
इंसान ही एक ऐसी प्रजाति है, जो खुश रह सकती है और किसी भी प्रकार की भावनाओं को अनुभव कर सकती है लेकिन आज के समय में हमारे जीवन में एक समय में इतना कुछ चल रहा होता है कि अपने दिमाग और स्थितियों की कैद में हम हंसना और तनावमुक्त रहना भूल जाते हैं। धीरे-धीरे ये आदत और जीवन का तौर-तरीका हमें बीमार बना सकता है। लोग तनाव, चिंता और डिप्रेशन का शिकार होने लगते हैं। कभी-कभी इससे निकलना लोगों के लिए काफी मुश्किल हो जाता है क्योंकि उन्हें समझ नहीं आता है कि वे किस तरह खुद को शांत करें। कई बार हम मूवीज, सैर-सपाटा और खुश रहने की कई तरह से कोशिश कर लेते हैं लेकिन आपको मानसिक शांति नहीं मिल पाती है। इसके लिए आपको थोड़ा समय खुद के साथ बिताने की जरूरत होती है ताकि चीजें आपके लिए और आसान हो जाएं। इसके लिए आप माइंडफुलनेस मेडिटेशन कर सकते हैं। दरअसल ओनली माई हेल्थ इस सप्ताह वर्ल्ड हेल्थ डे के तहत मेंटल हेल्थ से जुड़े कई पहलूों को आपके समक्ष लाने की कोशिश कर रहा है ताकि हम मानसिक रूप से स्वस्थ रह सकें और एक बेहतर कल के लिए फ्यूचर फिट रहें। इसी क्रम में ओएमएच टीम ने लाइव सेशन में विस्तार से बात की मैक्स सुपरस्पेशलिस्ट अस्पताल की मनोवैज्ञानिक और मनोचिकित्सक डॉ रीमा गुप्ता से।
माइंडफुलनेस मेडिटेशन के फायदे
1. गुस्सा कम आना
2. शांति और खुशी का अनुभव होना
3. फोकस बढ़ाना
4. स्ट्रेस और चिंता से छुटकारा
5. फैसले लेने की क्षमता में विकास
6. बेहतर नींद के लिए फायदेमंद
7. इमोशनल स्टैबिलिटी होना
8. हाइपर-ऐक्टिविटी कम होना
9. दूसरों को समझने और स्वीकार करने की क्षमता का विकास
10. हर काम में खुश रहना
माइंडफुलनेस मेडिटेशन के तरीके
1. ब्रीदिंग मेडिटेशन
ब्रीदिंग मेडिटेशन की एक तरह की माइंडफुलनेस मेडिटेशन है। इस दौरान आप अपनी सांसों पर ध्यान केंद्रित करें और जब सांस अंदर आती है और बाहर जाती है, तो आप काफी सुकुन का अनुभव करते हैं। सांसों के उतार-चढ़ाव को महसूस करते हैं। इस समय एक हाथ पेट पर रखें और जब सांस लें तो पेट बाहर की तरफ जाए और जब सांस छोड़ें तो पेट अंदर की तरफ जाए। जब भी ध्यान सांसों का भटकाव हो, तो आपको घबराने की जरूरत नहीं है। ऐसा आमतौर पर मेडिटेशन के दौरान हो सकता है। मन बहुत अस्थिर होता है इसलिए भटकाव से घबराकर ध्यान को छोड़ें न बल्कि फिर से पूरी निष्ठा के साथ सांसों पर ध्यान केंद्रित करें। इससे मानसिक और शारीरिक दोनों लाभ होता है। स्ट्रेस कम करने में मद मिलती है।
2. आसपास की आवाजों को सुनना
कई बार हम अपने काम और आसपास की भीड़ में प्राकृतिक आवाजों को बिल्कुल इग्नोर कर देते हैं। पक्षियों, पेड़-पौधों की सरसराहट और आसपास की हलचल हमारे लिए बिल्कुल अलग और ध्यान योग्य रहता ही नहीं लेकिन माइंडफुलनेस, मेडिटेशन करते समय ध्यान से अपने आसपास की चीजों की आवाज सुनें। किस चीज की आवाज कैसी है और उसे अंदर से महसूस करें। हालांकि पहले से किसी तरह की पूर्वधारणा को अपने आप पर हावी न होने दें और आ रही आवाज को कानों की मदद से महसूस करें। इससे डिप्रेशन को कम करने में मदद मिलती है और एकाग्रता बढ़ती है। धीरे-धीरे इन आवाजों से दूर लोगों की आवाज पर आएं कि कौन क्या बोल रहा है। यह आपको भीड़ में भी अपने लिए समय निकालने का मौका देता है।
