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क्या इंसुलिन कैल्शियम कम करता है? डॉक्टर से जानें कैसे हड्डियां कमजोर कर सकता है हाई शुगर

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क्या इंसुलिन कैल्शियम कम करता है? डॉक्टर से जानें कैसे हड्डियां कमजोर कर सकता है हाई शुगर

Blood sugar joint pain: शरीर में शुगर बढ़ने के कई लक्षण नजर आते हैं लेकिन, उनमें से एक अनदेखा लक्षण है हड्डियों की कमजोरी। दरअसल, हम में से बहुत से लोग हड्डियों के कमजोर होने को सिर्फ कैल्शियम की कमी से जोड़कर देखते हैं जबकि ये इससे काफी अलग और गंभीर हो सकता है। दरअसल, जब शरीर में शुगर बढ़ता है तब भी आपकी हड्डियां कमजोर हो सकती हैं। लेकिन, समझने वाली बात ये है कि इंसुलिन का बढ़ना कैल्शियम की कमी की वजह कैसे बन सकता है। फिर शुगर बढ़ने से इसका असर आपकी हड्डियों पर कैसे नजर आ सकता है। आइए, जानते हैं इस बारे में Dr. Monika Sharma, endocrinologist, Aakash Hospital

क्या इंसुलिन कैल्शियम कम करता है-Does insulin affect calcium levels

इंसुलिन एक अनाबोलिक हार्मोन है जो कि हड्डियों के बनने में एक काफी प्रभावी भूमिका निभाता है। इंसुलिन ही इंट्रासेल्युलर Ca2+ मेटाबोलिज्म को प्रभावित करता है। इंसुलिन, चिकनी मांसपेशियों में संकुचन और इंट्रासेल्युलर कैल्शियम में कमी करता है। इससे हड्डियों में कमजोरी के साथ घर्षण की समस्या भी होने लगती है। इतना ही नहीं ये हड्डियों के अंदर के सेल्स के कामकाज को भी प्रभावित करता है। इससे शुगर बढ़ने पर व्यक्ति जोड़ों में दर्द की स्थिति भी महसूस कर सकता है।

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कैसे हड्डियां कमजोर कर सकता है हाई शुगर-How does sugar affect the bones

Dr.Monika Sharma बताती हैं कि जिन लोगों को टाइप-2 डायबिटीज की समस्या होती है और उनमें कैल्शियम ज्यादा भी हो तो ऐसे लोगों में हड्डियों के फ्रैक्चर का खतरा ज्यादा होता है। इसके अलावा ऐसे लोगों के हड्डियों का घनत्व यानी बोन मिनरल डेंसिटी में भी कमी आ सकती है। इस तरह से हड्डियां कमजोर होकर जल्दी टूट सकती हैं। इतना ही नहीं हाई शुगर की वजह से हड्डियों में प्रोटीन का ग्लाइकेशन भी प्रभावित रहता है।

दरअसल, ब्लड शुगर बढ़ने से हड्डियों में एडवांस ग्लाइकेशन एंड प्रोडक्ट्स (AGEs)बढ़ जाते हैं जो कि हड्डियों के बीच कोलेजन की मात्रा को भी प्रभावित करते हैं। इससे बोन मिनरल डेंसिटी समय के साथ कम होने लगती है, फ्रैक्चर का खतरा बढ़ता है। इतना ही नहीं, बढ़े हुए शुगर के कारण नई हड्डी बनाने वाले सेल्स ओस्टियोब्लास्ट (osteoblast) का विकास प्रभावित होता है। इससे हड्डियों के बनने और फिर इनके खत्म होने का बैलेंस बिगड़ जाता है। फिर हड्डियां कमजोर होने लगती हैं और इसका असर जोड़ों में दर्द (Diabetes and Join pain) और अचानक से होने वाले फ्रैक्चर की वजह बन सकता है।

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डायबिटीज में क्रोनिक इन्फ्लेमेशन बढ़ जाता है

डायबिटीज में क्रोनिक इन्फ्लेमेशन यानी हड्डियों में गंभीर सूजन की समस्या (How does sugar affect the bones)भी बढ़ जाती है। ये एक हद तक ऑक्सीडेटिक स्ट्रेस को बढ़ाता है जिससे हड्डियों का विकास भी प्रभावित होता है। खासकर कि इन्फ्लेमेटरी साइटोकाइन, जैसे इंटरल्यूकिन्स और TNF-α हड्डियों को दोबारा बनाने के प्रोससे में खलल डालते हैं। इससे हड्डियों के सेल्स और उनकी ग्रोथ प्रभावित होती है। फ्रैक्चर की समस्या भी हो सकती है और शुगर बढ़े रहने पर हड्डियों की हीलिंग भी जल्दी नहीं होती।

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डायबिटीज के मरीजों में बोन डेंसिटी कैसे बढ़ाएं?

डायबिटीज के मरीजों में बोन डेंसिटी को मैनेज करना बेहद जरूरी है। इसके लिए सबसे पहले तो उन कारणों पर काम करें जिनकी वजह से हड्डियों का घनत्व लगातार कम होता है। जैसे कि हेल्दी डाइट और हेल्दी लाइफस्टाइल फॉलो करें। इसके अलावा अगर आप किसी भी प्रकार की स्मोकिंग करते हैं तो इसे जल्द से जल्द छोड़ दें। क्योंकि स्नोकिंग हड्डियों को गंभीर रूप से नुकसान पहुंचाती हैं और धूम्रपान करने वालों में ऑस्टियोपोरोसिस (osteoporosis) का खतरा बाकी लोगों की तुलना में ज्यादा होता है। इसकी एक वजह ये है कि धूम्रपान करने वालों का शरीर बाकी लोगों की तुलना में डाइट से कैल्शियम का अवशोषण कम कर पाता है। इसके अलावा डायबिटीज के मरीजों को इन बातों का भी खास ख्याल रखना चाहिए। जैसे कि

-विटामिन, खनिज और प्रोटीन से भरपूर फूड्स का सेवन बढ़ा दें।
-विटामिन डी पर खास ध्यान दें। विटामिन डी टेस्ट जरूर करवाएं।
-कैल्शियम से भरपूर फूड्स का सेवन बढ़ा दें क्योंकि डायबिटीडज वाली कुछ दवाएं भी कैल्शियम का नुकसान कर सकती हैं।
-कोलेजन बूस्टर फूड्स का सेवन ज्यादा करें जैसे रंग-बिरंगे फल, पत्तेदार सब्जियां और फिर मछली।
-आप मेडिटेरियन डाइट (Mediterranean Diet) फॉलो कर सकते हैं। ये फ्रैक्चर और माइक्रोवास्कुलर समस्याओं के खतरे को कम कर सकता है।

इसके अलावा अपने बॉडी वेट को बैलेंस करें, अपनी डाइट को मैनेज करें ताकि शुगर लेवल कंट्रोल रहे। वॉक करें और एक्सरसाइज करें। तो डायबिटीज को मैनेज करते रहें और फिर हड्डियों को भी हेल्दी रखें।

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