दांत पीसने की आदत भी है एक बीमारी, एक्सपर्ट से जानें इसके कारण, लक्षण और बचाव के तरीके

अगर आपको दांत पीसने की आदत है, तो इसे नजरअंदाज न करें। यह एक गंभीर परेशानी भी हो सकती है।
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दांत पीसने की आदत भी है एक बीमारी, एक्सपर्ट से जानें इसके कारण, लक्षण और बचाव के तरीके

ब्रुक्सिज्म दांतों का विकार है, जिसमें रोगी के दांत आपस में रगड़ खाते रहते हैं। आमतौर पर यह समस्या रात में अधिक होती है। सामान्य भाषा में इस बीमारी को दांत पीसना कहा जाता है। इस बारे में स्मिता डेंटल क्लीनिक की डेंटिस्ट डॉक्टर स्मिता सिंह का कहना है कि ब्रुक्सिज्म सामान्यतः तनाव चिंता और अन्य  मानसिक विकारों की वजह से होता है। वहीं, इसके कई अन्य कारण हैं, जैसे धूम्रपान, तंबाकू और शराब की आदत की वजह से भी रात को दांत पीसने की आदत हो जाती है। कुछ दवाओं का लगातार सेवन करने से खासकर एंटीडिप्रेसेंट दवाओं के साइड इफेक्ट से या दंत चिकित्सा के नकारात्मक प्रभाव से भी दांतों को पीसने की आदत हो जाती है। इसके आदी मरीजों को लगातार दांत पीसने आदत बनी रहती है। इसके कारण दांतों से पहले एनामेल फिर डेंटीन की सतह हट जाती है। साथ ही इससे दांतों टूटने लगते हैं और जबडों में दर्द हो जाता है। इस रोग से स्लीप पैटर्न भी डिस्टर्ब होता है। दांतों से चबाने में दिक्कत आ जाती है।

डॉक्टर स्मिता बताती हैं किहा दांत पीसने के कारण मसूड़ों की मांसपेशियां ढीली हो जाती है और मांस पेशियों में जल्दी ही थकान होने लगता है। दांतों के घिसने की वजह से दांतों में ठंडा गर्म या मीठा खाने से झनझनाहट महसूस होती है। लगातार दांत के घिसने की क्रिया बनी रहने से दांत में दर्द शुरू हो जाता है। मसूड़ों में भी सूजन आता है और ढीलापन होता है। दांतों में ज्यादा दबाव के कारण दांतों की स्थिति में भी परिवर्तन आ जाता है।  वे एक दूसरे के ऊपर असामान्य रूप से चढ़ जाते हैं। कभी कभी मुंह के अंदर का हिस्सा और गाल कट जाता है। मुंह से लार लगातार निकलने की प्रक्रिया शुरू हो जाती है। मुंह खुला रखने की आदत हो जाती है। जिससे मुंह का आकार भी असामान्य हो जाता है।

दांत पीसने के लक्षण (Bruxism Symptoms)

  • जबड़ों पर अधिक दबाव के कारण दांतों में दर्द होना।
  • जबड़ों में दर्द होना।
  • दांत की बनावट में गड़बड़ी होना।
  • मसूड़ों में सूजन होना।
  • दांत का केंद्र असामान्य होना।
  • दांत पीसने की आदत के कारण जीभ प्रभावित होना।
  • मसूड़ों का ढीला पड़ना
  • खाने में परेशानी होना।
  • ठंडा, गर्म और खट्टा खाने पर झनझनाहट महसूस होना।
  • दांतों का टूटना, छिलना इत्यादि।
  • दांतों को जोड़ने पर दर्द होना। 
  • गालों के आसपास छाले पड़ना।

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इसके अलावा कई अन्य लक्षण आपको महसूस हो सकते हैं। इसलिए दांतों की परेशानी या फिर दांत पीसने की आदत होने पर तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें।

दांत पीसने के कारण (Causes of Bruxism)

डॉक्टर स्मिता बताती हैं कि ब्रुक्सिज्म अनुवांशिक रूप से भी हो सकती है। मनोवैज्ञानिक कारणों से भी दांत पीसने की समस्या होती है। इसके अलावा क्रोनिक ट्रामा, डाउंस सिंड्रोम, पार्किनसंस, सीजर्स जैसे रोगियों को भी ब्रुक्सिज्म हो सकता है। वहीं, खराब लाइफस्टाइल की वजह से भी लोगों को दांत पीसने की बीमारी हो सकती है। अत्यधिक शराब पीना, धूम्रपान, अधिक थकान होना, तम्बाकू का सेवन करना, कैफीन का सेवन इत्यादि खराब लाइफस्टाइल के कारण भी दांस पीसने की परेशानी से आप ग्रसित हो सकते हैं। 

ब्रुक्सिज्म का निदान (Diagnose of Bruxism)

मरीज के शुरुआती लक्षणों के आधार पर डॉक्टर उनका इलाज करने की कोशिश करते हैं। इसके अलावा अगर मांसपेशियों या फिर जबड़ों में अधिक दर्द होता है, तो दांतों और हड्डियों की स्थिति को जानने के लिए डॉक्टर इंट्राओरल रेडियोग्राफ , एक्सरे और ओपीजी की जांच करवा सकते हैं। 

ब्रुक्सिज्म का इलाज (Treatment of Bruxism)

  • स्मिता कहती हैं कि ब्रुक्सिज्म से बचने के लिए आमतौर पर नाइट गॉड दिया जाता है। साथ ही रोगी के लिए स्प्लेंडर डिवाइस का सहारा लिया जाता है। 
  • ऑर्थोडॉन्टिक ट्रीटमेंट देकर भी मरीज का इलाज करने की कोशिश की जाती है। 
  • वहीं, अगर तनाव और चिंता के कारण यह समस्या हुई है, तो उन्हें anti-anxiety दवाई दी जाती है।
  • गंभीर दर्द या मांसपेशियों में तनाव होने पर रिलैक्सेशन थेरेपी दी जाती है।

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ब्रुक्सिज्म से बचने के उपाय (Prevention of Bruxism)

  • सोने से पहले टीवी, मोबाइल देखने से बचें।
  • स्ट्रेस को दूर करने के लिए योग का सहारा लें।
  • मानसिक समस्याओं को नजरअंदाज न करें।
  • डॉक्टर द्वारा दिए गए निर्देशों का पालन करें।
  • दांत में किसी तरह की परेशानी होने पर डॉक्टर से संपर्क करें।
  • अधिक ठंडा या गर्म चीजों के सेवन से बचें।
  • धूम्रपान और शराब का सेवन न करें।
  • अगर स्लीप एप्निया या डिप्रेशन मैं तो उसके लिए काउंसलिंग कराएं।
  • 7 से 9 घंटे की नींद गहरी और अच्छी नींद लें। 

ब्रुक्सिज्म के जोखिम (Risks of bruxism)

अगर सही समय पर दांत पीसने की आदत से छुटकारा नहीं पाया गया, तो यह आगे गंभीर रूप धारण कर सकता है। इसके कारण मरीज के दांत टूट सकते हैं। साथ ही दांतों पर दरारें आ सकती हैं। इसके अलावा अन्य जोखिम का सामना करना पड़ सकता है। जैसे-

  • दांतों में संवेदनशीलता
  • जबड़ों में तेज दर्द (खाने पीने में परेशानी बढ़ सकती है)
  • जोड़ों में परेशानी बढ़ सकती है।

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