Hormonal Imbalance In Teenagers: किशोरावस्था के दौरान शरीर में कई बदलाव आते हैं। ऐसे में शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य दोनों में बदलाव हो रहे होते हैं। लड़कियों को पीरियड्स आना शुरू हो जाते हैं और पुरूषों में भी शारीरिक बदलाव होते हैं। दरअसल, इस दौरान शरीर में हार्मोन्स बदल रहे होते हैं जिस कारण ये चेंजेस होते हैं। वहीं, आजकल किशोरों में हार्मोन्स इंबैलेंस से जुड़ी समस्याएं काफी देखने को मिल रही हैं। लड़कियों को 12-13 की उम्र से ही पीसीओएस और पीसीओडी हो रहा है। वहीं, पुरूषों को भी इंसुलिन रेजिस्टेंस और थायराइड हो रहा है। लेकिन क्या आप जानते हैं किशोरावस्था में बच्चों को हार्मोनल इशुज क्यों हो रहे हैं? इस बारे में जानने के लिए हमने नई दिल्ली स्थित एलांटिस हेल्थकेयर के आब्सटेट्रिक्स और गायनेकोलॉजी डिपार्टमेंट के चेयरमैन और हेड ऑफ डिपार्टमेंट डॉ. मनन गुप्ता से बात की।
किशोरावस्था में हार्मोन्स इंबैलेंस से जुड़ी समस्याएं ज्यादा क्यों हो रही हैं? Causes of Hormonal Imbalance In Teenagers
किशोरावस्था में बच्चों को हार्मोन्स इंबैलेंस से जुड़ी समस्याएं इन कारणों से हो रही हैं-
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प्यूबर्टी के कारण
किशोरावस्था में प्यूबर्टी के कारण हार्मोन्स इंबैलेंस हो सकते हैं। दरअसल, इस दौरान शरीर में कई हार्मोनल बदलाव हो रहे होते हैं। प्यूबर्टी के दौरान एंडोक्राइन ग्लैंड (हार्मोन्स रेगुलेट करने वाला ग्लैंड) ओवरएक्टिव हो जाता है। इस कारण एस्ट्रोजन और टेस्टोस्टेरोन हार्मोन्स इंबैलेंस होने लगते हैं। इस इंबैलेंस के कारण मूड स्विंग्स, एक्ने, इर्रेगुलर पीरियड्स और वजन में बदलाव होने जैसी समस्याएं हो सकती हैं।
जंक और प्रोसेस्ड फूड की आदत
टीनएज के दौरान शरीर में कई हार्मोनल बदलाव हो रहे होते हैं। ऐसे में शरीर को न्यूट्रिशन की जरूरत होती है। लेकिन आजकल ज्यादातर टीनएजर्स को जंक और प्रोसेस्ड फूड खाने की आदत होती है। इस कारण शरीर में पोषण के बजाय टॉक्सिन्स जाते हैं। जंक, शुगरी और प्रोसेस्ड फूड ज्यादा खाने से इंसुलिन लेवल बिगड़ सकता है। इस कारण लड़कियों में पीसीओएस और पीसीओडी जैसे हार्मोनल इशुज हो सकते हैं।
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देरी से सोने की आदत
अनहेल्दी डाइट और लाइफस्टाइल के कारण भी टीनएजर्स में हार्मोन्स इंबैलेंस हो सकते हैं। आजकल कई टीनएजर्स पढ़ाई या एंटरटेंमेंट के कारण देरी से सोते हैं। इस कारण उनकी स्लीप साइकिल पर बुरा असर पड़ता है और हार्मोन्स इंबैलेंस हो सकते हैं। क्योंकि इस वजह से शरीर को पर्याप्त आराम नहीं मिल पाता, जो हार्मोन्स को बैलेंस रखने के लिए बहुत जरूरी है।
कोई एक्सरसाइज न करना
आलस और बिजी शेड्यूल के कारण कई टीनएजर्स एक्सरसाइज अवॉइड करते हैं। लेकिन प्यूबर्टी के दौरान शरीर में कई बदलाव हो रहे हैं। जिस कारण एक्सरसाइज न करने से शरीर पर बुरा असर पड़ता है। इस कारण वजन बढ़ सकता है और कई बीमारियों का खतरा भी बढ़ सकता है। ऐसे में शरीर में कई हार्मोन्स इंबैलेंस हो सकते हैं। इस कारण शरीर में थकावट, स्ट्रेस और मेटाबॉलिज्म से जुड़ी समस्याएं हो सकती हैं।
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स्ट्रेस के कारण
किशोरावस्था में बच्चों को तनाव भी ज्यादा रहता है। इस दौरान बच्चों में पढ़ाई के प्रेशर, आगे बढ़ने की भागदौड़, सोशल मीडिया के क्रेज के चलते स्ट्रेस बना रहता है। जिस वजह से शरीर में कोर्टिसोल हार्मोन इंबैलेंस हो सकता है। ये हार्मोन टीनएजर्स में रिप्रोडक्टिव और ग्रोथ हार्मोन्स को नुकसान पहुंचा सकता है। ज्यादा तनाव के कारण एंग्जायटी और डिप्रेशन जैसी समस्याएं भी हो सकती हैं, जो ओवरऑल हेल्थ को नुकसान कर सकती हैं।
अगर डाइट और लाइफस्टाइल को हेल्दी बनाकर रखा जाए, तो किशोरावस्था में हार्मोन्स इंबैलेंस को कंट्रोल किया जा सकता है।