Can Sleeping On My Back Harm My Unborn Baby In Hindi: प्रेग्नेंसी के दौरान महिलाओं को तरह-तरह की हिदायतें दी जाती हैं। जैसे उन्हें झटके से नहीं उठना है, ज्यादा दौड़-भाग नहीं करनी है, उन्हें हमेशा संभलकर चलना-फिरना आदि। इसी तरह उन्हें बिस्तर पर लेटने को लेकर भी खास सलाह दी जाती है। जैसे sleepfoundation में प्रकाशित एक लेख के अनुसार गर्भवती महिलाओं को अपनी बाईं ओर तथा घुटनों को हल्का मोड़कर सोना चाहिए। यह सोने के लिए बेस्ट पोजिशन होती है। इस दिशा में सोने से ब्लड फ्लो में सुधार होता है और भ्रूण के विकास पर अच्छा असर पड़ता है। इसका मतलब है कि प्रेग्नेंट महिलाओं के लिए सही दिशा में सोना बहुत जरूरी होता है। ऐसे में महिलाओं के मन में यह सवाल उठ सकता है कि क्या प्रेग्नेंसी के दौरान उन्हें पीठ के बल नहीं लेटना चाहिए? क्या इससे बच्चे में जन्मदोष हो सकता है? आइए, जानते हैं इस बारे में वृंदावन और नई दिल्ली स्थित मदर्स लैप आईवीएफ सेंटर की चिकित्सा निदेशक, स्त्री रोग और आईवीएफ विशेषज्ञ डॉ. शोभा गुप्ता का क्या कहना है।
क्या प्रेग्नेंसी के दौरान पीठ के बल लेटने से बच्चे में जन्मदोष हो सकता है?- Can Sleeping On Your Back During Pregnancy Cause Birth Defects In Hindi
विशेषज्ञों की मानें, तो प्रेग्नेंसी के दौरान हर छोटी से छोटी बात बहुत मायने रखती है। इसमें उनके सोने की पोजिश भी महत्वपूर्ण होती है। यह सही है कि उनके लिए बाईं ओर सोना अच्छा होता है। खासकर, जब पेट का उभार बढ़ने लगता है यानी गर्भ में पल रहे शिशु का वजन अधिक हो जाता है। लेकिन, जहां तक सवाल इस बात का है कि प्रेग्नेंसी के दौरान पीठ के बल लेटना सही है या नहीं? पीठ के बल लेटने से बच्चे में जन्मदोष तो नहीं होता है? इस बारे में डॉ. शोभा गुप्ता का कहना है, "महिलाओं को प्रेग्नेंसी के दौरान पेट के बल कभी नहीं लेटना चाहिए। लेकिन, पीठ बल लेटने में कोई बुराई नहीं है। यहां तक कि अगर गर्भवती महिला को पीठ बल लेटने में कोई परेशानी न हो, तो वे इस अवस्था में लेट सकती हैं। हालांकि, जैसे-जैसे दिन चढ़ने लगते हैं, महिलाओं के लिए पीठ के बल सीधे होकर लेटने में कठिनाई आने लगती है। ऐसा इसलिए, क्योंकि उनका पेट बड़ा हो चुका होता है और लेटने के कारण स्किन में खिंचाव पड़ता है, जिससे महिला को असहजता हो सकती है।"
एनसीबीआई की रिपोर्ट की मानें, तो ऐसा कहना सही नहीं होगा कि प्रेग्नेंसी में पीठ के बल लेटना गलत होता है। हां, इस संबंध में जितने अध्ययन हुए हैं, सबके अलग-अलग नतीजे देखने को मिले हैं। कुछ अध्ययनों में यह बात सामने आई है कि पीठ के बल लेटने से स्टिलबर्थ (गर्भ में शिशु के मृत होना) का जोखिम बढ़ता है। लेकिन एनसीबीआई की रिपोर्ट यह स्पष्ट करती है कि पीठ के बल लेटने से न तो बच्चे के साइज और आकार में किसी तरह का फर्क पड़ता है और न ही इसकी वजह से स्टिलबर्थ का रिस्क बढ़ता है और न ही जन्मदोष की आशंका होती है। हां, बच्चे में किसी भी तरह की परेशानी होगी या नहीं, यह कई तरह के फैक्टर्स पर निर्भर करता है। इसमें महिला का स्वास्थ्य और प्रेग्नेंसी में उसकी देखभाल आदि चीजें बातें महत्वपूर्ण होती है।
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गर्भावस्था में महिलाएं किस तरह सोएं
वैसे तो डॉक्टर्स यही कहते हैं कि प्रेग्नेंसी में महिलाएं जिस दिशा में सोने में सहज महसूस करती हैं, उन्हें उसी दिशा में सोना चाहिए। लेकिन, दाईं दिशा में सोने की पूरी तरह मनाही होती है। वहीं, दूसरे और तीसरे महीने में महिलाओं को लंबे समय तक पीठ के बल भी नहीं लेटना चाहिए। ऐसा इसलिए कहा जाता है, क्योंकि जैसे-जैसे भ्रूण का वजन बढ़ता है, पीठ के बल लेटने से उसका पूरा वजन मुख्य आर्टरी पर पड़ जाता है। मुख्य आर्टरी पर दबाव बनने की वजह से गर्भवती महिला के हार्ट को ब्लड पंप करने में दिक्कत आती है। यह स्थिति गर्भ में पल रहे शिशु के लिए सही नहीं होती है। कुछ महिलाओं को लंबे समय तक इस स्थिति में सोने से उल्टी और चक्कर भी आ सकते हैं। ऐसे में गर्भवती महिलाओं को चाहिए कि वे दिशा बदल-बदल कर सोएं। यह उनके और उनके गर्भ में पल रहे भ्रूण के लिए लाभकारी होता है। इसके अलावा, अगर डॉक्टर ने किसी एक दिशा में सोने के लिए मना किया है, तो उनकी सलाह पर जरूर गौर करना चाहिए।