Causes Of Bleeding But Not Period In Hindi: पीरियड्स होने पर महिला को 5 से 7 दिन तक ब्लीडिंग हो सकती है। ऐसा होना बिल्कुल नॉर्मल है। कभी-कभी स्ट्रेस या दवा लेने की वजह से पीरियड्स का फ्लो और डेट में बदलाव हो सकते हैं। हालांकि, कभी-कभी ऐसा किसी गंभीर बीमारी के कारण भी होता है। कुछ महिलाओं को पीरियड्स न होने के बावजूद कभी-कभी ब्लीडिंग (periods na hone par bleeding ho to kya kare) हो जाती है। यह सही नहीं है। अगर आपके साथ भी ऐसा हो, तो इसे नजरअंदाज न करें। बेहतर होगा कि डॉक्टर से मिलें और अपनी जांच करवाएं। इस लेख में हम आपको बता रहे हैं पीरियड्स न होने पर भी अगर ब्लीडिंग (periods na hona) हो, तो इसका क्या कारण हो सकता है।
पीरियड न होने पर भी ब्लीडिंग क्यों होती है- Causes Of Bleeding But Not On Period In Hindi
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इंफेक्शन होना
पीरियड्स न होने पर भी अगर ब्लीडिंग हो रही है, तो यह सही नहीं है। खारघर स्थित मदरहुड हॉस्पिटल में Consultant Obstetrician & Gynaecologist डॉ. प्रतिमा थम्के कहती हैं, "पीरियड्स न होने पर भी अगर ब्लीडिंग यीस्ट इंफेक्शन के कारण हो सकती है। यीस्ट इंफेक्शन होने पर महिला को ब्लीडिंग होने के अलावा, सूजन, इचिंग, असामान्य वजाइनल डिस्चार्ज जैसी अन्य समस्याएं भी देखने को मिल सकती हैं। यीस्ट इंफेक्शन (yeast infection) होने पर महिला को काफी असहजता का सामना करना पड़ता है। इसलिए, बिना देरी किए डॉक्टर से संपर्क करना चाहिए।"
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चोट लगना
कई बार चोट लगने की वजह से भी वजाइनल ब्लीडिंग होने लगती है। यह पीरियड्स में होने वाली ब्लीडिंग से अलग है। डॉ. प्रतिमा थम्के की मानें, "कभी-कभी पेनेट्रेटिंग इंजरी (सेक्स के दौरान योनि में बाहरी ऑब्जेक्ट का इस्तेमाल करना) से भी ब्लीडिंग हो सकती है। इससे महिला को काफी तकलीफ होती है। कभी-कभी चोट बहुत ज्यादा घातक भी हो सकती है। इसलिए, चोट लगने पर महिला को अपना ट्रीटमेंट करवाने में देरी नहीं करनी चाहिए।"
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फर्टिलिटी ट्रीटमेंट
कई बार महिला को दो पीरियड्स के बीच ब्लीडिंग हो जाती है। इसका मतलब है कि एक महीने में दो बार ब्लीडिंग हो जाती है। डॉ. प्रतिमा थम्के कहती हैं, "पीरियड्स के बीच ब्लीडिंग होने का कारण फर्टिलिटी ट्रीटमेंट हो सकती है। फर्टिलिटी ट्रीटमेंट के दौरान महिला को कुछ ऐसी प्रक्रियाओं से होकर गुजरना पड़ता है, जिसके कारण महिला को वजाइनल ब्लीडिंग हो जाती है। साथ ही, पेट में दर्द और क्रैम्पिंग यानी ऐंठन भी हो सकती है। वैसे, यह सब डॉक्टर की देखरेख में ही होता है। इसलिए, अगर किसी महिला की स्वास्थ्य में बदलाव हो, तो उन्हें इस संबंध में गायनेकोलॉजिस्ट या फर्टिलिटी एक्सपर्ट से बात करनी चाहिए।"
हार्मोनल बदलाव
कई बार हार्मोन में बदलाव के कारण महिला को दो पीरियड्स के बीच ब्लीडिंग हो सकती है। हार्मोन में बदलाव के कई कारण हो सकते हैं, जैसे स्ट्रेस, कंट्रासेप्शन, मेनोपॉज आदि। डॉ. प्रतिमा थम्के बताती हैं, "अगर आपको वजाइनल इंफेक्शन नहीं है और चोट भी नहीं लगी है, फिर भी ब्लीडिंग हो रही है। साथ ही, यह पीरियड्स नहीं है, तो हार्मोन में हो रहे बदलाव को ब्लीडिंग की वजह मानी जा सकती है। इस संबंध में बेहतर होगा कि डॉक्टर से मिलें।"
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