
स्तन में गांठ का नाम सुनने के बाद हमारे मन में यही सवाल आता है कि ये गांठ स्तन कैंसर की तो नहीं। ब्रेस्ट में गांठ स्तन कैंसर का ही एक लक्षण है, लेकिन ऐसा जरूरी नहीं कि ऐसा होने पर आपको स्तन कैंसर की समस्या हो।
हाल ही में हुए एक ब्रिटिश शोध से यह बात सामने आई है कि स्तन में गांठ पड़ने के केवल दस फीसदी मामलों में ही ब्रेस्ट कैंसर की आशंका रहती है, अधिकतर मामलों में इसकी वजह स्तन में फैट्स और सिस्ट जैसे मामले ज्यादा होते हैं।
एनएचएस फाउंडेशन ट्रस्ट की कोलचेस्टर हॉस्पिटल यूनिवर्सिटी के शोधकर्ता सिमोन मार्श ने बताया कि पिछले दस सालों से हम इस विषय पर शोध कर रहे हैं। इस दौरान हमने स्तन में गांठ की कोशिकाओं का अध्ययन किया और पाया कि जरूरी नहीं है कि हर गांठ कैंसर का कारण हो। उनकी सलाह है कि फिर भी हमें इसे गंभीरता से लेना चाहिए।
शोधकर्ताओं ने स्तन में गांठ के कई अन्य कारणों की भी जानकारी दी। जैसे फाइब्रोडेनोमा की समस्या, यह समस्या महिलाओं को अमूमन 20 से 30 साल की उम्र में हो सकती है। ऐसी समस्या तब होती है जब ग्लैंड और स्तन कोशिकाएं आपस में जुड़ जाते हैं। इसमें एक से दो सेंटीमीटर की गांठ पड़ जाती है।
मार्श के अनुसार यह मटर के दाने के आकार की गांठ होती हैं, लेकिन अभी तक इसकी ठोस वजह के बारे में पता नहीं चल सका है। यह भी हो सकता है कि यह फैट या सिस्ट का ही एक प्रकार हो पर कैंसर की गांठ कतई नहीं है। इससे कोई नुकसान नहीं होता है, इसे नहीं निकवाने पर भी कोई खतरा नहीं होता। तकलीफ होने पर छोटी सर्जरी से इसे निकलवाया जा सकता है।
फैट नरकोसिस की समस्या स्तन में कड़ी गांठ अतिरिक्त फैट्स जमा हो जाने से भी हो सकती है। ये गांठ दो से तीन सेंटीमीटर बड़ी होती है, इसकी वजह से स्तन में दर्द भी हो सकता है। बायोप्सी से ही इस गांठ में और कैंसर की गांठ में फर्क पता किया जा सकता है। स्वस्थ जीवनशैली और सेहतमंद खानपान से धीरे-धीरे ये खुद खत्म हो सकती हैं।
सिस्ट की समस्या आमतौर पर 40 से 60 वर्ष की आयु की महिलाओं को हो सकती है। इसमें स्तन में हल्की गांठ के साथ-साथ त्वचा पर लाल निशान होते हैं। इससे मिलता- जुलता एक अन्य सिस्ट-गैलेक्टोकोली किसी भी उम्र की माताओं को ब्रेस्टफीडिंग के समय हो सकता है। इस सिस्ट में दूध जम जाता है जिसे सर्जरी से आसानी से हटाया जा सकता है।
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