प्रेगनेंसी में कई तरह की परेशानियां होती रहती हैं, उन्हीं में से एक है सांस फूलना। स्त्री रोग विशेषज्ञों का मानना है कि अगर प्रेग्नेंसी की पहली तिमाही में सांस फूलती है तो यह सामान्य माना जाता है। लेकिन अगर उसके बाद भी सांस फूल रही है तो अस्थमा या एनीमिया की दिक्कत हो सकती है। लेकिन इसके अलावा भी कई कारण होते हैं जब प्रेग्नेंसी में सांस फूलती है। गर्भावस्था में सांस फूलना गंभीर है या नहीं और कोविड के समय में गर्भवती महिलाओं की अगर सांस फूल रही है तो कैसे पता करें कि यह कोविड का लक्षण है या सामान्य परेशानी, इन सवालों के जवाब दिए गोंडा के जीवनदीप चिकित्सालय और आवीएफ सेंटर में स्त्री रोग विशेषज्ञ डॉक्टर गुंजन भटनागर ने। आइए विस्तार से इस विषय पर बात करते हैं।
गर्भावस्था में सांस फूलने के कारण
डॉक्टर गुंजन भटनागर के मुताबिक प्रेगनेंसी में सांस फूलने की समस्या को दो तरह से देखा जा सकता है। एक फिजियोलॉजिकल दूसरा पैथोलॉजिकल।
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शरीर में बदलाव की वजह से सांस फूलने के कारण (फिजियोलॉजिकल)
यूटरस का बढ़ना
डॉक्टर गुंजन ने बताया कि गर्भास्था की पहली तिमाही से शरीर में बदलाव आने लगते हैं। इस समय यूटरस बढ़ने लगता है। उन्होंने बताया कि गर्भावस्था में सांस फूलने का करण फिजियोलॉजिकल इसलिए होता है क्योंकि जैसे-जैसे यूटरस बढ़ने लगता है वैसे-वैसे वह डायफ्राम को प्रभावित करता है। डायफ्राम ऊपर नीचे होता है। उस वजह से सांस लेने में दिक्कत आती है और सांस फूलती है।
खून की कमी
प्रेग्नेंसी में सांस फूलने की समस्या का दूसरा कारण है शरीर में खून की कमी। भारत में ज्यादातर महिलाओं में खून की कमी होती है। डॉक्टर गुंजन भटनागर का कहना है कि अगर किसी महिला को पहले से खून की कमी है तो प्रेग्नेंसी में एनीमिया की दिक्कत और बढ़ जाती है। क्योंकि ब्लड का वॉल्यूम बढ़ जाता है। रक्त पतला हो जाता है। इसलिए शरीर में ऑक्सीजन की कमी हो जाती है और सांस फूलने लग जाती है। हिमोग्लोबिन कम है तब भी सांस लेने में दिक्कत होती है।
चिंता
गर्भावस्था में महिलाओं को बच्चे को लेकर चिंता बहुत होती है, इस वजह से उन्हें एंग्जाइटी होने लगती है, जिससे उनकी सांस फूलने लगती है।
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पैथोलोजिकल कारण
पैथोलोजिकल कारणों से मतलब है कि अगर किसी को प्रेग्नेंसी से पहले ही कोई दिक्कत थी और प्रेग्नेंसी में वह बढ़ गई तो उसकी वजह से भी सांस लेने में दिक्कत होती है। उदाहरण के लिए जैसे किसी को पहले से हार्ट की दिक्कत थी, लेकिन जब कोई महिला प्रेग्नेंट नहीं थी, तब उसे वे दिक्कतें नहीं दिखाई दीं, लेकिन जब वह प्रेग्नेंटो हो गई तो वह दिक्कतें दिखाई दीं। तब सांस फूलना शुरू हुआ।
कोरोना पीरियड में सांस फूलने का कारण
डॉक्टर गुंजन भटनागर का कहना है कि आजकल उनके पास ऐसे मामले ज्यादा आ रहे हैं जिनमें प्रेग्नेंट महिलाओं की सांस फूल रही है तो उन्हें डर लग रहा है कि कहीं वे कोविड का शिकार तो नहीं हैं। डॉक्टर गुंजन बताती हैं कि अगर उन महिलाओं को कोरोना का कोई लक्षण नहीं या घऱ में कोविड मरीज नहीं है तब उन्हें चिंता करने की जरूरत नहीं है। लेकिन अगर घर में कोई मरीज है या उन्हें लक्षण दिखाई दे रहे हैं तो कोविड टेस्ट करा लें। उसे सामान्य सर्दी, खांसी, जुकाम न समझें। समय पर टेस्ट कराने से सही इलाज चल पाएगा।
उपाय
बैठने का पॉश्चर
डॉक्टर बताती हैं कि गर्भावस्था में बैठने के पॉश्चर से भी आपकी सांस फूलने की समस्या खत्म हो सकती है। अगर आपको कोई अस्थमा जैसी कोई बीमारी नहीं है तो सांस फूलना बैठने से कंट्रोल किया जा सकता है। उन्होंने बताया कि सांस फूलने पर तकिया लगाकर सिर थोड़ा ऊपर करके बैठें। इससे छाती वाला हिस्सा खुलेगा और सांस ठीक से आएगी।
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डाइट
आयरन रिच डाइट लेने से शरीर में खून की कमी पूरी होती है, जिससे सांस फूलने की दिक्कत भी कम होती है।
डॉक्टर से संपर्क
गर्भावस्था में कई तरह की समस्याएं होती हैं, दूसरी अभी कोविड का टाइम चल रहा है इसलिए खुद की परेशानियों को नजरअंदाज न करें। ऑनलाइन डॉक्टर से कंसल्ट करें।
गर्भावस्था में कई तरह की परेशानियां होती हैं, उन्हीं में से एक है सांस फूलना। कई बार यह किसी गंभीर परेशानी का लक्षण भी हो सकती है।
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