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3. ध्यान से चीजों को देखना
अपने आसपास की चीजों को ध्यान से देखें। चीजों के आकार, रंग-रूप और प्रकार पर ध्यान दें। पूर्वधारणा से परें आपको जो दिख रहा है, उसे ही सच मानें। जैसे अगर पत्तियों का हर पीला है, तो मन में उस बात को लेकर संतोष रखें कि अब इस पेड़ की पत्तियां पीली हो गई है क्योंकि कई बार हमारी पूर्वघारणा या कल्पना के मुताबिक, चीजें नहीं मिलती या दिखती है, तो हमें असहज महसूस होता है। कई लोग उस चीज के बारे में बात करके आगे निकल जाते हैं लेकिन कुछ लोगों को आज में जो चीजें दिख रही होती है, उससे परेशानी हो सकती है। इसलिए स्वीकार करने की आदत बढ़ाएं।
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4. मन में चल रहे विचारों पर ध्यान दें
हमारा मन बहुत चंचल होता है। एक जगह पर रहते हुए हमारे लिए उसी जगह रहना मुश्किल हो जाता है। यही आपकी चिंता का प्रमुख कारण है और चिंता कई बीमारियों को जन्म दे सकती है। आंख बंद करके विचारों पर ध्यान लगाएं। मन में आने वाले विचारों को आने-जाने दें। अगर फिर भी मन विचारों में उलझा सा अनुभव करें, तो विचारों को सांसों पर ले जाएं। इससे मन में एकाग्रता बढ़ती है और विचारों में उबरने की क्षमता का भी विकास होता है। साथ ही मन में आने वाले विचार स्थिर हो सकते हैं। हालांकि जबरन मन में कोई विचार न थोपें। इससे मेडिटेशन का फायदा नहीं होगा।
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5. शरीर की क्रियाओं पर ध्यान देना
एकसरसाइज या योग करते समय आप केवल हाथों और पैरों के मूवमेंट पर ध्यान देने के साथ-साथ अपनी शरीर की हर छोटी-बड़ी गतिविधियों पर भी ध्यान दें। जैसे हाथ से संबंधित कोई एक्सरसाइज करते समय अपनी उगंलियों से लेकर भुजाओं तक ध्यान केंद्रित करने की कोशिश करें। इससे शरीर की गतिविधियों के साथ दिमागी कसरत भी होती रहती है। इसके अलावा आप पैरों को सामने फैलाकर एक्सरसाइज करते हुए घुटनों से लेकर जांघों तक में होने वाली कंपन को महसूस कर सकते हैं। इसके लिए अभ्यास जल्दी में करने की कोशिश न करें।
इन बातों का भी रखें ध्यान
1. समय पर भोजन करें और हेल्दी खाना खाएं। इसमें आप अधिक मात्रा में सब्जियां, फल और ड्राई फ्रूट्स खा सकते हैं।
2. साथ में शरीर को हाइड्रेट रखने के लिए आप आप अधिक मात्रा में जूस, पानी और स्मूदी का सेवन कर सकते हैं।
3. दिन की शुरूआत हमेशा एक हेल्दी डिटॉक्स ड्रिंक के साथ करने की कोशिश करें ताकि पूरे दिन आपका स्वस्थ रहें।
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