
सारी उलझनों और शिकायतों के बाद आखिरकार बजट 2017-18 संसद में पेश कर दिया गया है। इस बार के बजट पेश होने की तारीख में बदलाव के साथ कई सारे जमीनी और अहम बदलाव भी देखने को मिले हैं और ये बदलाव हेल्थकेयर सेक्टर के लिए सकरात्मक होने वाले हैं। क्योंकि इस बजट में सरकार ने 2025 तक चेचक, टीबी व कालाजार रोग खत्म करने का लक्ष्य रखा गया। गौरतलब है कि आज देश की आधी आबादी चेचक, टीबी व कालाजार से ग्रस्त है और हर साल कई टीबी से होने वाली मौतों का आंकड़ा बढ़ रहा है।
डब्ल्यूएचओ की रिपोर्ट का दिखा बजट में असर
पिछले साल आई डब्ल्यूएचओ की वैश्विक तपेदिक रिपोर्ट 2016 के अनुसार साल 2015 में भारत में तपेदिक (टीबी) से होने वाली मौतों की संख्या तकरीबन दोगुनी हो चुकी है। आंकड़ों के अनुसार 2014 में टीबी से 220,000 लोगों की मौत हुई थी जबकि 2015 में ये आंकड़े बढ़ कर 480,000 हो गए। ऐसे में लगता है कि सरकार ने बजट पारित करते हुए डब्ल्यूएचओ की रिपोर्ट को ध्यान में रखा है और टीबी, चेचक व कालाजार को खत्म करने का लक्ष्य रखा है।

खुलेंगे नए एम्स
इसके अलावा दो नए एम्स भी खोले जाएंगे। ये एम्स झारखंड और गुजरात में खोले जाएंगे जिससे की पूर्व और पश्चिम के लोगों को इलाज के लिए अब गंभीर बीमरियों ते इलाज के लिए दिल्ली आने की जरूरत नहीं पड़ेगी।
बजट की प्रमुख बातें
- 2025 तक टीबी खत्म करने का लक्ष्य।
- 2020 तक चेचक खत्म करेंगे।
- 2018 तक कालाजार खत्म किया जाएगा।
- गर्भवती महिलाओं के बैंक खाते में छह हजार रुपये सीधे जाएंगे।
- झारखंड और गुजरात में एम्स की स्थापना की जाएगी।
- महिला कल्याण के लिए 1.86 लाख करोड़ का फंड बनाया जाएगा।
- मेडिकल में पोस्ट ग्रेजुएट की 5 हजार सीटें बढ़ाई जाएंगी।
- बुजुर्गों के लिए सरकार एलआईसी योजना लाएगी।
- स्वास्थ्य उपकरणों की लागत कम करने के लिए नए नियम तैयार किए जाएंगे।
- 1.5 लाख स्वास्थ्य उपकेंद्रों को स्वास्थ्य वेलनेस केंद्रों में बदला जाएगा।
- बुजुर्गों के लिए हेल्थ कार्ड जारी किया जाएगा।
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