Does Fatty Liver Affect Pregnancy In Hindi: फैटी लिवर एक तरह की मेडिकल कंडीशन है। इस स्थिति में लिवर के आसपास काफी ज्यादा मात्रा में फैट जमा हो जाता है। इसकी वजह से लिवर में सूजन आ सकती है और लिवर डैमेज भी हो सकता है। यहां तक कि अगर समय रहते अगर फैटी लिवर का इलाज न किया जाए, तो व्यक्ति को नॉन-एल्कोहॉलिक फैटी लिवर हो सकता है। इस तरह का फैटी लिवर खराब जीवनशैली और बुरी आदतों के कारण होता है। ध्यान रखें कि फैटी लिवर के कारण लिवर को सही तरह से काम करने में अतिरिक्त मेहनत लगती है, जिससे शरीर के ओवर ऑल हेल्थ पर नेगेटिव असर पड़ने लगता है। फैटी लिवर की समस्या किसी को भी हो सकती है। इसमें महिला और पुरुष दोनों शामिल हैं। इसके अलावा, किसी भी उम्र में यह बीमारी हो सकती है। तो यहां यह जानना जरूरी हो जाता है कि क्या कोई फैटी लिवर के कारण किसी महिला को कंसीव करने में दिक्कत आ सकती है? या प्रेग्नेंसी के दौरान किसी तरह की जटिलताएं बढ़ सकती हैं? इस बारे में वृंदावन और नई दिल्ली स्थित मदर्स लैप आईवीएफ सेंटर की चिकित्सा निदेशक, स्त्री रोग और आईवीएफ विशेषज्ञ डॉ. शोभा गुप्ता से जानते हैं विस्तार से-
क्या फैटी लिवर के कारण प्रेग्नेंसी में कोई परेशानी आ सकती है?- Can I Get Pregnant With Fatty Liver Disease In Hindi
इसमें कोई दो राय नहीं है कि अगर महिला को किसी तरह की शारीरिक समस्या, जैसे पीसीओएस, पीसीओडी, एंडोमेट्रियोसिस या ट्यूबल ब्लॉकेज जैसी समस्या होती है, तो ऐसे में कंसीव करना मुश्किल हो जाता है। हां, सही ट्रीटमेंट के जरिए महिला कंसीव कर सकती हैं और स्वस्थ शिशु को जन्म दे सकती हैं। जहां तक सवाल इस बता का है कि क्या फैटी लिवर होने के बावजूद महिला कंसीव कर सकती हैं? या प्रेग्नेंसी में किसी तरह की जटिलता तो नहीं आती है? इस बारे में डॉक्टर का कहना है, ‘फैटी लिवर होने के बावूद महिलाएं कंसीव कर सकती हैं। हालांकि, प्रेग्नेंसी के दौरान नॉन-एल्कोहॉलिक फैटी लिवर होने के कारण प्रेग्नेंसी में कई तरह की जटिलताओं का जोखिम बढ़ जाता है। ऐसा शिशु और गर्भवती महिला दोनों के साथ हो सकता है। खासकर, गर्भवती महिला की बात करें, तो नॉन-एल्कोहॉलिक फैटी लिवर के कारण हाई ब्लड प्रेशर, डिलीवरी के दौरान ब्लीडिंग होना आदि समस्याएं हो सकती हैं।’
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प्रेग्नेंसी में फैटी लिवर के प्रकार
प्रेग्नेंसी में दो तरह के फैटी लिवर की समस्या हो सकती है, जैसे-
एक्यूट फैटी लिवर ऑफ प्रेग्नेंसीः प्रेग्नेंसी में इस तरह का फैटी लिवर की समस्या होना दुर्लभ मामलों में ही देखा जाता है। इसके बावजूद, हर महिला को इसकी जानकारी होनी चाहिए। इस तरह की कंडीशन में देखा जाता है कि लिवर में फैट जमा हो गया है। समय रहते इसका इलाज न किया जाए, तो लिवर पूरी तरह फेल हो सकता है। आमतौर पर तीसरी तिमाही में इस तरह की समस्या का पता चलता है।
नॉन एल्कोहॉलिक फैटी लिवर डिजीजः इस कंडीशन में फैट लिवर में जमा होता है। यह एल्कोहॉलिक फैटी लिवर से अलग होता है। ऐसा इसलिए, क्योंकि यह समस्या शराब के कारण पैदा नहीं होती है। नॉन एल्कोहॉलिक फैटी लिवर का मुख्य कारण अस्वस्थ जीवनशैली, मोटापा और अन्य हेल्थ मेडिकल कंडीशंस है जैसे टाइप 2 डायबिटीज हैं। नॉन एल्कोहॉलिक फैटी लिवर की दिक्कत कंसीव करने से पहले शुरू हो सकती है और कई मामलों में प्रेग्नेंसी के दौरान भी इस समस्या को देखा गया है।
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प्रेग्नेंसी में फैटी लिवर के लक्षण
- पेट दर्द
- थकान
- सिरदर्द
- भूख की कमी
- हाई ब्लड प्रेशर
- जब लक्षण गंभीर हो जाते हैं, तो महिला को जॉन्डिस और ब्लड क्लॉट जैसी स्थितियों का भी सामना करना पड़ सकता है।
प्रेग्नेंसी में फैटी लिवर हो तो क्या करें
प्रेग्नेंसी के दौरन फैटी लिवर की समस्या का पता चले, तो तुरंत डॉक्टर से मिलें। इसके अलावा, यहां बताए गए टिप्स अपनाएं-
- रेगुल प्रीनेटल केयर करें और अपने लिवर फंक्शन की पूरी जानकारी रखें।
- फैटी लिवर होने के क्या कारण हो सकते हैं, उस बारे में जानें।
- लाइफस्टाइल में जरूरी बदलाव करें। जैसे वजन संतुलित रखें, एक्सरसाइज करें और हेल्दी डाइट लें।
- डिलीवरी के बाद लिवर की स्थिति बिगड़ सकती है। ऐसे में लिवर सपोर्ट के लिए पहले से तैयार रहें।