
हार्ट वाल्व डिजीज हृदय से संबंधित समस्या है। यह समस्या तब होती है जब आपके हृदय के एक या अधिक वाल्व ठीक से काम नहीं करता। दिल में चार वाल्व होते हैं। हार्ट वाल्व डिजीज में हृदय से होकर जाने वाले रक्त का प्रवाह बाधित हो जाता है। इस तरह की समस्या होने पर आपके पूरे स्वास्थ पर असर पड़ सकता है।
मानव हृदय में झिल्लीनुमा संरचना वाले चार हार्ट वाल्व होते हैं। चार कक्षों वाले हृदय में वाल्व का काम लगातार एक दिशा में रक्त संचरण को बनाए रखना होता है। वाल्व ऊपरी और निचले कक्षों के प्रवेश और निकास द्वार पर मौजूद रहते हैं। इनका काम ब्लड को आगे प्रवाहित करना और पीछे लौटने से रोकना होता है। ये फोल्ड होने के साथ बंद भी हो जाते हैं।
हार्ट चैंबर में लगे वाल्व हर एक हार्ट बीट के साथ खुलते और बंद होते हैं। हार्ट वाल्व यदि ठीक प्रकार से काम कर रहे हैं तो रक्त संचार बिना किसी बाधा के आगे की तरफ हो रहा है। हार्ट वाल्व में सिकुड़न या अन्य कोई परेशानी होने पर खून पूरी तरह आगे न जाकर पीछे की तरफ लौटना शुरू कर देता है। इस लेख के जरिए हम आपको बता रहे हैं हार्ट वाल्व डिजीज के कारण और लक्षणों के बारे में।
कारण
हृदय के वाल्व के सिकुड़ जाने या कठोर हो जाने पर दिल की मांसपेशियों को ब्लड खींचने के लिए ज्यादा मेहनत करनी पड़ती है। हार्ट वाल्व डिजीज की समस्या जन्मजात भी हो सकती है। इसके अलावा यह समस्या किसी तरह के इनफेक्शन के कारण भी हो सकती है। ज्यादातर मामलों में हार्ट वाल्व डिजीज की समस्या बाद में बनती है। कई बार इस तरह की समस्या होने का कारण पता नहीं चलता। यह समस्या बीमारियों से ग्रसित रहने के कारण भी हो सकती है।
लक्षण
हार्ट वाल्व डिजीज में सामान्यतया व्यक्ति के हार्ट से आने वाले रक्त का संचार बाधित हो जाता है। हार्ट वाल्व डिजीज के लक्षण निम्न लिखित हैं।
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- छोटी-छोटी सांस आना
- काम करने के दौरान छाती में परेशानी होना
- तेजी के साथ या रुक-रुक कर दिल की धड़कन होना
- हृदय में धकधकी होना
- पैर, टखनों और पेट पर सूजन रहना
- कमजोरी और आलस बना रहना
- तेजी के साथ वजन बढ़ना
- छाती में दर्द की शिकायत होना
- थकान महसूस होना
हार्ट वाल्व डिजीज का उपचार
चिकित्सक आपको हार्ट वाल्व से संबंधित समस्या के होने पर लक्षणों के आधार पर समझकर पहले आपका परीक्षण करेगा। जांच के लिए वह पहले आपसे बात करेगा। परीक्षण के बाद ही डॉक्टर तय करेगा कि आपके वाल्व की सर्जरी के बाद रिपेयर की जाएं या फिर इन्हें बदला जाएं। यदि वाल्व को बदला जाता है तो इसे हार्ट वाल्व रिप्लेसमेंट सर्जरी कहते हैं। जांच के दौरान निम्नलिखित चरण होते हैं।
- चिकित्सक रोगी के हृदय के वाल्व के खुलने और बंद होने के साथ ही उनसे होकर गुजरने वाले रक्त की आवाज को सुनकर महसूस करेगा।
- इकोकार्डियोग्राम के जरिए रोगी के हार्ट वाल्व की पूरी पिक्चर तैयार की जाएगी।
- इसके बाद मैग्नेटिक रेसोनेंस इमेजिंग (एमआरआई) स्कैन होगा, जिसमें मैग्नेटिक फील्ड और रेडियो तरंगों के जरिए हार्ट के अंदर की तस्वीर तैयार की जाएगी।
- रोगी के हार्ट की जांच करने के लिए छाती की एक्स-रे इमेज ली जाएगी।
पूरी जांच के बाद चिकित्सक यह तय करेगा कि रोगी के हार्ट वाल्व की रिपेयर की जाए या फिर खराब हो चुके वाल्व की जगह नए वाल्व लगाएं जाएं।
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