कोरोनावायरस संक्रमण के नए वैरिएंट ओमिक्रोन ने दुनियाभर में एक बार फिर से खौफ पैदा कर दिया है। ओमिक्रोन वैरिएंट कोरोनावायरस का अब तक का अपने स्वरूप में सबसे ज्यादा बदलाव करने वाला वैरिएंट है। यही कारण है कि इस नए वैरिएंट को सबसे ज्यादा खतरनाक माना जा रहा है। विश्व स्वास्थ्य संगठन ने भी पिछले हफ्ते में कोरोनावायरस (SARS-CoV-2) के नए वैरिएंट ओमिक्रोन (B.1.1.1.529) को वैरिएंट ऑफ कंसर्न घोषित किया है। क्यों हेल्थ एक्सपर्ट्स ने दावा किया है कि इस नए वैरिएंट में सबसे ज्यादा बदलाव होने के कारण RT-PCR टेस्ट से इसका सटीक पता भी नहीं चल सकता है। चूंकि पिछले दो सालों में कोरोनावायरस में कई उत्परिवर्तन हुए हैं और इसके जीन में लगातार होने वाले बदलाव की वजह से मॉलिक्यूलर, एंटीजन और सीरोलॉजी टेस्ट में इसका सटीक पता लगाने में दिक्कत हो रही है। दुनियाभर में कोरोना के नए ओमिक्रोन वैरिएंट के खतरे को देखते हुए कई उपाय अपनाए जा रहे हैं लेकिन सबसे बड़ी चिंता का विषय यह बना हुआ है कि क्या वायरस के इस नए स्ट्रेन का पता आरटी-पीसीआर टेस्ट के माध्यम से लगाया जा सकता है? आइये एक्सपर्ट से जानते हैं इस बारे में।
क्या आरटी-पीसीआर टेस्ट से लगाया जा सकता है ओमिक्रोन वैरिएंट का पता? (Can RT PCR Test Detect Omicron Variant Infection?)
विश्व स्वास्थ्य संगठन के मुताबिक कोरोनावायरस के वैरिएंट में कई म्यूटेशन के बाद ओमिक्रोन वैरिएंट बना है जिसकी वजह से इसकी संक्रमण क्षमता अधिक मानी जा रही है। दुनियाभर में वैज्ञानिकों द्वारा इसके उत्परिवर्तन और संक्रमण क्षमता के साथ-साथ इस पर वैक्सीन के प्रभाव के बारे में जांच की जा रही है। WHO ने भी कोरोना के नए ओमिक्रोन वैरिएंट को लेकर एक बयान जारी किया है जिसमें कहा गया है कि लैब में टेस्टिंग के दौरान इस नए वैरिएंट की पहचान हुई है। लैब में आरटी पीसीआर टेस्ट में इसके तीन जीन को टार्गेट किया गया था जिसमें से एक जीन की पहचान नहीं हुई है। चूंकि कोरोना का नया ओमिक्रोन वैरिएंट एस जीन के अंदर आता है और इसमें SARS-CoV-2 का स्पाइक ग्लाइकोप्रोटीन इनकोड होता है जिससे कोरोना का संक्रमण लोगों में फैलता है।
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कोरोना के नए वैरिएंट को लेकर लोगों में उठ रहे सवाल कि क्या आरटी पीसीआर टेस्ट के माध्यम से इस वैरिएंट का पता लगाया जा सकता है? को लेकर नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ बायोमेडिकल जीनोमिक्स के डायरेक्टर डॉ. अनुराग अग्रवाल का कहना है कि ऐसा जरूरी नहीं है कि आरटी पीसीआर टेस्ट से हर व्यक्ति की सटीक रिपोर्ट ही आये। इसमें किसी भी कोरोना पॉजिटिव व्यक्ति की रिपोर्ट नेगेटिव भी आ सकती है। इसके पीछे कई कारण जिम्मेदार होते हैं। जब कोरोना के डबल म्यूटेंट को पीसीआर पॉजिटिव के साथ सीक्वेंस किया जाता है तब इसके म्यूटेंट टेस्ट से बच नहीं सकते। कोरोना के नए वैरिएंट की आरटी पीसीआर जांच के जरिए पता लगाना संभव तो है लेकिन हमारे देश में आईसीएमआर के द्वारा अप्रूव आरटी पीसीआर टेस्टिंग किट का इस्तेमाल किया जाता है और इनमें से अधिकांश किट ई, आरडी आरपी और एन जीन के बारे में पता लगाने के लिए सक्षम होती हैं। चूंकि कोरोना का नए वैरिएंट ओमिक्रोन का बदलाव एस जीन में हुआ है जिसकी वजह से सामान्य आरटी पीसीआर किट के द्वारा इसके सटीक परिणाम नहीं भी मिल सकते हैं। इसके अलावा जब शुरुआत में इसके लक्षण दिखने पर टेस्ट कराया जाता है तो वायरस मुहं और गले में रहता है जिसकी वजह से इसकी पहचान करने में आसानी होती है। तो कुल मिलकर ऐसा कहना कि आरटी पीसीआर टेस्ट से कोविड के नए वैरिएंट ओमिक्रोन का पता नहीं लगाया जा सकता बिलकुल गलत होगा। हाँ ऐसा हो सकता है कि कुछ मामलों में आरटी पीसीआर के माध्यम से सही रिपोर्ट न पता चल सके।
