बिना ब्लीडिंग के भी हो सकते हैं पीरियड्स, डॉक्टर से जानें इसके 6 बड़े कारण

कई महिलाओं के पीरियड्स देर से आने या ब्लड का कलर बदरंग होने से ही चिंता होने लगती है। लेकिन जब बिना ब्लड के पीरियड्स हों तब। जानिए।  
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बिना ब्लीडिंग के भी हो सकते हैं पीरियड्स, डॉक्टर से जानें इसके 6 बड़े कारण


ब्लड के पीरियड्स के कारण को जानने से  पहले जरूरी है कि हम मासिक धर्म(पीरियड्स) और ओव्यूलेशन के बीच के अंतर को समझें। ओव्यूलेशन में फर्टिलाइज एग ओवरी से निकलता है। जबकि मासिक धर्म (पीरियड्स) में ओव्यूलेशन के बाद ब्लीडिंग होती है। अब सवाल उठता है कि क्या बिना ब्लड पीरियड्स हो सकते हैं? डॉक्टर रंजना बेकन गायनोकोलॉजिस्ट कोलंबिया एशिया अस्पताल का जवाब है -हां! लेकिन बहुत कम। हो सकता है आप ओव्यूलेट करें और पीरियड्स नहीं हो (Periods with no blood)। लेकिन बिना ओव्यूलेट किए भी पीरियड्स हो सकता है। यह तभी संभव है जब आपका हाइमन अभी भी बरकरार हो तब आपको ब्लीडिंग नहीं दिखेगी (Periods with no blood)। दूसरी बात ओव्यूलेशन नहीं होने की भी बहुत सी वजहें हो सकती हैं। जैसे तनाव के लेवल में बदलाव या थायराइड की समस्या। 

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कैसे मालूम होगा कि यह पीरियड्स है या सिर्फ लक्षण?

क्रैंप्स आम तौर पर पीरियड्स के समय होने वाले पेट दर्द को कहते हैं और यह मेंस्ट्रुएशन का ही एक लक्षण होता है। लेकिन कुछ महिलाओं को बिना ब्लड आए भी क्रैंप्स महसूस होते हैं और इसके पीछे बहुत से कारण संभव हैं, जैसे ओव्यूलेशन, पेल्विक इन्फ्लेमेटरी डिजीज, एंडोमेट्रियोसीस आदि। महिलाओं को पीरियड्स के दौरान दर्द होना बहुत आम बात है। लेकिन पीरियड्स के बिना ही उतना दर्द होना शायद आम बात न हो। इसलिए आपको इसके कारण जरूर ही पता होने चाहिए। 

बिना ब्लड के पीरियड्स का कारण-Causes of periods without bleeding in hindi

1. ओव्यूलेशन (Ovulation) 

आपको उस समय थोड़ा अधिक दर्द या मेंस्ट्रुअल क्रैंप जैसा महसूस हो सकता है जब आपकी ओवरी एग रिलीज करती है। इसे ओवुलेशन की प्रक्रिया कहा जाता है लेकिन कई बार महिलाएं दर्द की वजह से इसे ही पीरियड्स समझ लेती है और जब उन्हें ब्लड महसूस नहीं होता है तो चिंता करने लग जाती हैं। अभी आपके यूटरस की लाइनिंग शेड होने में समय होता है इसलिए आपको ब्लीडिंग नही होती है।

2. रैपचर्ड ओवेरियन सिस्ट (Raptured Ovarian Cyst) 

ओवेरियन सिस्ट एक फ्लूइड से भरा हुआ सैक होता है जोकि आपकी ओवरीज के अंदर डेवलप होता है। यह सिस्ट विभिन्न कारणों की वजह से डेवलप हो सकते हैं और फैल भी सकते हैं। कुछ महिलाओं को इसके कुछ माइल्ड लक्षण देखने को मिलते हैं जिसमें पेट में दर्द, और लोअर एब्डोमेन में दर्द शामिल होता है। इसलिए आपको अगर दर्द होता है तो एक बार सिस्ट के लिए भी चेक करवा लेना चाहिए।

3. पेल्विक इन्फ्लेमेटरी डिजीज (Pelvic Inflammatory Disease) 

यह एक प्रकार का इंफेक्शन होता है जो फैलोपियन ट्यूब, ओवरी, यूटरस और सर्विक्स को संक्रमित करता है।  यह बैक्टेरिया के द्वारा क्रिएट होता है और अक्सर यह बैक्टेरिया सेक्सुअल ट्रांसमिटेड डिजीज के कारण ही फैलता है। इसके लक्षणों में पेट दर्द, वेजिनल डिस्चार्ज, फीवर, सेक्स के दौरान दर्द होना, पीरियड्स का अनियमित हो जाना आदि शामिल हैं।

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4. इरीटेबल बाउल सिंड्रोम के लक्षण (Irritable Bowel Syndrome) 

कई बार आपके पेट का दर्द भी बाकी शरीर के दर्द की तरह ही नॉर्मल होता है। आपको पाचन न होने की वजह से भी पेट में दर्द हो सकता है, अगर आपको इरिटेबल बाउल सिंड्रोम के लक्षणों के कारण भी यह दर्द हो सकता है, और इसका कारण कब्ज भी हो सकता है। आपको लगता होगा कि यह पीरियड्स का दर्द है लेकिन यह नॉर्मल दर्द होता है।

5. एंडोमेट्रियोसीस (Endometriosis) 

यह एक तरह का रिप्रोडक्टिव डिसऑर्डर होता है जिस कारण एंडोमेट्रियल टिश्यू यूटरस के बाहर ग्रो होना शुरू हो जाता है। यह टिश्यू हर महीने बनता है और इसी के कारण प्रेग्नेंसी संभव होती है। अगर आप प्रेगनेंट नहीं होती हैं तो यह पीरियड्स के रूप में शेड हो जाता है। जब यह टिश्यू यूटरस के बाहर उगना शुरू हो जाता है तो इसके कारण आपके पेल्विस में ब्लीडिंग हो सकती है। इसके कारण इंफ्लेमेशन और सूजन आ जाती है जिस कारण आपको दर्द का अनुभव हो सकता है।

6. मेंस्ट्रुएशन (Menstruation)

कई बार आपको पीरियड्स आने के एक या दो दिन पहले ही क्रैंप्स आने शुरू हो जाते हैं तो यह भी मेंस्ट्रुएशन आने का एक लक्षण हो सकता है। 

अगर आपको इनमें से कोई कारण महसूस नहीं हो रहा है और आपको दर्द हो रहा है तो आप इसका कारण पता लगाने के लिए कुछ टेस्ट भी करवा सकती हैं जैसे आप ब्लड टेस्ट, इमेजिंग टेस्ट, लेपोरस्कॉपी आदि शामिल होते हैं।  अगर आप इस दर्द से राहत पाना चाहती हैं तो बर्थ कंट्रोल पिल्स, कुछ हार्मोन थेरेपी दवाइयां, वार्म बाथ और हॉट वॉटर बॉटल का प्रयोग कर सकती हैं।

Images Credit: Seventeen Magazine and Prevention.com

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