क्या आप भी उनमें से एक हैं, जो किसी भी बात पर यकीन कर लेते हैं? अगर हां, तो अपनी ये आदत बदलें, खासकर कि अपनी सेहत से जुड़ी कोई भी बात हो, तो आप बिना रिसर्च के उस पर यकीन न करें। स्वास्थ्य से जुड़ी ऐसी ही बातों में से एक है कि हाई बीपी या हाई ब्लड प्रेशर की दवाएं कैंसर के खतरे को दोगुना करती हैं, जबकि यह एक मिथक के अलावा और कुछ नहीं है। यह गलत धारणा दशकों से हम सब के बीच है और हम इस पर यकीन भी कर रहे हैं। कुछ लोग आज भी कैंसर के जोखिम को कम करने के लिए एलोपैथिक दवाओं से बचने के लिए हर्बल तरीके को अपनाना पसंद करते हैं। जबिक देखा जाए, तो इन दिनों हाई ब्लड प्रेशर एक आम स्वास्थ्य समस्या बन गई है। न केवल बड़े, बल्कि बच्चे भी हाई ब्लड प्रेशर का शिकार हो रहे हैं और वेे अपने बीपी को कंट्रोल में करने के लिए दवा लेते हैं। लेकिन क्या यह सुरक्षित है? आइए जानें कि शोधकर्ताओं का इस बारे में क्या कहना है।
क्या एंटीहाइपरेटिव दवाएं बढ़ा सकती हैं कैंसर का खतरा
क्या एंटीहाइपरेटिव दवाएं कैैंसर के खतरे को बढ़ा सकती हैं? इस पर हेल्थ एक्सपर्ट मानते हैं कि कैंसर को ट्रिगर करने वाले असंख्य कारक हैं। उनमें से कुछ की पहचान की गई है जबकि अन्य कुछ कारको को वैज्ञानिक खोजने पर काम कर रहे हैं। लेकिन जहां हाई ब्लड प्रेशर की दवाओं की बात आती है, तो वहां हाई ब्लड प्रेशर की दवाओं का संभावित कैंसर-ट्रिगर गुणों के साथ शरीर पर बुरा प्रभाव पड़ता है। ये दावे परस्पर विरोधी हैं। यह पता लगाने के लिए कि हाई ब्लड प्रेशर और कैंसर के खतरे के बीच कोई संबंध है या नहीं, यह पता लगाने के लिए बड़े पैमाने पर अध्ययन किया गया है।
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इस नए अध्ययन में शोधकार्ताओं ने पाया है कि हाई ब्लड प्रेशर की दवाओं और कैंसर के जोखिम के बीच कोई संबंध नहीं है। यह अध्ययन ऑक्सफ़ोर्ड विश्वविद्यालय, यूके में अध्ययन के प्रमुख लेखक एम्मा कोपलैंड द्वारा किया गया। उन्होंने कहा है, “हमारे अध्ययन के परिणामों से कैंसर के संबंध में एंटीहाइपरटेंसिव ड्रग्स की सुरक्षा के बारे में लोगों को आश्वस्त करना है, यह दवाएं आपको दिल के दौरे और स्ट्रोक से बचाने के लिए के लिए सर्वोपरि हैं।” यानि इसका मतलब ये है कि आप यदि हाई ब्लड प्रेशर के रोगी हैं, तो आप डॉक्टरी सलाह के साथ एंटीहाइपरेटिव दवाएं ले सकते हैं।
260,000 लोगों के साथ किया गया अध्ययन
इस हालिया शोध में शोधकर्ताओं ने 260,000 लोगों को अध्ययन में शामिल किया, जो एंटीहाइपरटेन्सिव दवाएं लेते हैं। इसके बाद उन्होंने, उन्हें दवाओं के अनुसार समूहों में बांटा। जिसके बाद शोधकर्ताओं को अपने इस अध्ययन को पूरा करने में लगभग चार साल लग गए। अध्ययन की अवधि में शोधकर्ताओं ने अध्ययन में शामिल प्रतिभागियों को फॉलोअप किया। इस बीच शोधकर्ताओं ने प्रतिभागियों की नियमित अंतराल में मेडिकल जांच की। इसके बाद उन्होंने उनकी स्वास्थ्य स्थिति का आंंकलन किया और देखा कि क्या दवाओं का उनपर या उनके शरीर के अंगों पर कोई प्रभाव है।
अध्ययन के परिणाम
इस अध्ययन के परिणामों में हैरानी की बात यह है कि उन्हें इस बात के कोई ठोस सबूत नहीं मिले कि ये दवाएं कैंसर का कारण बन सकती हैं। लेकिन हां, अगर व्यक्ति पहले से धूम्रपान करता है या शराब पीता है, तो उसे कैंसर होने का खतरा हो सकता है।
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शोधकर्ताओं ने कहा, “हमारे अध्ययन ने इस बारे में चल रहे विवाद को संबोधित किया है कि क्या एंटीहाइपरटेन्सिव दवा कैंसर के विकास के जोखिम को बढ़ाती है। हमने कैंसर के संबंध में ब्लड प्रेशर कम करने वाली दवाओं की सुरक्षा के लिए एंटीहाइपरटेंसिव दवा पर सबसे बड़े व्यक्तिगत-स्तर के यादृच्छिक सबूत का इस्तेमाल किया था। इससे पता चलता है कि एंटीहाइपरटेंसिव दवाएं या हाई ब्लड प्रेशर की दवाएं पूरी तरह से सुरक्षित हैं और यह आपके स्वास्थ्य के लिए कोई खतरा नहीं हैं।
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