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जीनोम सीक्वेंसिंग से पता लगाना है आसान (Genome Sequencing Can Be Helpful To Detect Omicron Variant)
कोरोना के नए ओमिक्रोन वैरिएंट का पता जीनोम सीक्वेंसिंग से लगाया जा सकता है। कोरोना की जांच के लिए इस्तेमाल की जाने वाली किट की क्षमता पर यह निर्भर करता है कि क्या उस किट से वायरस के नए वैरिएंट का पता लग सकता है या नहीं? आरटी पीसीआर टेस्ट के लिए इस्तेमाल की जाने वाली नयी थर्मो फिशर किट से नए ओमिक्रोन वैरिएंट का पता लग सकता है। चूंकि हर सैंपल को जीनोम सीक्वेंसिंग की जांच के लिए लैब में नहीं भेजा सकता और इस प्रक्रिया में 24 से 96 घंटे भी लग जाते हैं। इसलिए इसकी जांच आरटी पीसीआर के थर्मो फिशर किट और भारत में बनी कुछ नयी किट से संभव है। कई बार जब टेस्ट करने वाले वैज्ञानिक यह देखते हैं कि वायरस के स्पाइक प्रोटीन में जो मिसिंग जीन है उसकी तलाश के लिए उसे जीनोम सीक्वेंसिंग की जांच के लिए भेजा सकता है।
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साउथ अफ्रीका में मिला था ओमिक्रोन वैरिएंट
कोरोना के इस नए ओमिक्रोन वैरिएंट का पता सबसे पहले साउथ अफ्रीका में लगा था। डॉक्टर्स ने जांच के दौरान कोविड के इस नए एस जीन वाले वैरिएंट के बारे में पता लगाया था। चूंकि यह वैरिएंट सबसे पहले किस देश में फैला है इसको लेकर अभी भी जांच चल रही है। दुनिया के कई देशों का मानना है कि दक्षिण अफ्रीका से पहले ओमिक्रोन वैरिएंट यूरोप के देशों में पाया गया था। विश्व स्वास्थ्य संगठन ने कोरोना के इस नए वैरिएंट को ओमिक्रोन नाम दिया था और इसे वैरिएंट ऑफ कंसर्न यानी चिंताजनक वैरिएंट घोषित किया था। डब्ल्यूएचओ के मुताबिक यह वैरिएंट इससे पहले मिले डेल्टा वैरिएंट से अधिक खतरनाक है।
देश में कोरोनावायरस संक्रमण की स्थिति (Coronavirus In India)
दुनियाभर में कोरोना के नए वैरिएंट ओमिक्रोन को लेकर खौफ फैला हुआ है। माना जा रहा है कि अगर ऐसे ही इस वैरिएंट के मामले आते रहे तो कोरोना की संभावित तीसरी लहर का कारण ओमिक्रोन वैरिएंट बन सकता है। केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री द्वारा संसद में मंगलवार को दी गयी जानकारी के मुताबिक देश में अब तक ओमिक्रोन वैरिएंट के कोई भी मामले नहीं देखे गए हैं। देश में कोरोनावायरस संक्रमण के रोजाना आने वाले मामले भी 10 हजार की संख्या से नीचे हैं और कोरोना से बचाव के लिए लगातार टीकाकरण अभियान चलाया जा रहा है। मंगलवार को जारी आंकड़े के मुताबिक 24 घंटे में कुल 6,990 नए मामले पाए गए हैं। पिछले कुछ दिनों से कोरोना संक्रमण से ठीक होने वाले लोगों की संख्या भी बढ़ी है। देश में अब तक कोरोना से संक्रमित एक्टिव मामले 1,00,543 हैं। कोरोना के नए ओमिक्रोन वैरिएंट से बचाव के लिए सरकार द्वारा कुछ नयी गाइडलाइन जारी की गयी है जिसमें विदेश से आने वाले लोगों की जांच और आइसोलेशन के नियम शामिल हैं। देश में कोरोना के खिलाफ वैक्सीनेशन अभियान भी तेजी से चल रहा है और अब तक कुल 124.05 करोड़ टीकों की डोज देश में दी जा चुकी है।
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