंक देते हैं। इनमें कुछ ऐसे सामान भी होते हैं, जो अजैविक होते हैं और वातावरण को नुकसान पहुंचाते हैं। ऐसे सामानों को इधर-उधर ना फेंकें।
- पटाखों से निकलने वाली आवाज अत्यधिक ध्वनि प्रदूषण फैलाती हैं और यह स्वास्थ्य के लिए भी हानिकारक होती है। दीपावली में सबसे ज्यादा इस्तेमाल में लाये जाने वाले ‘लक्ष्मी बम’ से 100 डेसिबेल(ध्वनि नापने की इकाई) आवाज आती है और 50 डेसिबेल से तेज़ आवाज़ के स्तर को मनुष्य के लिए हानिकारक माना जाता है। शायद आप नहीं जानते, अचानक बहुत तेज आवाज सुनने से व्यक्ति बहरा भी हो सकता है और इस कारण हृदय के मरीजों में दिल का दौरा पड़ने की संभावना बढ़ जाती है।
- चिकित्सकों का कहना है कि पटाखों का शोरगुल और प्रदूषण सभी के लिए नुकसानदायक होता है। अधिक रोशनी और शोरगुल वाले पटाखों के कारण लोगों की आंखों में अंधता और कानों में बहरापन आ सकता है। इसलिए पटाखों से दूरी बनाकर रखें।
तो आज ही यह बात अपने दोस्तों में फैला दें कि आप इस बार प्रदूषण मुक्त दीपावली मनाने वाले हैं।
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