बोटोक्स करवाने जा रहे हैं, तो जानें ये जरूरी बातें

चेहरे पर उभरती झुर्रियां बता देती हैं कि अब उम्र हो चली है, लेकिन बोटोक्‍स के जरिए इसके असर को कम कर सकते हैं।
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बोटोक्स करवाने जा रहे हैं, तो जानें ये जरूरी बातें

जवां दिखना हर कोई चाहता है। लेकिन, वक्‍त कहां किसी के रोके रुकता है। उम्र के साथ-साथ हमारे चेहरे की मांसपेशियां ढीली पड़ने लगती हैं। चेहरे पर उभरती झुर्रियां बता देती हैं कि अब उम्र हो चली है।

बेशक, उम्र और खूबसूरती कुदरत की देन है, लेकिन अब वैज्ञानिक तौर पर भी आपको खूबसूरती मिल सकती है। नयी वैज्ञानिक तकनीक कुदरती तौर पर आपको खूबसूरत बना सकती हैं। और बोटोक्स उसी तकनीक का एक रूप है।

Botox What You Really Need to Know


बोटोक्‍स, झुर्रियों को कहें बाय

आजकल बोटोक्‍स काफी चलन में है। इसकी कीमत अधि‍क होने के बावजूद इसे पसंद करने वालों की तादाद काफी अधि‍क है। दुनिया भर में न केवल महिलायें बल्कि पुरुष भी बोटोक्स को अपनाने लगे हैं। बोटोक्स में आमतौर पर 1 से 3 इंजेक्शन हर मांसपेशी में लगाए जाते हैं। इसे लगाते समय जो मामूली से दर्द को दूर करने के लिए लोकल एनेस्‍थीसिया का सहारा लिया जाता है। सुइयों के निशान भी आमतौर पर एक-दो दिन में समाप्‍त हो जाते हैं।

हम हंसे या रोयें हमारी भावनाओं का सबसे ज्यादा असर हमारी आंखों और होंठों के आसपास की मांसपेश‍ियों पर सबसे ज्यादा असर पड़ता है। इसी का असर होता है कि उम्र बढ़ने के साथ-साथ चेहरे पर झुर्रियां उभरने लगती हैं। उम्र के तीसरे दशक साफ नजर आने लगती हैं, चालीस तक पहुंचते-पहुंचते त्वचा का कसाव काफी धीमा हो जाता है और त्वचा की परत पतली हो जाती है। इससे चेहरे की नमी और तैलीयपन समाप्‍त हो जाता है। इससे त्वचा रूखी और बेजान होने लगती है। चेहरे पर झाइयों का डेरा होने लगता है।

 

बोटोक्स है इलाज

बोटोक्स चेहरे की कमनीयता को बनाये रखता है। इसे करने के लिए कॉस्मेटिक सर्जन बड़ी विशेषज्ञता से करते हैं। यह ट्रीटमेंट तीस वर्ष से ऊपर के लोगों के लिए ही है। इस ट्रीटमेंट में इंजेक्शन के जरिये मांसपेशियों को ढीला और गतिहीन किया जाता है। इसमें व्यक्ति को मेडिकल एनेस्थीसिया दिया जाता है, ताकि उसे इंजेक्शन का दर्द महसूस न हो। यह ट्रीटमेंट हर चार से छह माह में लेना पड़ता है.

You Really Need to Know


ध्यान रखें

बोटोक्‍स अगर एक्‍सपर्ट डॉक्‍टर से करवाया जाए तो यह पूरी तरह से सुरक्षित होता है, लेकिन बावजूद इसके कुछ सावधानियां रखनीं जरूरी होती हैं।

  • बोटोक्स इंजेक्शन लगवाने से सात दिन पहले एस्प्र‍िन अथवा खून पतला करने वाली दवायें खानी बंद कर दें।
  • इंजेक्‍शन लगने के चार से छह घंटे तक लेटें नहीं। इससे दवाई का आसपास की कोशिकाओं में जाने का खतरा होता है।
  • बोटोक्‍स का असर दिखायी देने में दो से तीन दिन का समय लगता है।
  • जिस स्‍थान पर इंजेक्शन लगाया गया है वहां मसाज न कराएं।
  • जिस मांसपेशी में इंजेक्शन लगाया गया है उसे खूब इस्‍तेमाल करना चाहिए, ताकि दवा उसके अंदर तक चली जाए.
  • जिस स्थान पर बोटोक्स लेना है, वहां की त्वचा पर किसी प्रकार का संक्रमण हो तो ऐसा ट्रीटमेंट न लें।
  • गर्भवती महिलाओं को इसका इस्‍तेमाल नहीं करना चाहिए।
  • स्तनपान करवाने वाली महिलायें ये इंजेक्शन न लगवायें तो बेहतर। क्योंकि उन पर इसके असर को लेकर अभी व्यापक शोध नहीं हुए हैं।

 

एक नजर इधर भी

  • कुछ लोगों को बोटोक्स इंजेक्शन लगवाने से सोयी सोयी सी आंखें हो सकती है
  • इंजेक्शन देने के समय सही तकनीक, सही डोज का खास ध्यान रखा जाए.
  • यह उपचार हर 4 से 6 महीने के अंतर में लेना पड़ता है.
  • बोटोक्स उपचार किसी प्रशिक्षित डॉक्टर से ही कराया जाए.
  • बोटोक्स का सबसे कमजोर पहलू यह है कि यदि इस ट्रीटमेंट को रोक दिया जाय तो त्वचा पर झुर्रियां फिर से उभर आती हैं।

 

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