किडनी कैंसर (Kidney Cancer) एक ऐसी बीमारी है जो किडनी में शुरू होती है। यह तब होता है जब एक या दोनों किडनी में स्वस्थ कोशिकाएं नियंत्रण से बाहर हो जाती हैं और एक गांठ (जिसे ट्यूमर कहा जाता है) बन जाती है। वृक्क कोशिका कार्सिनोमा (Renal cell carcinoma) वयस्कों में गुर्दे के कैंसर का सबसे आम प्रकार है। वृक्क नलिकाएं आपके रक्त को साफ करती हैं और मूत्र बनाती हैं।
किडनी कैंसर किन कारणों से होता है इसका कारण स्पष्ठ नहीं है, लेकिन इसके जोखिम कारकों की जानकारी के जरिए आप इस गंभीर समस्या से बच सकते हैं। स्वस्थ जीवनशैली व पोषक आहार के जरिए आप किडनी के रोगों से बच सकते हैं। किडनी में किसी भी प्रकार की समस्या होने पर इसे हल्के में ना लें। इसके बारे में तुरंत डॉक्टर से बात करें और संबंधित जांचों को करवाएं। इसके अलावा निम्नलिखित जोखिम कारकों से बच कर रहें।
किडनी रोग
जिन लोगों की किडनी फेल हो जाती है उन्हें हफ्ते में दो बार अपने ब्लड को मशीन के जरिए फिल्टर कराना पड़ता है। इस प्रक्रिया को डायलिसिस बोलते हैं। जो लोग लंबे समय तक डायलिसिस कराते हैं उनमें किडनी सिस्ट व किडनी कैंसर होने का खतरा बढ़ जाता है। डायलिसिस का सीधा संबंध किडनी कैंसर के लक्षणों से नहीं होता है। गुर्दे में पथरी होने के संकेत हैं शरीर में दिखने वाले ये 7 लक्षण, न करें नजरअंदाज
अनुवांशिक कारण
कुछ लोगों में खराब जीन्स के कारण किडनी कैंसर का खतरा बढ़ जाता है। डीएनए में किसी भी तरह के बदलाव करने से जीन्स असमान्य ढंग से काम करने लगती है। इन कारणों से होने वाले कैंसर को अनुवांशिक कहा जाता है। वैज्ञानिक इस तरह के जीन की खोज में लगे हैं जो किडनी कैंसर की जिम्मेदार होती है जिससे भविष्य में डॉक्टरों को इस तरह के मामलों मदद मिल सके। जिन लोगों को अनुवांशिक कारणों से किडनी कैंसर होता है उनमें अक्सर दोनों किडनी में कैंसर के लक्षण पाए जाते हैं। उनकी प्रत्येक किडनी में कई ट्यूमर हो सकते हैं। अनुवांशिक कैंसर से ग्रस्त व्यक्ति अक्सर कम उम्र में ही इसके लक्षण दिखने लगते हैं।
मोटापा
विशेषज्ञों का कहना है कि किडनी कैंसर के बढ़ते मामले की एक प्रमुख वजह मोटापा है। ब्रिटेन में 'कैंसर रिसर्च यूके' ने जो आंकड़े प्रकाशित किए हैं, उनमें बताया गया है कि साल 2009 में किडनी कैंसर के 9000 से ज्यादा मामले सामने आए, जबकि वर्ष 1975 में इनकी संख्या महज 2300 थी। मोटापे की वजह से किडनी कैंसर का खतरा लगभग 70 प्रतिशत बढ़ जाता है।'कैंसर रिसर्च यूके' का कहना है कि बहुत कम लोग इस बात को समझ पाते हैं कि वजन ज्यादा होने से भी कैंसर का खतरा बढ़ जाता है।
हाई ब्लड प्रेशर
हाई ब्लड प्रेशर से किडनी की समस्या भी हो सकती हैं क्योंकि किडनी हमारे शरीर से दूषित पदार्थों को बाहर निकालता है। हाई बल्ड प्रेशर के कारण किडनी की रक्त वाहिकाएं संकरी या मोटी हो जाती हैं। इस कारण से किडनी ठीक से काम नहीं कर पाती है और खून में दूषित पदार्थ जमा होने लगते हैं और किडनी कैंसर के लक्षण दिखायी देने लगते हैं।
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एल्कोहल का अधिक सेवन
एल्कोहल का सेवन करने वाले लोगों में किडनी कैंसर की समस्या हो सकती है। एल्कोहल की लत से किडनी की सेहत पर विपरीत असर होता है जिससे किडनी कैंसर के लक्षण दिखाई देने लगते हैं। एल्कोहल ना पीने वाले लोगों में एल्कोहल पीने वाले लोगों की अपेक्षा किडनी कैंसर का खतरा कम होता है।
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धूम्रपान
अगर आप धूम्रपान करते हैं तो किडनी कैंसर का खतरा बढ़ सकता है।धूम्रपान करने वालों में औसतन 50 प्रतिशत किडनी कैंसर होने का खतरा होता है। लेकिन अगर आपके धूम्रपान की लत बढ़ती जा रही है तो यह प्रतिशत बढ़ भी सकता है। जो लोग दिन भर में 20 सिगरेट पीते हैं उनमें किडनी कैंसर की संभावना धूम्रपान नहीं करने वालों से दुगनी होती है।
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