शरीर के स्वस्थ वजन को बनाए रखने और फिट रहने के लिए अपने मेटाबॉलिज्म का ध्यान रखना बहुत जरूरी है। हमारे शरीर में वजन घटने या बढ़ने के साथ ही हार्मोन्स के स्तर को नियंत्रित रखने के लिए हमारा मेटाबॉलिज्म जिम्मेदार होता है। जहां एक तेज मेटाबॉलिज्म आपको कई स्वास्थ्य लाभ प्रदान कर सकता है वहीं धीमा मेटाबॉलिज्म आपकी सेहत के लिए नुकसानदायक साबित हो सकता है। इसलिए अपने संपूर्ण स्वास्थ्य की भलाई के लिए अपने मेटाबॉलिज्म को तेज करना जरूरी है। मेटाबॉलिज्म को तेज या बूस्ट करने के लिए फिटनेस एक्सपर्ट सबसे ज्यादा जिस चीज को करने की सलाह देते हैं वह है हर 2 घंटे बाद कुछ न कुछ खाना और छोटी-छोटी मील लेना। आपने अक्सर लोगों को कहते सुना होगा कि थोड़े-थोड़े समय बाद कुछ न कुछ खाने से मेटाबॉलिज्म तेज होता है।
लेकिन क्या वाकई आपको मेटाबॉलिज्म को बूस्ट करने के लिए हर 2 घंटे बाद भोजन करने जरूरत है? इस लेख में हम फिटनेस एक्सपर्ट और न्यूट्रिशनिष्ट अक्षय एस. शेट्टी से इसके बारे में विस्तार से जानेंगे।
थोड़े-थोड़े समय बाद खाने से आपके मेटाबॉलिज्म पर क्या प्रभाव पड़ता है?
वजन घटाने की बात हो या बढ़ाने की जब भी आप अपने ट्रेनर या फिटनेस एक्सपर्ट के पास जाते हैं वह आपको हर दो-दो घंटे के बाद और कम मात्रा में भोजन करने की सलाह देते हैं। इसके पीछे तर्क यह है कि थोड़े-थोड़े समय बाद खाने से क्रेविंग्स और जंक फूड्स के सेवन की भावना को नियंत्रित करने में मदद मिलती है। जब थोड़े-थोड़े समय बाद एक छोटा या कम मात्रा में भोजन करते हैं, तो यह आपका पेट भरा हुआ और संतुष्ट महसूस कराता है। 2001 में ब्रिटिश मेडिकल जर्नल में प्रकाशित में यह पाया गया है कि जो लोग ज्यादा बार खाते हैं वे पतले होते हैं। साथ ही उनमें लंबे समय बाद भोजन करने या कम बार खाने वालों की तुलना में कोलेस्ट्रॉल और ब्लड ट्राइग्लिसराइड्स का स्तर कम होता होता है। हालांकि हर 2 घंटे बाद एक छोटा सा भोजन करने से आपका मेटाबॉलिज्म तेज होता है इसके प्रमाण अभी पर्याप्त नहीं हैं और न ही इसकी कोई गारंटी है।
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क्या वाकई हर 2 घंटे बाद खाने में मेटाबॉलिज्म तेज होता है?
फिटनेस एक्सपर्ट और न्यूट्रिशनिष्ट अक्षय एस. शेट्टी की मानें तो "अगर आपका फिटनेस ट्रेनर आपको हर दो घंटे में खाने के लिए कह रहा है, क्योंकि इससे मेटाबॉलिज्म तेज होता है तो यह वास्तव में सही नहीं है। जब हम भोजन करते हैं, तो हमारा शरीर भोजन को पचाने और भोजन के पोषक तत्वों को संसाधित करने के लिए ऊर्जा का विस्तार करता है। इसे भोजन का ऊष्मीय प्रभाव या थर्मिक इफेक्ट ऑफ फूड (TEF) के रूप में जाना जाता है।" उनके अनुसार आप एक बार में जितना खाते हैं आपका TEF उसकी कुल कैलोरी का लगभग 10% होता है। इसलिए डाइटिशियन की यह मानसिकता होती है कि यदि आप अधिक भोजन करते हैं तो आप अधिक कैलोरी बर्न करेंगे क्योंकि यह 'TEF' है जो आपके मेटाबॉलिज्म को तेज करने में मदद करता है। यह सिर्फ एक मिथक है।
अक्षय एस. शेट्टी के अनुसार आप चाहे कितनी भी मात्रा में भोजन करें, आपका 'TEF' हमेशा लगभग 10% होगा। उदाहरण के लिए अगर आप 500-500 कैलोरी वाले भोजन के हिसाब से दिन में 3 बार भोजन करते हैं। अगर आप एक दिन में 500 कैलोरी वाले 3 बार भोजन खाते हैं। तो आपका 'TEF' 500 कैलोरी का 10% यानी 50 कैलोरी होगा। यानी 50*3=150 किलो कैलोरी।
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एक्सपर्ट क्या सलाह देते हैं?
अक्षय एस. शेट्टी सलाह देते हैं कि अपनी सुविधा के अनुसार खाएं। हर दो घंटे में खाना कोई जरूरी नहीं है। स्मार्ट ट्रेनिंग करें और अपने डायटीशियन से एक ऐसा डाइट प्लान बनाने के लिए कहें जो आपकी जीवनशैली के अनुकूल हो। क्योंकि एक नौकरी करने वाले व्यक्ति के लिए हर दो घंटे में खाना बहुत मुश्किल हो जाता है। एक अच्छे कोच से बातचीत करें और अपनी जीवनशैली के अनुसार योजना बनाएं।
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